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World Happiness Report: कौन-सा देश खुशहाल है और कौन सा नहीं, कैसे निकाली जाती है वर्ल्ड हैप्पीनेस इंडेक्स रिपोर्ट, जानें

वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट हर साल 20 मार्च को प्रकाशित होती है. जिसे वर्ल्ड प्रसन्नता दिवस के रूप में जाना जाता है. रिपोर्ट दुनिया भर के देशों में खुशी को मापती है और इसका उद्देश्य खुशी और कल्याण में योगदान देने वाले कारकों के बारे में जानकारी प्रदान करना है.

World Happiness Report World Happiness Report
हाइलाइट्स
  • अमेरिका और जर्मनी पिछड़े 

  • राष्ट्रों में खुशहाली की रैंकिंग

World Happiness Report 2024: फिनलैंड ने लगातार सातवें साल दुनिया के सबसे खुशहाल देश का खिताब हासिल किया है. वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भी फिनलैंड के नागरिक अपने देश से संतुष्ट हैं. दरअसल, हर कोई चाहता है कि वो एक ऐसी जगह रहे जो खुशहाल हो. इसी को मापने के लिए हर साल World Happiness Index रिपोर्ट तैयार की जाती है. जिससे ये पता चलता है कि कोई देश कितना खुश है.  

राष्ट्रों में खुशहाली की रैंकिंग

सबसे खुशहाल देशों की सूची में नॉर्डिक देशों का दबदबा कायम है, डेनमार्क, आइसलैंड और स्वीडन फिनलैंड से काफी पीछे हैं. इसके विपरीत, राजनीतिक अस्थिरता के कारण गंभीर मानवीय संकट से जूझ रहा अफगानिस्तान, सर्वेक्षण में शामिल 143 देशों में सबसे निचले स्थान पर बना हुआ है. 

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बता दें, वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट हर साल 20 मार्च को प्रकाशित होती है. जिसे विश्व प्रसन्नता दिवस के रूप में जाना जाता है. रिपोर्ट दुनिया भर के देशों में खुशी को मापती है और इसका उद्देश्य खुशी और कल्याण में योगदान देने वाले कारकों के बारे में जानकारी प्रदान करना है.

अमेरिका और जर्मनी पिछड़े 

नई रिपोर्ट पिछले सालों की तुलना में काफी अलग आई है. जहां पिछली रिपोर्ट्स में अमेरिका और जर्मनी, टॉप 20 सबसे खुशहाल देशों में से एक थे, वे इसबार रैंकिंग से बाहर हो गए हैं. अमेरिका जहां 23वें स्थान पर आया है वहीं जर्मनी 24वें स्थान पर. इस बीच, कोस्टा रिका और कुवैत ने इस बार की रिपोर्ट में प्रगति की है. और ये दोनों ही पहली बार टॉप 20 में शामिल हुए हैं. रिपोर्ट में यह भी देखा गया है कि बड़े देशों की तुलना में खुशहाल देशों में मुख्य रूप से छोटी आबादी शामिल है.

हैप्पीनेस रैंकिंग में क्या देखा जाता है? 

किसी देश की हैप्पीनेस रैंकिंग में अलग-अलग तरह के कारक जिम्मेदार होते हैं. इस रिपोर्ट को यूएन सस्टेनेबल डेवलपमेंट सॉल्यूशन नेटवर्क पब्लिश करता है. वहीं गैलप वर्ल्ड पोल डेटा इकट्ठा करते हैं. रिपोर्ट में छह कारकों के आधार पर खुशी को मापा जाता है. जैसे सकल घरेलू उत्पाद (gross domestic product), जीवन प्रत्याशा (life expectancy), उदारता (generosity), सामाजिक समर्थन (social support), स्वतंत्रता (freedom) और भ्रष्टाचार (corruption). हालांकि, इस साल की रिपोर्ट में विश्वास और सोशल मीडिया के प्रभाव जैसी चीजों को भी ध्यान में रखकर हैप्पीनेस रिपोर्ट जारी की गई है. 

खुशहाली में काफी गिरावट आई है 

उत्तरी अमेरिका (North America), ऑस्ट्रेलिया (Australia) और न्यूजीलैंड (NewZealand) में, पिछले दशक में युवाओं के बीच खुशी में काफी गिरावट आई है. इसके विपरीत, मध्य और पूर्वी यूरोप में सभी आयु समूहों में खुशी में वृद्धि देखी गई है. जो वहां के सकारात्मक सामाजिक-आर्थिक परिवर्तनों को दर्शाता है. हालांकि, बढ़ती खुशी के डेटा में बढ़ रही असमानता विश्व स्तर पर एक चिंता का विषय बनी हुई है.