इंडिगो संकट के बीच सुर्खियों में आए राहुल भाटिया! देश के सबसे बड़े एयरलाइन के मालिक हैं, जानिए इंडिगो के मास्टरमाइंड के बारे में

देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो की सर्विस सोमवार को भी पटरी पर नहीं लौट सकी हैं. दिल्ली, श्रीनगर, हैदराबाद, बेंगलुरु और अहमदाबाद एयरपोर्ट से अब तक 200 से ज्यादा फ्लाइट कैंसिल हो चुकी हैं.

Rahul Bhatia/Photo: Getty
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 08 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 12:14 PM IST

देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो की सर्विस सोमवार को भी पटरी पर नहीं लौट सकी हैं. दिल्ली, श्रीनगर, हैदराबाद, बेंगलुरु और अहमदाबाद एयरपोर्ट से अब तक 200 से ज्यादा फ्लाइट कैंसिल हो चुकी हैं. एक दिन पहले एयरलाइन ने 650 से ज्यादा उड़ानें रद्द कर दी थीं. हालांकि कंपनी का दावा है कि उसकी 2,300 डेली फ्लाइट्स में से 1,650 ऑपरेट हो रही हैं.

इंडिगो के सीईओ पीटर एल्बर्स ने कहा है कि हालात हर दिन सुधार रहे हैं और 10 दिसंबर तक ऑपरेशन पूरी तरह सामान्य हो जाएंगे. पहले कंपनी ने 10 से 15 दिसंबर तक सुधार होने की बात कही थी. इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने इंडिगो के खिलाफ दायर याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया. CJI सूर्यकांत ने कहा कि केंद्र सरकार पहले ही कदम उठा चुकी है. मामले की सुनवाई 10 दिसंबर को होगी.

इंडिगो संकट के बीच सुर्खियों में आए राहुल भाटिया
इंडिगो इन दिनों बुरे दौर से गुजर रही है. हजारों यात्री एयरपोर्ट पर फंसे हैं, फ्लाइट शेड्यूल अस्त-व्यस्त है. सोशल मीडिया पर एयरलाइन की जमकर ट्रोलिंग हो रही है. इस पूरे संकट के बीच सबसे ज्यादा नजरें जिस शख्स पर टिकी हैं, वो हैं राहुल भाटिया. राहुल इंडिगो के को-फाउंडर और इंटरग्लोब एविएशन के मैनेजिंग डायरेक्टर हैं. आम तौर पर मीडिया से दूरी बनाकर रखने वाले भाटिया अचानक से लाइमलाइट में आ गए हैं.

राहुल भाटिया का जन्म दिल्ली की एक बिजनेस फैमिली में हुआ. 66 साल के राहुल भाटिया ने कनाडा की यूनिवर्सिटी ऑफ वाटरलू से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. घर लौटे तो इरादा टेलीकॉम बिजनेस शुरू करने का था, लेकिन सरकारी मंजूरी न मिलने से उन्हें अपना फोकस बदलना पड़ा. इसके बाद उन्होंने अपने पिता कपिल भाटिया की दिल्ली एक्सप्रेस ट्रैवल एजेंसी को संभाला और कुछ ही सालों में इसे इंटरग्लोब एंटरप्राइजेस में बदल दिया. ये कंपनी IT सर्विसेज, BPO, ट्रैवल, ट्रांसपोर्टेशन, हॉस्पिटैलिटी का काम करती थी. 

यहीं से शुरू हुई इंडिगो की कहानी
2004 में इंटरग्लोब एविएशन लिमिटेड (IndiGo) रजिस्टर हुई और एयरलाइन लाइसेंस मिलते ही राहुल भाटिया ने दुनिया को चौंका दिया. उन्होंने सीधे 5 लाख 43 हजार करोड़ के 100 एयरबस A320 का ऑर्डर दे दिया, जो उस समय दुनिया का सबसे बड़ा एयरबस ऑर्डर था. इसके बाद उन्होंने अपने पुराने दोस्त राकेश गंगवाल को पार्टनर बनाया. गंगवाल इंडस्ट्री के दिग्गज थे. IIT कानपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग, व्हार्टन से MBA और यूनाइटेड एयरलाइंस में टॉप लेवल मैनेजमेंट. दोनों ने मिलकर इंडिगो की बुनियाद रखी. कंपनी को अपना पहला जहाज उड़ाने में 2 साल का वक्त लग गया. 28 जुलाई 2006 को इंडिगो को अपना पहला एयरबस मिला.

2010 तक इंडिगो भारत की लगभग 20% मार्केट शेयर पकड़ चुकी थी. कुछ साल बाद इंडिगो भारत की नंबर 1 एयरलाइन बन गई. इंटरग्लोब एविएशन 2016 में लिस्टेड हुई और दोनों पार्टनर अरबपति बन गए. लेकिन इसके बाद दोनों के बीच मतभेद शुरू होने लगे. गंगवाल चाहते थे एयरलाइन तेजी से विस्तार करे. जबकि राहुल भाटिया ज्यादा सतर्क और धीरे-धीरे बढ़ने के पक्ष में थे.

गंगवाल के पास इंडिगो की 13.5% हिस्सेदारी ही
गंगवाल ने आरोप लगाया कि भाटिया बोर्ड और मैनेजमेंट दोनों पर कंट्रोल रखते हैं. उन्होंने SEBI में शिकायत दर्ज कराई, कानूनी लड़ाई लड़ी और यहां तक कि शिकायत की कॉपी प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री, वाणिज्य मंत्री और DGCA को भी भेज दी. लंबी जद्दोजहद के बाद 2022 में गंगवाल ने बोर्ड से इस्तीफा दे दिया और अपनी हिस्सेदारी धीरे-धीरे बेचने की घोषणा की. आज उनके पास लगभग 13.5% शेयर ही बचे हैं.

इंडिगो के पास 400 विमान, 65% मार्केट शेयर
इंडिगो के पास 400 एयरबस विमान हैं. इंडिगो की रोजाना 2,200 फ्लाइट्स ऑपरेट होती हैं और यह मार्केट शेयर का 65% है. कंपनी अब प्रोफेशनल टीम चला रही है. CEO पीटर एल्बर्स पहले KLM रॉयल डच एयरलाइंस के प्रमुख रह चुके हैं. आज राहुल भाटिया की नेट वर्थ करीब 72 हजार करोड़ रुपए है.

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