
कहते हैं कि एक तस्वीर हजार शब्दों के बराबर होती है. तस्वीरों के इसी महत्व को उजागर करने के लिए हर साल 19 अगस्त के दिन विश्व फोटोग्राफी दिवस मनाया जाता है. तस्वीरें हर किसी के लिए खास होती हैं क्योंकि ये उनके जीवन से जुड़े बीते पलों को वापस जीने का मौका देती हैं.
विश्व फोटोग्राफी दिवस का इतिहास
तस्वीरों के जरिए हर किसी के इतिहास को संजो कर रखने वाली फोटोग्राफी का अपना इतिहास काफी पुराना है. विश्व फोटोग्राफी दिवस मनाने की शुरुआत 1837 में फ्रांस से हुई थी. फ्रांस के जोसेफ नाइसफोर और लुइस डॉगेर ने 19 अगस्त को इस दिन की शुरुआत की थी. इसके बाद वहां की तत्कालीन सरकार ने इस दिन को मनाने की घोषणा की थी. तब से हर वर्ष 19 अगस्त को वर्ल्ड फोटोग्राफी डे मनाया जाता है.
क्या है उद्देश्य
विश्व फोटोग्राफी दिवस मनाए जाने का उद्देश्य फोटोग्राफी की कला को बढ़ावा देना है. इसी वजह से इस दिन कई तरह के प्रोग्राम आयोजित किए जाते हैं और फोटो प्रदर्शनियां भी लगाई जाती हैं. जिसके माध्यम से देश के फेमस फोटोग्राफर्स की ओर से क्लिक की गयीं दुर्लभ तस्वीरों को प्रदर्शित किया जाता है. फोटोग्राफी कई तरह की होती हैं. लैंडस्केप फोटोग्राफी, वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी, पोट्रेट फोटोग्राफी, फूड फोटोग्राफी, वेडिंग फोटोग्राफी और फैशन फोटोग्राफी.
इस साल की क्या है थीम
वर्ल्ड फोटोग्राफी डे के अवसर पर देश भर में जो कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. उनके लिए हर वर्ष एक थीम निर्धारित की जाती है. इस वर्ष विश्व फोटोग्राफी दिवस 2023 के लिए थीम लैंडस्केप तय की गई है.
फोटोग्राफी शब्द का किसने किया था पहली बार उपयोग
शाब्दिक अर्थ की बात करें तो कहेंगे लाइट के साथ चित्र निर्माण, फोटोग्राफी दो ग्रीक शब्दों से मिलकर बना है. फॉस (जेनेटिव फोटोस) जिसका मतलब है प्रकाश और ग्राफे जिसका अर्थ है ड्रॉइग या लेखन. कहा जाता है कि ब्रिटिश वैज्ञानिक सर जॉन हर्शेल ने इस शब्द का इस्तेमाल पहली बार 1839 में किया था.
पहली तस्वीर कब ली गई
पहली तस्वीर का श्रेय फोटोग्राफी के जनक निकोला डगे को दिया जाता है. उन्होंने 1826 में फ्रांस के बरिये शहर में एक कैमरा ओब्स्कुरा का उपयोग करके फर्द (Plate) पर पहली तस्वीर बनाई थी. इस तस्वीर को डगेरोटाइप कहा जाता है, और यह फोटोग्राफी की प्रारंभिक रूप मानी जाती है. डगेरोटाइप तकनीक का उपयोग करते हुए, वे एक कैमरा के माध्यम से चित्रित वस्तु को एक स्थायी इमेज के रूप में बना सकते थे. इसके परिणामस्वरूप बाद में फोटोग्राफी की तकनीकें और उपकरण विकसित हुए.
जानें पहली तस्वीरें कौन सी छपी
1839 का बुल्ब (Daguerreotype) 1839 में फ्रांसीसी फोटोग्राफर लुई डैगेर डैगेरियोटाइप कैमरा का पहला प्रकाशक प्रस्तुत किया, जिसका उपयोग तस्वीरें बनाने के लिए हुआ. ओटो वागनर का पहला समाचार फोटो 1848 में जर्मनी के फोटोग्राफर ओटो वागनर ने पहली समाचार फोटो का किक दिया, जिसमें वह एक झूला गीत गा रहे थे. मैथ्यू ब्रेडी की तस्वीरें 19वीं सदी के महत्वपूर्ण समाचार फोटोग्राफर मैथ्यू ब्रेडी ने विभिन्न समाचार क्षणों की तस्वीरें क्लिक की, जिनमें क्राइमा युद्ध के दौरान तस्वीरें ली गईं.
दुनिया की पहली सेल्फी
दुनिया की सबसे पहली सेल्फी जुलाई 1839 में रॉबर्ट कोर्नोलियस ने ली थी. ये सेल्फी उन्होंने अपने कैमरे के सामने खड़े होकर ली थी. उन्होंने ये सेल्फी फिलोडेल्फिया, पेनसिल्वेनिया, यूएसए में ली थी. रॉबर्ट को ऐसा करने के लिए लगभग 10-15 मिनिट तक तैयारी करनी पड़ी थी. बता दें कुछ और लोगों का दावा है कि दुनिया की पहली सेल्फी 1850 में ली गई थी. यह सेल्फी स्वीडिश आर्ट फोटोग्राफर ऑस्कर गुस्तेव रेंजलेंडर ने ली थी.
भारत में कब आई फोटोग्राफी
कहा जाता है कि ये देश में फोटोग्राफी की शुरुआत 16वीं शताब्दी में हो चुकी थी. यह भी कहा जाता है कि कैमरा आधिकारिक रूप से 1855 में भारत पहुंचा. रंगीन फोटो की शुरुआत 1970 के दशक के शुरू में हुई. रघुवीर सिंह ने कई दृश्यों को अपने कैमरे में कैद करने के लिए रंगीन फिल्म का उपयोग किया. दूरदर्शन पर 25 अप्रैल 1982 को रंगीन प्रसारण प्रारम्भ हुआ. फोटोग्राफी के बारे भारत के मशहूर फोटोग्राफर रघु राय कहते हैं कि हुनर सिखाया नहीं जाता है, हासिल किया जाता है, मैं आपको कैमरा तो दे सकता हूं, अंदर लेकिन आपके अंदर का विजन (नजर) पैदा नहीं कर सकता. वहीं बेरेनिस अबोट कहते हैं फोटोग्राफी देखने का हुनर सिखाती है.