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Finland Education System: अपने स्कूल टीचर्स को फिनलैंड क्यों भेजना चाहते हैं सिसोदिया, जानिए यहां के एजुकेशन सिस्टम में क्या है खास

दिल्ली सरकार अपने सरकारी स्कूल के 30 टीचर्स को ट्रेनिंग के लिए फिनलैंड भेजना चाहती हैं. दरअसल फिनलैंड का एजुकेशन सिस्टम दुनिया का सबसे बेस्ट एजुकेशन सिस्टम है.

फिनलैंड में है दुनिया का बेस्ट एजुकेशन सिस्टम फिनलैंड में है दुनिया का बेस्ट एजुकेशन सिस्टम
हाइलाइट्स
  • टीचर्स पर जवाबदेही नहीं

  • स्टैंडर्ड टेस्टिंग नहीं

दिल्ली सरकार अपने सरकारी स्कूल के टीचर्स को ट्रेनिंग के लिए फिनलैंड भेजना चाहती है. दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने बताया कि इसके लिए पूरा रोडमैप तैयार कर लिया गया. सरकारी स्कूल से 30 टीचरों का चुनाव कर लिया गया है, जिन्हें ट्रेनिंग के लिए फिनलैंड भेजने की तैयारी है. लेकिन जब प्रस्ताव को मंजूरी के लिए दिल्ली के उप राज्यपाल वीके सक्सेना के पास भेजा गया, तो उन्होंने इसे नामंजूर कर दिया. Delhi LG का कहना है कि उनकी ट्रेनिंग भारत में ही हो सकती है. फिर Finland जाने की जरूरत क्यों? इसके बाद से सियासी तनातनी शुरू हो गई हैं. लेकिन ऐसे में सवाल ये उठता है कि फिनलैंड के एजुकेशन सिस्टम में ऐसा क्या खास है जो दिल्ली सरकार अपने टिचर्स को वहां ट्रेन करने के लिए भेज रही है.

स्टैंडर्ड टेस्टिंग नहीं: फिनलैंड में बच्चों पर एग्जाम्स का बोझ नहीं डाला जाता है. सिर्फ हाई स्कूल के अंत में एक परीक्षा होती है- नेशनल मैट्रिकुलेशन एग्जाम. वो भी अनिवार्य नहीं है. टीचर हर बच्चे को व्यक्तिगत आधार पर ग्रेड देते हैं. स्कूलों में सैंपल ग्रुप बनाकर वहां का शिक्षा मंत्रालय बच्चों का ओवरऑल प्रोग्रेस ट्रैक करता है.

टीचर्स पर जवाबदेही नहीं: फिनलैंड एजुकेशन मिनिस्ट्री के डायरेक्टर पासी सालबर्ग का कहना है कि Finland में टीचर्स के लिए जवाबदेही (Accountability) जैसी कोई चीज नहीं है. क्योंकि जवाबदेही तब आती है जब जिम्मेदारी घटाई जाती है. यहां स्कूल टीचर बनने के मानदंड काफी कठिन हैं. हर टीचर के लिए मास्टर डिग्री जरूरी है. इस पेशे में आने के लिए उन्हें सबसे मुश्किल सेलेक्शन प्रॉसेस से गुजरना पड़ता है. फिर भी अगर कोई टीचर सही परफॉर्म नहीं कर रहा है, तो उसके प्रिंसिपल की जिम्मेदारी है कि उस बारे में कुछ करे.

प्रतिस्पर्धा नहीं, सहयोग: सालबर्ग एक लेखक का नाम लेकर कहते हैं ‘असली विजेता कंपीट नहीं करते.’ इस रुख ने फिनलैंड को दुनिया में एजुकेशन सिस्टम के टॉप पर पहुंचाया है.यहां की शिक्षा प्रणाली मेरिट आधारित नहीं है. यहां कोई टॉप स्कूल, टॉप टीचर्स की लिस्ट नहीं बनती. कंपटीशन के बजाय फिनलैंड को-ऑपरेशन के नियम पर चलता है.

