
एक दशक पहले अपना नया संविधान अपनाने वाला नेपाल आज जनता के आक्रोश की आग में झुलस रहा है. देशव्यापी प्रदर्शन और 19 लोगों की मौत के बाद प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने भी इस्तीफा दे दिया है. उनके इस्तीफे के बाद नए प्रधानमंत्री के लिए जो नाम सबसे पहले आगे आ रहा है, वह है बालेन शाह का. बालेन शाह वह नाम है जिसे नेपाल में प्रदर्शन की अगुवाई कर रहे युवाओं का भी समर्थन प्राप्त है.
जब मंगलवार को बालेन शाह अपनी सरकारी गाड़ी में सवार होकर प्रदर्शनकारियों के बीच पहुंचे तो संसद तक को आग लगा देने वाली भीड़ ने उन्हें हाथ भी नहीं लगाया. उल्टा युवा उनका सम्मान करते नज़र आए. सवाल उठता है कि देश के नेताओं से त्रस्त हो चुके युवा आखिर एक नाम के पीछे लामबंद होने को क्यों तैयार हैं. आइए समझते हैं बालेन शाह की शख्सियत और उनकी लोकप्रियता की कहानी.
इंजीनियर, रैपर, मेयर...
नेपाल की राजनीति लंबे समय तक नेपाली कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टियों जैसे पारंपरिक दलों के इर्द-गिर्द घूमती रही है. लेकिन 2022 में काठमांडू महानगरपालिका के मेयर चुनाव ने इस परंपरा को तोड़ा जब एक स्वतंत्र उम्मीदवार जनता के भरोसे पर खरे उतरते हुए भारी मतों से विजयी हुआ. इस उम्मीदवार का नाम था बालेन शाह. आज बालेन शाह सिर्फ काठमांडू के मेयर ही नहीं, बल्कि नेपाल की नई राजनीतिक सोच, युवाओं की आकांक्षाओं और बदलाव की भूख का प्रतीक बन चुके हैं.
शाह का जन्म 27 अप्रैल 1990 को ललितपुर, नेपाल में हुआ. उनका पूरा नाम बलेंद्र शाह है, लेकिन वे बालेन नाम से लोकप्रिय हैं. शाह मधेसी पृष्ठभूमि से आते हैं. शिक्षा के प्रति उनकी रुचि गहरी थी. उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग में नेपाल इंजीनियरिंग कॉलेज से ग्रैजुएशन किया और आगे मास्टर ऑफ स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी की. इस तकनीकी पृष्ठभूमि ने उनके व्यक्तित्व को वैज्ञानिक दृष्टिकोण और समस्या-समाधान की क्षमता से मजबूत किया.
रैपर से नेता तक का सफर
राजनीति में आने से पहले शाह एक रैपर और संगीतकार के रूप में जाने जाते थे. उनका रैप सामाजिक मुद्दों, भ्रष्टाचार और असमानता पर आधारित होता था, जिससे वह युवाओं के बीच लोकप्रिय हो गए. उनके गीतों में गुस्सा, व्यंग्य और परिवर्तन की पुकार झलकती थी. संगीत ने उन्हें पहचान तो दी ही, साथ ही जनता की नब्ज को समझने का अनुभव भी कराया.
राजनैतिक परिदृश्य पर तंज़ कसने वाले शाह के गानों में से एक इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल भी हो रहा है. साल 2020 में 'बालेन' के यूट्यूब चैनल पर पोस्ट किए गए इस गाने का नाम बलिदान है. इस गाने में शाह सभी राजनेताओं को चोर बताते हुए देश में बदलाव की मांग करते हैं. इस गाने के लिरिक्स कुछ यूं हैं:
देश की रक्षा करने वाले सब बेवकूफ़ हैं
नेता सब चोर हैं, देश लूट चुके हैं
माँ की साड़ी में ही कटु सोच रखते हैं
खाने का समय एक, करने का समय अलग-अलग है
नंगे, बेइज्जत, नावाबाद
सभी मिलकर देश को खाते और बांटते हैं हम
हमेशा चिलिम (बेवजह की आदत) फूंकते जैसे मामलों को बिगाड़ते हैं
सस्ती साड़ी, महंगी गाड़ी.
