12 जून 2025 को अहमदाबाद हवाई अड्डे के पास हुए एयर इंडिया की फ्लाइट AI 171 के भयानक हादसे ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया. इस त्रासदी ने न केवल 240 से ज्यादा लोगों की जान ले ली, बल्कि भारतीय विमानन उद्योग के लिए एक आर्थिक तूफान भी ला दिया, जिसके प्रभाव सालों तक महसूस किए जाएंगे. बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर का यह हादसा पिछले एक दशक में भारत का सबसे घातक विमान हादसा माना जा रहा है और संभवतः देश के इतिहास में सबसे महंगा बीमा दावा बन सकता है. लेकिन सवाल यह है कि इस भारी-भरकम आर्थिक बोझ को कौन उठाएगा?
यात्रियों और क्रू के लिए मुआवजा
इस हादसे में मुआवजे की राशि तय करने में 1999 का मॉन्ट्रियल कन्वेंशन अहम भूमिका निभाएगा. यह इंटरनेशनल ट्रीटी एविएशन कंपनियों की जिम्मेदारी तय करती है, जिसमें यात्रियों की मृत्यु, चोट, सामान की हानि या देरी शामिल है. इस संधि के अनुसार, एयर इंडिया को प्रत्येक मृत यात्री के लिए 151,880 स्पेशल ड्रॉइंग राइट्स (SDRs) का भुगतान करना होगा. SDRs अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की एक यूनिट है, जिसकी कीमत पांच मुद्राओं के आधार पर तय होती है. मौजूदा दरों के अनुसार, एक SDR की कीमत करीब ₹120 है, यानी प्रति यात्री मुआवजा लगभग ₹1.8 करोड़ होगा.
241 लोगों की मौत (231 यात्री और 10 क्रू मेंबर) के साथ, मॉन्ट्रियल कन्वेंशन के तहत एयर इंडिया की न्यूनतम मुआवजा देनदारी ₹435 करोड़ से अधिक होगी. हालांकि, क्रू मेंबर्स का मुआवजा आमतौर पर उनके जॉब कॉन्ट्रेक्ट या श्रमिक मुआवजा कानूनों के तहत तय होता है, न कि सीधे मॉन्ट्रियल कन्वेंशन के तहत. इससे कुल मुआवजा राशि में थोड़ा बदलाव हो सकता है.
मॉन्ट्रियल कन्वेंशन के तहत, एयर इंडिया को जांच पूरी होने से पहले ही प्रत्येक पीड़ित परिवार को कम से कम 16,000 SDRs (लगभग ₹18 लाख) का अग्रिम भुगतान करना होगा. यह राशि परिवारों की तत्काल जरूरतों, जैसे अंतिम संस्कार और अन्य खर्चों के लिए दी जाती है. अगर जांच में एयरलाइन की लापरवाही साबित होती है, तो पीड़ित परिवार इससे भी अधिक मुआवजा मांग सकते हैं.
इसके अलावा, टाटा ग्रुप, जो एयर इंडिया का मालिक है, ने प्रत्येक पीड़ित परिवार को ₹1 करोड़ का अतिरिक्त मुआवजा देने का वादा किया है. इसका मतलब है कि प्रति पीड़ित कुल मुआवजा ₹2.8 करोड़ तक पहुंच सकता है. यह राशि मॉन्ट्रियल कन्वेंशन के तहत तय मुआवजे से अलग है और टाटा ग्रुप की ओर से स्वैच्छिक सहायता है.
एयर इंडिया को बीमा से कितना मिलेगा?
1. हल इंश्योरेंस (विमान की बीमा राशि):
हल इंश्योरेंस एक विशेष प्रकार का विमानन बीमा है, जो विमान को होने वाले भौतिक नुकसान या पूर्ण नुकसान को कवर करता है. इसमें दुर्घटना, टक्कर, आग, प्राकृतिक आपदा या विमान के गायब होने जैसे जोखिम शामिल हैं. अहमदाबाद हादसे में शामिल बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर का हल इंश्योरेंस $80 मिलियन से $115 मिलियन (₹665 करोड़ से ₹960 करोड़) के बीच था. चूंकि विमान पूरी तरह नष्ट हो गया, बीमा कंपनियां संभवतः इसकी पूरी बीमा राशि का भुगतान करेंगी.
