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Dubai Flood: दुबई में दो साल की बारिश एक दिन में...क्या क्लाउड सीडिंग की वजह से UAE के रेगिस्तान में आई बाढ़? जानें कारण

संयुक्त अरब अमीरात जो दुनिया भर में सूखे और रेगिस्तान के लिए जाना जाता है, में अचानक से आफत की बारिश आ गई.मैदान महज कुछ घंटों में समंदर बन गया. इसका कारण क्लाउड सीडिंग बताया जा रहा है.

Dubai Flood (Photo: AP) Dubai Flood (Photo: AP)

दुनिया के सबसे स्मार्ट शहरों में शुमार दुबई में इस समय पानी ही पानी नजर आ रहा है.दुबई में सोमवार देर रात भारी बारिश हुई जोकि अगले दिन तक जारी रही. इस वजह से इसके प्रमुख राजमार्ग और अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे जलमग्न हो गए.

भारी बारिश के कारण संयुक्त अरब अमीरात सरकार ने चेतावनी जारी कर कर्मचारियों से घर से काम करने और केवल "अत्यधिक आवश्यकता होने पर ही" बाहर निकलने का आग्रह किया है. सभी संघीय कर्मचारियों को बुधवार तक रिमोटली काम करने के लिए कहा गया है.शहर के हाईवे पर गाड़ियां पानी में फंसी नजर आईं और शॉपिंग माल से लेकर मेट्रो स्टेशन तक सब जगह पानी भर गया. मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार यूएई में महज एक दिन में 14 सेमी से अधिक बारिश देखी गई है जोकि आमतौर पर अगले डेढ़ साल में होती. इतनी अधिक बारिश 75 वर्षों में पहले कभी नहीं हुई.

क्या होता है उद्देश्य? 
विशेषज्ञों ने कहा कि भारी बारिश के कारण दुबई और संयुक्त अरब अमीरात के अन्य हिस्सों में बड़े पैमाने पर बाढ़ आई, जो आंशिक रूप से क्लाउड सीडिंग के कारण हुई. संयुक्त अरब अमीरात, पृथ्वी पर सबसे गर्म और सबसे शुष्क क्षेत्रों में से एक में स्थित है,वर्षा बढ़ाने के लिए यहां क्लाउड सीडिंग (Cloud Seeding) तकनीक का उपयोग किया जाता है,जो फारस की खाड़ी क्षेत्र में सालाना औसतन 100 मिलीमीटर (3.9 इंच) से कम रहता है.

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इस टेक्नोलॉजी का मुख्य उद्देश्य बढ़ती आबादी और अर्थव्यवस्था की पानी की मांग को पूरा करना है,जो पर्यटन और अन्य क्षेत्रों में विविधता ला रही है.संयुक्त अरब अमीरात के अलावा,सऊदी अरब और ओमान सहित क्षेत्र के अन्य देश भी अपने देशों में वर्षा बढ़ाने के लिए इसी तरह की तकनीक तैनात कर रहे हैं.

क्या है क्लाउड सीडिंग
कृत्रिम बारिश,जिसे क्लाउड सीडिंग भी कहा जाता है, एक मौसम संशोधन तकनीक है जिसका उद्देश्य वर्षा को प्रोत्साहित करना है. इस प्रक्रिया में विमान या हेलीकॉप्टर का उपयोग करके बादलों में सिल्वर आयोडाइड या पोटेशियम आयोडाइड जैसे पदार्थों को छोड़ा जाता है.ये कण वाटर वेपर के कंडेनसेशन और वर्षा की बूंदों या बर्फ के क्रिस्टल बनने में मदद करते हैं जिससे बादल बनते हैं और बाद में वर्षा होती है.

क्लाउड सीडिंग की सफलता विशिष्ट मौसम संबंधी स्थितियों पर निर्भर करती है, जिसमें नमी से भरे बादलों की उपस्थिति और उपयुक्त हवा के पैटर्न शामिल हैं.इस प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य लक्षित क्षेत्रों में वर्षा को प्रोत्साहित करना या सूखे की स्थिति को कम करना है. इसका उपयोग मुख्य रूप से कृषि,पर्यावरण और जल संसाधन प्रबंधन उद्देश्यों के लिए मौसम के पैटर्न को प्रभावित करने के लिए किया जाता है.

ये साफतौर पर प्रकृति से की गई छेड़छाड़ का नतीजा है जोकि आपदा बनकर बरसा है. गल्फ स्टेट नेशनल सेंटर ऑफ मेटरोलॉजी ने बताया कि 15-16 को अल-एन एयरपोर्ट से क्लाउड सीडिंग के विमान उड़े थे.पिछले दो दिनों में इन विमानों ने सात बार उड़ान भरी.ऐसा लगता है कि क्लाउड सीडिंग गलत हो गया.

कहां हुई गड़बड़
दरअसल दुबई और उसके आसपास के देशों में इस समय बेहद धीमी गति से साउदर्न जेट स्ट्रीम बह रही है. यह एक ऐसी वायुमंडलीय हवा है, जो अपने साथ गर्मी लेकर आती है. दुबई और उसके आसपास समंदर है जहां धूल के तूफान आते रहते हैं. धूल के कण खुद में क्लाउड सीडर है जिसे विज्ञान की भाषा में कंडनेनसेशन न्यूक्लियाई कहते हैं.माना जा रहा है कि क्‍लाउड सीडिंग में बहुत ज्यादा धूल के कण शामिल होने के कारण ये गड़बड़ हुई और दुबई जलमग्‍न हो गई.