
ईरान के सेमनान प्रांत में शुक्रवार शाम 9:19 बजे के सेमनान से लगभग 36 किमी दक्षिण पश्चिम में 5.1 तीव्रता का भूकंप आया. भूकंप 10 किमी की उथली गहराई पर आया, जिसके झटके तेहरान और अन्य आसपास के क्षेत्रों में महसूस किए गए. इजरायली हमलों के बाद 15 जून को फोर्डो के पास 2.5 तीव्रता का एक अलग भूकंप भी आया था. ईरान-इजरायल संघर्ष के बीच इन भूकंपों ने कई तरह के अटकलों को हवा दी है.
सैटेलाइट इमेजरी से पता चला है कि इजरायली हमलों के बाद नतांज और फोर्डो जैसे परमाणु स्थलों को नुकसान पहुंचा है. तीव्र इजरायली हमलों और ईरानी जवाबी हमलों के बीच सेमनान और फोर्डो भूकंप के समय ने तनाव बढ़ा दिया था. अटकले लगाई जा रही हैं कि ईरान ने परमाणु हथियारों की टेस्टिंग की है.
परमाणु हथियार से आया भूकंप?
इंडिया टुडे ने इन दोनों भूकंपों के पीछे संभावित कारणों का पता लगाने का प्रयास किया. इसके लिए इनसे उत्पन्न होने वाले झटकों की प्रकृति का विश्लेषण किया गया. यह ध्यान रखना जरूरी है कि जब पिछले महीने भारत-पाकिस्तान संघर्ष चल रहा था तब पाकिस्तान में भी इसी तरह के झटके महसूस किए गए थे. तब भी परमाणु गतिविधि की अटकलें लगाई गई थीं लेकिन इंडिया टुडे ने भूकंपीय साक्ष्य और निशानों के आधार पर तार्किक रूप से तथ्यों का विश्लेषण करने के बाद इन्हें खारिज कर दिया था.
क्या रहा है ईरान में भूकंप का इतिहास?
शुक्रवार को ईरान में आया यह भूकंप इजरायल के साथ बढ़ते संघर्ष के दौर में आया. इससे संभावित संबंध के बारे में सवाल उठ रहे हैं. यहां एक बात का उल्लेख करना ज़रूरी है कि ईरान अल्पाइन-हिमालयी भूकंपीय बेल्ट पर अपनी स्थिति के कारण भूकंपीय रूप से अत्यधिक सक्रिय है. यहां अक्सर भूकंप आते रहते हैं. यहां हर साल 2,000 से ज़्यादा भूकंप आते हैं. इनमें 5.0 या उससे ज़्यादा तीव्रता वाले 15-16 भूकंप शामिल हैं.
साल 2006-2015 के बीच दस वर्षों के दीर्घकालिक विश्लेषण से पता चलता है कि इस अवधि के दौरान देश में 96,000 भूकंप दर्ज किए गए. 13 जून से बढ़ते इजरायल के साथ संघर्ष में ईरान के परमाणु और सैन्य बुनियादी ढांचे को निशाना बनाकर इजरायली हवाई हमले शामिल हैं. इसमें नतांज़, इस्फ़हान और फ़ोर्डो जैसी जगहें शामिल हैं. भूकंप की उथली गहराई 10 किलोमीटर थी. इसका केंद्र सेमनान के अंतरिक्ष और मिसाइल परिसर से करीब होने के कारण अटकलों को हवा मिली, लेकिन भूकंपीय डेटा से पता चलता है कि यह एक प्राकृतिक घटना थी.
भूकंप का फर्क कैसे पहचानते हैं वैज्ञानिक?
परमाणु गतिविधियां विस्फोट के पास टेक्टोनिक तनाव जारी करके भूकंप को प्रेरित कर सकती हैं. अमेरिकी जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) के अनुसार, ऐसे विस्फोट भूकंपीय घटनाओं को ट्रिगर कर सकते हैं, लेकिन ये आमतौर पर विस्फोट की तुलना में बहुत छोटे होते हैं और विस्फोट स्थल से कुछ दसियों किलोमीटर की सीमा तक सीमित होते हैं. परमाणु विस्फोट टेक्टोनिक तनाव जारी करके भूकंपीय गतिविधि को प्रेरित कर सकते हैं, लेकिन नतीजतन भूकंप आमतौर पर कम तीव्र होते हैं और प्राकृतिक भूकंपों की तुलना में कम झटके होते हैं.
भूकंप वैज्ञानिक (Seismologist) तरंग पैटर्न का विश्लेषण करके इन घटनाओं में अंतर कर सकते हैं. परमाणु विस्फोटों से मुख्य रूप से P-Waves (Primary Waves) होती हैं. इसके बरक्स, प्राकृतिक भूकंपों से P-Waves और S-waves (Secondary Waves) दोनों उत्पन्न होती हैं. सीस्मोग्राम मशीन पर इन तरंगों के अंतर को पहचानकर भूकंप वैज्ञानिक परमाणु धमाके वाले भूकंप और प्राकृतिक भूकंप में फर्क समझ पाते हैं.
इसलिए ईरान में इस क्षेत्र की भूकंपीय गतिविधि को देखते हुए यह निर्णायक रूप से कहा जा सकता है कि परमाणु सुविधाओं के पास ये भूकंपीय घटनाएं प्राकृतिक टेक्टोनिक गतिविधि के अनुरूप हैं.