2. लायबिलिटी इंश्योरेंस (दायित्व बीमा):
मॉन्ट्रियल कन्वेंशन के तहत, एयरलाइंस को दायित्व बीमा रखना अनिवार्य है, ताकि वे दुर्घटना, चोट या नुकसान के मामले में यात्रियों और सामान के मालिकों को मुआवजा दे सकें. यह बीमा सुनिश्चित करता है कि एयरलाइंस के पास मॉन्ट्रियल कन्वेंशन के तहत तय दायित्वों को पूरा करने के लिए पर्याप्त वित्तीय संसाधन हों. इस मामले में, एयर इंडिया का दायित्व बीमा ₹435 करोड़ के यात्री मुआवजे और मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल सहित अन्य तीसरे पक्ष के नुकसान से संबंधित दावों को कवर करेगा.
कुल आर्थिक नुकसान कितना?
कुल मिलाकर, बीमा दावों और मुआवजा भुगतानों का अनुमान $120 मिलियन से $150 मिलियन (₹1,000–1,250 करोड़) के बीच है. इसमें शामिल हैं:
यह बोझ कौन उठाएगा?
एयर इंडिया के बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर का प्रमुख प्राथमिक बीमाकर्ता टाटा AIG जनरल इंश्योरेंस है, जो बीमा पॉलिसी में 40% से अधिक हिस्सेदारी रखता है. अन्य भारतीय बीमाकर्ताओं में न्यू इंडिया एश्योरेंस, ICICI लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस, यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस, ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी और नेशनल इंश्योरेंस कंपनी शामिल हैं. यह बीमा पॉलिसी हल इंश्योरेंस और दायित्व बीमा दोनों को कवर करती है.
हालांकि, इस तरह की त्रासदियों में रीइंश्योरेंस (पुनर्बीमा) की भूमिका अहम होती है. रीइंश्योरेंस वह प्रक्रिया है, जिसमें प्राथमिक बीमाकर्ता अपने जोखिम का एक हिस्सा अन्य बीमा कंपनियों (रीइंश्योरर्स) को ट्रांसफर करते हैं. भारतीय बीमाकर्ता आमतौर पर इस तरह की बड़ी विमानन पॉलिसियों में 10% से कम जोखिम रखते हैं. बाकी 90–95% जोखिम अंतरराष्ट्रीय रीइंश्योरर्स को ट्रांसफर कर दिया जाता है. इस मामले में, भारत का सरकारी रीइंश्योरर GIC Re केवल 4-5% जोखिम को कवर करता है, यानी ₹40-50 करोड़. शेष राशि, जो ₹1,000-1,250 करोड़ के बीच है, लंदन में AIG लंदन सहित अंतरराष्ट्रीय रीइंश्योरर्स द्वारा वहन की जाएगी.
भुगतान की समयसीमा क्या है?
मॉन्ट्रियल कन्वेंशन के तहत, एयरलाइंस को सभी दावों का निपटारा दो साल के भीतर करना होगा. इसके लिए पीड़ित परिवारों को मृत्यु प्रमाणपत्र और रिश्तेदारी का सबूत जैसे दस्तावेज जमा करने होंगे. यह केवल कन्वेंशन के तहत तय दायित्व पर लागू होता है. अगर एयरलाइन की लापरवाही साबित होती है, तो अतिरिक्त दावों का फैसला अदालत में हो सकता है.
क्या यह भारत का सबसे महंगा विमान हादसा है?
₹1,000-1,500 करोड़ के अनुमानित दावों के साथ, यह हादसा न केवल भारत की सबसे घातक विमानन त्रासदी है, बल्कि आर्थिक रूप से भी सबसे बड़ा बीमा दावा बन सकता है.
(नालिनी शर्मा की रिपोर्ट)