कानून-कायदे को बेइज्जत करके बेवकूफ़ बना देते हैं
महिलाओं में कुंवारी को बचाने वाले बलात्कारी
गाड़ी में पहचान छुपाकर लूटते रहते हैं हम
बाढ़ में बीमारियों को फैलाने वाला वही पानी
देश के कर्मचारी, शक्तिशाली सरकारी
३० हजार वेतन, ३० घर
बीच बाज़ार की सड़क में पचास खड्डे छोड़ देते हैं
जैसे कि जेब भारी, बैंक खाली, सात तह अधिकारी
कौन भरेगा सात समुद्र पार देश की सारी उधारी?
गाय को पत्थर पर बिठाया, मोई (संबंध) नहीं, मोई नहीं
गरीब की चमेली, बोल देने वाला कोई नहीं
गरीब की बोल देने वाला कोई नहीं, कोई नहीं
गरीब की चमेली, बोल देने वाला कोई नहीं...
इस तरह के गानों से शाह की छवि एक ऐसे युवा की बनी जो न सिर्फ पढ़ा-लिखा और आधुनिक है, बल्कि जमीनी समस्याओं पर खुलकर बोलने से भी नहीं डरता. यही छवि आगे चलकर उनकी राजनीति की सबसे बड़ी ताकत बनी.
साल 2022 में हुए स्थानीय चुनावों में शाह ने काठमांडू महानगरपालिका से मेयर पद के लिए स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा. यह कदम साहसिक था, क्योंकि यहां परंपरागत रूप से बड़े दलों का वर्चस्व रहा है. उनके चुनावी अभियान में युवाओं की भारी भागीदारी रही. शाह ने सोशल मीडिया, सड़क सभाओं और सीधे जनसंपर्क के जरिए जनता तक अपनी बात पहुंचाई.
उन्होंने वादा किया कि अगर वे जीतते हैं तो काठमांडू को स्वच्छ, आधुनिक और पारदर्शी शासन देने की दिशा में काम करेंगे. परिणामों में बालेन शाह ने सभी दिग्गज दलों के उम्मीदवारों को पीछे छोड़ते हुए शानदार जीत दर्ज की. यह नेपाल की राजनीति में एक ऐतिहासिक क्षण था. साबित हुआ कि जनता अब पुराने ढर्रे से ऊब चुकी है और नए नेतृत्व को मौका देने के लिए तैयार है.
बालेन शाह ने पद संभालने के बाद कई साहसी कदम उठाए. मिसाल के तौर पर उन्होंने अवैध निर्माण पर कार्रवाई की. उन्होंने काठमांडू में अवैध रूप से बने भवनों को ध्वस्त करने का अभियान चलाया, चाहे वे कितने भी प्रभावशाली लोगों के हों. उन्होंने शहर की सबसे बड़ी समस्या कचरे के समाधान पर विशेष ध्यान दिया. शाह ने नगरपालिका की सेवाओं को पारदर्शी और ऑनलाइन करने की दिशा में भी काम किया.
शाह की शख्सियत में और भी कई परतें हैं. मिसाल के तौर पर, उनके ऑफिस में 'ग्रेटर नेपाल' का एक नक्शा है जिसमें नेपाल की सीमा में उत्तराखंड का भी कुछ हिस्सा शामिल है. चर्चा यह भी है कि इस प्रदर्शन में बालेन की भी कुछ न कुछ भूमिका है. बहरहाल, यह तो सच है कि लोकप्रिय होने के लिए शाह इससे बेहतर समय नहीं चुन सकते थे. बालेन इस समय जहां खड़े हैं, वहां से नेपाल के प्रधानमंत्री की कुर्सी कुछ कदम दूर ही नज़र आती है.