ITR Filing: टैक्सपेयर्स (Taxpayers) आपको मालूम हो कि साल 2025 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax Return) यानी आईटीआर (ITR) फाइलिंग शुरू हो चुकी है. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (Income Tax Department) ने आईटीआर दाखिल करने के लिए सातों आयकर रिटर्न फॉर्म जारी कर दिए हैं. यदि आप किसी भी शुल्क या चार्ज से बचना चाहते हैं तो आयकर विभाग की तरफ से जारी ITR भरने की डेडलाइन से पहले आईटीआर फाइल जरूर कर लें. यदि आप पहले टैक्स भरेंगे तो आपके बैंक खाते में पहले रिफंड का पैसा आएगा. इतना ही नहीं यदि आईटीआर फॉर्म भरने में कोई गलती हो गई है तो आप समय रहते उसमें सुधार भी कर सकते हैं.
आईटीआर भरने के लिए क्या है डेडलाइन
1. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने किसी भी व्यक्ति, HUFs, AOPs, BOIs के लिए आईटीआर दाखिल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई 2025 तय की है. इसमें वे करदाता शामिल हैं, जिन्हें ऑडिट करने की जरूरत नहीं है.
2. ऐसे प्रोफेशनल्स और बिजनेसमैन जिन्हें ऑडिट की जरूरत है, उनके लिए ITR दाखिल करने की अंतिम तिथि 31 अक्टूबर 2025 है.
3. घरेलू कंपनियों के लिए इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि 31 अक्टूबर 2025 है.
5. रिवाइज्ड रिटर्न के लिए आखिरी तारीख 31 दिसंबर 2025 तय की गई है.
आईटीआर फाइल करने की डेडलाइन पार करने पर देना होगा जुर्माना
1. यदि किसी व्यक्ति की सालाना आय पांच लाख रुपए से कम है तो आईटीआर फाइल करने की डेडलाइन पार करने पर 1000 रुपए जुर्माना देना होगा.
2. यदि किसी व्यक्ति की वार्षिक आय पांच लाख रुपए से ज्यादा है तो आईटीआर फाइल करने की डेडलाइन पार करने पर सेक्शन 234F के तहत 5000 रुपए पेनल्टी देनी होगी.
3. यदि कोई टैक्सपेयर लेट पेनल्टी के साथ भी टैक्स नहीं चुकाते हैं तो उन्हें सेक्शन 234A के तहत हर महीने एक फीसदी ब्याज देना होगा.
कौन से टैक्स रिजीम का चुनाव सही
आपको मालूम हो कि आईटीआर दाखिल करने के लिए करदाताओं के पास दो टैक्स रिजीम (ओल्ड टैक्स रिजीम और न्यू टैक्स रिजीम) में से किसी एक को चुनने का ऑप्शन है. इनकम टैक्स एक्ट की धारा 115BAC में न्यू टैक्स रिजीम (New Tax Regime) को डिफॉल्ट टैक्स रिजीम बना दिया गया है. हालांकि आप चाहें तो ओल्ड टैक्स रिजीम (Old Tax Regime) के तहत आईटीआर फाइल कर सकते हैं. इसके लिए आपको इसे खुद से बदलना होगा. न्यू और ओल्ड टैक्स रिजीम दोनों में अलग-अलग टैक्स छूट मिलती है. आपको यह तय करना होगा कि आपके लिए कौन टैक्स रिजीम फायदेमंद है. आप अपनी आय, खर्च और निवेश के आधार पर दोनों की तुलना करके सही विकल्प चुन सकते हैं. न्यू टैक्स रिजीम का चुनाव करने पर आपको साल में 12 लाख रुपए तक की कमाई पर कोई टैक्स नहीं देना होगा.
स्टैंडर्ड डिडक्शन के साथ यह छूट और बढ़ जाएगी. न्यू टैक्स रिजीम में 75 हजार रुपए स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ मिलेगा. इस तरह से जिनकी सैलरीड इनकम सालाना 12.75 लाख रुपए है, उन्हें कोई इनकम टैक्स नहीं देना होगा. करदाता इस बात का ध्यान रखें कि ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत सेक्शन 80सी जैसी टैक्स छूट न्यू टैक्स रिजीम नहीं मिलती है. ओल्ड टैक्स रिजीम 2.5 लाख तक की सालाना आय टैक्स-फ्री है. उसके बाद 5 प्रतिशत, 20 प्रतिशत और 30 प्रतिशत के स्लैब लागू होंगे. डिडक्शन जैसे 80C (1.5 लाख रुपए), 80D (25000-50000 रुपए) और होम लोन ब्याज (2 लाख रुपए तक) मिलेंगे. यदि आप HRA, होम लोन या बड़े निवेश का लाभ लेते हैं तो ओल्ड रिजीम आपके लिए लाभदायक हो सकता है. यदि आप किराए के घर में रहते हैं, होम लोन चुकाते हैं या बड़े मेडिकल खर्च उठाते हैं तो फिर ओल्ड टैक्स रिजीम के बारे में सोच सकते हैं. यदि आपकी आय 15 लाख रुपए से ज्यादा है और आप डिडक्शन का लाभ लेते हैं तो ओल्ड रिजीम में टैक्स कम हो सकता है.
आईटीआर भरते समय ये डॉक्यूमेंट्स रखें अपने पास
आईटीआर भरने के लिए आधार और पैन कार्ड की जरूरत होती है. इसके अलावा बैंक अकाउंट डिटेल, सैलरीड पर्सन के लिए फॉर्म 16, टीडीएस सर्टिफिकेट, टैक्स डिडक्शन के दावे के लिए इनवेस्टमेंट प्रूफ, बैंकों और डाकघरों से मिले ब्याज का प्रूफ, छूट क्लेम करने के लिए डोनेशन किया है तो उसकी रसीद, स्टॉक ट्रेडिंग स्टेटमेंट, इंश्योरेंस पॉलिसी की रसीद, आधार से वैलिडेट बैंक खाता, बैंक से लिया ब्याज सर्टिफिकेट सहित निवेश के अन्य डॉक्यूमेंट्स की जरूरत पड़ती है.