Initiative of Ministry of Education: शिक्षा मंत्रालय की पहल, पढा़ई किसी भाषा में, लेकिन परीक्षा पसंदीदा भाषा में दे सकेंगे छात्र

उच्च शिक्षण संस्थानों में कई पाठ्यक्रमों में अब तक सभी भारतीय भाषाओं में पढ़ाई शुरू नहीं हुई है. ऐसे में कई छात्रों को इसमें दिक्कत होती है. लेकिन शिक्षा मंत्रालय ने अब नई पहल की है, जिसके मुताबिक छात्र किसी भी भाषा में पढ़ाई करें, लेकिन वो अपनी पसंदीदा भाषा में परीक्षा दे सकते हैं.

Students (Photo/Meta AI)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 25 जून 2025,
  • अपडेटेड 3:15 PM IST

शिक्षा मंत्रालय ने बड़ी पहल की है. उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई किसी भी भाषा में हो, लेकिन छात्र अपनी पसंद की भाषा में परीक्षा दे सकेंगे. परीक्षार्थियों को परीक्षा के पहले भाषा का माध्यम बताना होगा. आज भी मेडिकल और इंजीनियरिंग जैसे उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई सभी भारतीय भाषाओं में नहीं होती है. लेकिन अब छात्र अपनी पसंदीदा भारतीय भाषा में परीक्षा दे सकते हैं. शिक्षा मंत्रालय ने ये पहल भारतीय भाषाओं में उच्च शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए किया है.

पढ़ाई किसी भाषा में, परीक्षा पसंदीदा भाषा में-
शिक्षा मंत्रालय ने यूजीसी, एआईसीटीई समेत उच्च शिक्षा से जुड़े सभी नियामकों को इसको लेकर निर्देश दिए हैं. इसके तहत भले ही छात्र ने अंग्रेजी या किसी दूसरी भाषा में पढ़ाई की हो, लेकिन अगर छात्र चाहें तो वो अपनी पसंद की भाषा में परीक्षा दे सकते हैं. चाहे वो भाषा कोई भी हो. लेकिन एक शर्त ये है कि छात्रों को परीक्षा से पहले भाषा के बारे में जानकारी देनी होगी.

13 भाषाओं में परीक्षाओं का आयोजन-
देश में जेईई मेन, नीट जैसी परीक्षाओं का आयोजन 13 भाषाओं में हो रहा है. इसमें हिंदी, कन्नड़, तमिल और उर्दू जैसी भाषा शामिल है. छात्र इन सभी भाषाओं में इंजीनियरिंग, मेडिकल जैसे उच्च शिक्षा से जुड़े दूसरे पाठ्यक्रमों में दाखिला ले रहे हैं. लेकिन अंग्रेजी भाषा में पढ़ाई उनके लिए मुसीबत बन जाती है. रिपोर्ट के मुताबिक मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि सभी संस्थानों को इन पाठ्यक्रमों को सभी भारतीय भाषाओं में पढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है.

जब तक इन भाषाओं में पाठ्यक्रम सामने नहीं आ जाता है, तब तक उनको परीक्षा की भाषा को विकल्प के तौर पर चुनने की सुविधा मिलेगी. ज्यादातर छात्र अंग्रेजी में पढ़ाई तो कर लेते हैं, लेकिन जब परीक्षा की बारी आती है तो उसमें पीछे रह जाते हैं. उनको लिखने में दिक्कत होती है. इसलिए उच्च शिक्षा का सकल नामांकन अनुपात 29 फीसदी है. शिक्षा मंत्रालय की इस पहल से जीईआर में बदलाव होगा. 

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