भारत का यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) अब दुनिया का सबसे बड़ा रिटेल रियल टाइम पेमेंट सिस्टम बन गया है. 1 जून 2025 को यूपीआई के जरिए 64.04 करोड़ ट्रांजेक्शन किए गए थे, जबकि 2 जून 2025 को यह आंकड़ा 65 करोड़ को भी पार कर गया. यह आंकड़े वीजा कार्ड के दैनिक ट्रांजेक्शन से भी अधिक हैं.
वीजा और मास्टर कार्ड को पीछे छोड़ा
यूपीआई ने 67 साल पुराने वीजा कार्ड और 59 साल पुराने मास्टर कार्ड को लेनदेन के मामले में पीछे छोड़ दिया है. मई 2024 में वीजा कार्ड का डेली ट्रांजेक्शन आंकड़ा 63.09 करोड़ था, जबकि यूपीआई का 60.20 करोड़ था. जून 2025 में यूपीआई का यह आंकड़ा 65 करोड़ को पार कर गया.
इतना रहा ग्रोथ
यूपीआई की ग्रोथ वीजा से चार गुना ज्यादा हुआ है. हर महीने यूपीआई से लेनदेन में पांच से सात फीसदी की वृद्धि देखने को मिली है. सालाना ग्रोथ 40 फीसदी है, जबकि वीजा कार्ड की सालाना ग्रोथ 10 फीसदी के आसपास है. यूपीआई की इस सक्सेस स्टोरी के पीछे देश की आबादी का बड़ा हाथ है. 140 करोड़ की जनसंख्या वाले भारत में 35 करोड़ से अधिक लोग यूपीआई का इस्तेमाल करते हैं. मई 2025 में यूपीआई के माध्यम से 1868 करोड़ बार ट्रांजेक्शन हुए, जिसमें 25 लाख करोड़ रुपए का लेनदेन हुआ.
नोटबंदी का प्रभाव
8 नवंबर 2016 को नोटबंदी के फैसले के बाद यूपीआई को बढ़ावा मिला. नोटबंदी के सात महीने पहले आरबीआई ने यूपीआई को लॉन्च किया था. इसका मकसद देश को कैशलेस बनाना था. नोटबंदी के बाद डिजिटल पेमेंट के मामले में वीजा और मास्टर कार्ड को चुनौती मिलने लगी.
यूपीआई का वैश्विक विस्तार
यूपीआई का इस्तेमाल अब भूटान, मलेशिया, संयुक्त अरब अमीरात, सिंगापुर, ओमान, कतर, रूस, फ्रांस, श्रीलंका, मॉरिशस जैसे देशों में भी हो रहा है. यह भारत की डिजिटल पेमेंट टेक्नोलॉजी का एक टर्निंग प्लाइंट हो सकता है.