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Israel Protest: इजराइल में ज्यूडिशियल रिफॉर्म बिल के कारण मचा हुआ है हंगामा, जानिए इसके जरिए क्या करना चाहती है सरकार

इजराइल में इन दिनों ज्यूडिशियल रिफॉर्म बिल को लेकर हंगामा मचा हुआ है. इस बिल के तहत जिसके तहत अब सुप्रीम कोर्ट भी प्रधानमंत्री को उसके पद से नहीं हटा सकेगी. इस बिल में सुप्रीम कोर्ट की पावर को काफी हद तक कम किया गया है.

इजराइल में ज्यूडिशियल रिफॉर्म बिल के कारण मचा हुआ है हंगामा इजराइल में ज्यूडिशियल रिफॉर्म बिल के कारण मचा हुआ है हंगामा

इजराइल में इस वक्त पूरा देश प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ प्रदर्शन करने सड़क पर उतरा है. दरअसल इजराइल में गुरुवार को सरकार ने एक नया बिल पास किया है. जिसके तहत अब सुप्रीम कोर्ट भी प्रधानमंत्री को उसके पद से नहीं हटा सकेगी. प्रधानमंत्री के फिजिकली या मेंटली अनफिट होने पर सिर्फ सरकार ही उन्हें अयोग्य घोषित करके अस्थायी तौर पर हटा सकती है. इसके लिए भी तीन-चौथाई सांसदों का समर्थन जरूरी होगा. इसके अलावा प्रधानमंत्री चाहें तो संसद को जानकारी देकर खुद इस्तीफा दे सकता है. इसके लिए उन्हें दो-तिहाई सांसदों की जरूरत होगी. 

सरकार क्या करने की कोशिश कर रही है?
गवर्निंग गठबंधन का कहना है कि न्यायपालिका ने वर्षों से खुद को बढ़े हुए अधिकार दिए हैं. अपने प्रस्तावित न्यायिक परिवर्तनों में, सरकार सबसे पहले न्यायाधीशों का चयन करने वाली नौ सदस्यीय समिति के स्वरूप को बदलने की कोशिश कर रही है. प्रस्ताव सरकार के प्रतिनिधियों और नियुक्तियों को समिति पर स्वत: बहुमत प्रदान करेगा, प्रभावी रूप से सरकार को न्यायाधीशों को चुनने की अनुमति देगा.
सरकार असंवैधानिक माने जाने वाले कानूनों को रद्द करने की अपनी क्षमता को काफी हद तक सीमित करके, SC की हद पर भी अंकुश लगाना चाहती है. आलोचकों का कहना है कि प्रस्तावित ओवरहाल वर्तमान सरकार के हाथों में अनियंत्रित शक्ति प्रदान करेगा. उन्हें यह भी डर है कि नेतन्याहू, जो भ्रष्टाचार के आरोपों पर मुकदमे का सामना कर रहे हैं, अपनी कानूनी परेशानियों से खुद को निकालने के लिए बदलावों का इस्तेमाल कर सकते हैं.

देश क्यों बंटा हुआ है?
अपने आलोचकों के लिए, SC को धर्मनिरपेक्ष, मध्यमार्गी अभिजात वर्ग के अंतिम गढ़ के रूप में देखा जाता है. धार्मिक यहूदी, विशेष रूप से अति-रूढ़िवादी, अदालत को अपने जीवन के रास्ते में एक बाधा के रूप में देखते हैं. दरअसल अदालत ने अक्सर अति-रूढ़िवादी के लिए कुछ विशेषाधिकारों और वित्तीय सब्सिडी का विरोध किया है. विशेष रूप से, अदालत ने एक विशेष व्यवस्था को खारिज कर दिया जिसने धार्मिक नेताओं को क्रोधित करते हुए धार्मिक अध्ययन के पक्ष में अति-रूढ़िवादी यहूदियों को सैन्य सेवा स्थगित करने की अनुमति दी. दक्षिणपंथी इस्राइली, जो कब्जे वाले वेस्ट बैंक में इस्राइली बस्ती को मजबूत करना चाहते हैं, वे भी अदालत को एक विरोधी के रूप में देखते हैं.

कौन विरोध कर रहा है?
इज़राइल का सबसे बड़ा ट्रेड यूनियन, जिसने पहले इस आंदोलन से दूरी बनाने की कोशिश की थी, लेकिन फिर उसने प्रदर्शन करना शुरू कर दिया. इजरायल के प्रमुख विश्वविद्यालयों के प्रमुखों ने सामूहिक रूप से घोषणा की कि वे सोमवार से शुरू होने वाली योजना का विरोध करने के लिए विश्वविद्यालयों को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर देंगे.
लेकिन शायद इस प्रक्रिया का सबसे अधिक परिणामी विरोध सैन्य रिजर्विस्टों से आया है. रिजर्विस्टों का कहना है कि अगर सुप्रीम कोर्ट के पास पर्याप्त रूप से सरकारी गतिविधियों की जांच करने की शक्ति नहीं है तो उन्हें अवैध सैन्य आदेश दिए जाने का डर है. उन्हें अंतरराष्ट्रीय अदालतों में आरोपित होने का डर है अगर इजरायली न्याय प्रणाली को सैनिकों पर मुकदमा चलाने के लिए बहुत कमजोर माना जाता है. 

आगे क्या होगा?
सरकार ने इस हफ्ते की शुरुआत में संसद में ओवरहाल के पहले भाग, सुप्रीम कोर्ट  जजों को चुनने की क्षमता पर अंतिम वोट की योजना बनाई थी. लेकिन रविवार के विरोध प्रदर्शनों के बाद, यह स्पष्ट नहीं है कि नेतन्याहू अपने गठबंधन के कट्टर सदस्यों के साथ जाएंगे और वोट के माध्यम से आगे बढ़ेंगे या नहीं. बताया जा रहा है कि नेतन्याहू कार्यक्रम में ठहराव पर विचार कर रहे हैं. ओवरहाल के अन्य प्रमुख तत्व अप्रैल के अंत तक रुके हुए हैं.

फिलहाल नेतन्याहू ने बिल को टाल दिया है. सोमवार को फैसले की घोषणा करते हुए नेतन्याहू ने कहा कि अगले महीने स्वतंत्रता दिवस की छुट्टी के बाद संसद के अगले सेशन शुरू होने तक बिल को टाला जा रहा है. इसके बाद ट्रेड यूनियन ने हड़ताल खत्म कर दी. इजराइल में संसद का अगला सत्र 30 अप्रैल से शुरू होगा.