बेसिक्स सबसे पहले: फिनलैंड के स्कूलों की प्राथमिकता बच्चों को मैथ्स, साइंस में हाई मार्क्स दिलाना नहीं. वे स्टूडेंट्स के लिए एक खुशनुमा और स्वस्थ सीखने का माहौल रखने पर ज्यादा फोकस करते हैं. यहां शिक्षा को सामाजिक असमानता को बैलेंस करने के उपकरण की तरह उपयोग किया जाता है. हर छात्र को स्कूल में फ्री खाना मिलता है. साथ ही हेल्थ केयर, साइकोलॉजिकल काउंसलिंग और व्यक्तिगत तौर पर गाइडेंस दी जाती है.

ज्यादा उम्र में स्कूल में दाखिला: Finland में एक बच्चे के लिए पढ़ाई शुरू करने की उम्र 7 वर्ष है. ताकि वे छोटी उम्र से ही पढ़ाई के बोढ तले न दबे और बच्चों का बचपना बरकरार रहे. यहां स्कूल एजुकेशन सिर्फ 9 साल तक अनिवार्य है. 9वीं क्लास यानी लगभग 16 की उम्र के बाद उनके लिए पढ़ाई वैकल्पिक हो जाती है. ताकि बच्चों पर कोई सामाजिक आदर्श न थोपा जाए.

ट्रेडिशनल कॉलेज डिग्री की जगह प्रोफेशनल ऑप्शन्स: अपर सेकंडरी लेवल से ही फिनलैंड में तीन साल के प्रोग्राम चलाए जाते हैं. इस दौरान वोकेशनल कोर्सेस का भी विकल्प होता है. स्टूडेंट अपनी पसंद से कोर्स चुन सकते हैं. अगर उन्हें यूनिवर्सिटी नहीं जाना, तो वोकेशनल कोर्स करके आगे बढ़ सकते हैं. ताकि बेवजह, बेमन से कॉलेज जाकर, डिग्री लेकर उनका समय बर्बाद न हो.

देर से जागना: फिनलैंड में स्कूल सुबह 9 से 9.45 के बीच शुरू होते हैं और दोपहर 2 से 2.45 के बीच बंद हो जाते हैं. दरअसल इसके पीछे ये कारण बताया जाता है कि रिसर्च बताते हैं कि सुबह जल्दी जागकर स्कूल की भागदौड़ स्टूडेंट्स के स्वास्थ्य और विकास के लिए सही नहीं है. उनकी क्लास लंबी होती है और एक से दूसरी क्लास के बीच अच्छा लंबा ब्रेक भी मिलता है. ताकि वे सिर्फ एक से दूसरे विषय में उलझे न रहें और उनका ऑलराउंड डेवलपमेंट हो सके.

लंबे समय तक एक ही टीचर से गाइडेंस: Finland Schools में एक क्लास में कम स्टूडेंट होते हैं. शिक्षकों को खचाखच भरे ऑडिटोरियम को नहीं पढ़ाना पड़ता है. स्टूडेंट्स कम से कम 6 साल तक उसी टीचर से पढ़ते हैं. टीचर बार-बार बदलते नहीं. इससे टीचर हर बच्चे पर पूरा ध्यान दे पाते हैं. लंबे समय के दौरान सिर्फ एक शिक्षक से बढ़कर बच्चों के मेंटर, यहां तक कि पारिवारिक सदस्य की तरह बन जाते हैं. उनका अच्छा-बुरा अच्छी तरह जानते हैं और उसी अनुसार गाइड कर पाते हैं.

कम पढ़ाई, ज्यादा आराम: फिनलैंड के स्कूल तनावमुक्त माहौल पर जोर देते हैं. एक दिन में स्टूडेंट्स को कुछ ही क्लास करनी होती है. लंच, एक्स्ट्रा-करिकुलर एक्टिविटीज एंजॉय करने, रिलैक्स करने के लिए ज्यादा समय मिलता है. दिन भर में कई बार 15 से 20 मिनट के ब्रेक मिलते हैं. इसी तरह का माहौल वहां के टीचर्स के लिए भी होता है.

कम होमवर्क: OECD की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में सबसे कम होमवर्क फिनलैंड में दिया जाता है. बच्चों को इतना ही होमवर्क मिलता है जिसे वे घर लौटने के बाद आधे घंटे में पूरा कर लें. यहां के स्टूडेंट्स के लिए ट्यूशन जरूरी नहीं. इस तरह से बच्चों का स्कूल-लाइफ बैलेंस अच्छा रहता है और उन्हें बेवजह का तनाव नहीं झेलना पड़ता.