Exclusive: इंजीनियरिंग और मेडिकल के एग्जाम के लिए मुफ्त में कोचिंग करवाता है दक्षणा फाउंडेशन... हजारों बच्चों के सपनों को दे चुका है पंख, Super-30 से है इंस्पायर्ड   

हर साल हजारों बच्चे IIT और NEET का एंट्रेंस एग्जाम देते हैं. कोचिंग के लिए वे लाखों-लाखों रुपये खर्च करते हैं. हालांकि, बच्चों के सपनों को पूरा करने के लिए दक्षणा फाउंडेशन मुफ्त में कोचिंग देता है. इसके लिए बच्चों का पहले टेस्ट लिया जाता है. जो बच्चे इस टेस्ट को पास करते हैं उन्हें ही इसमें दाखिला मिलता है. दक्षणा के प्रोग्राम डायरेक्टर रवि रंजन पांडेय बताते हैं कि दक्षणा फाउंडेशन का कॉन्सेप्ट आंनंद कुमार के Super-30 से इंस्पायर्ड  है.

Dakshana Foundation
अपूर्वा सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 04 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 9:59 AM IST
  • अभी तक 6 हजार से ज्यादा बच्चे कर चुके हैं तैयारी
  • सुपर-30 से इंस्पायर है दक्षणा फाउंडेशन 

हर साल हजारों बच्चे आईआईटी (IIT) और मेडिकल एग्जाम (Medical Exam) की कोचिंग करते हैं. जाहिर सी बात है कि एग्जाम के लिए बच्चे दिलो-जान से मेहनत और तैयारी करते हैं. इसकी तैयारी के लिए ज्यादातर कोचिंग इंस्टिट्यूट क्लास 9वीं से आईआईटी जेईई (IIT-JEE) की तैयारी शुरू करा देते हैं. चुने हुए कोर्स और कॉल्स के आधार पर कोचिंग खर्च अलग-अलग होता है. ये खर्चा 80,000 रुपये से लेकर 1 लाख यहां तक कि 2 लाख रुपये तक भी जा सकता है. लेकिन इतने पैसे किसी भी मध्यमवर्गीय परिवार (Middle Class Family) के लिए देना एक बड़ा सवाल है. हालांकि, लोगों के पास इतनी भारी भरकम फीस देने की बजाय फ्री में तैयारी करने का ऑप्शन भी है. इन्हीं में से एक है दक्षणा फाउंडेशन. साल 2007 में बना दक्षणा फाउंडेशन अभी तक 6 हजार से ज्यादा बच्चों को इंजीनियरिंग और मेडिकल के एग्जाम की तैयार करवा चुका है. सबसे खास बात है कु ये फ्री कोचिंग (Free Coaching) होती है.

दक्षणा फाउंडेशन के सिलेक्शन प्रोसेस और इसके बारे में और जानने के लिए GNT डिजिटल ने रवि रंजन पांडेय (Ravi Ranjan Pandey) जो दक्षणा के प्रोग्राम डायरेक्टर (एकेडेमिक्स) हैं, से बात की. बता दें, रवि खुद दक्षणा स्कॉलरशिप प्रोग्राम का हिस्सा रहे हैं. 2007 में जब पहला बैच शुरू हुआ था तब रवि भी उसका हिस्सा थे. इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद, पिछले 8 साल से रवि दक्षणा से जुड़े हुए हैं.

सुपर-30 से इंस्पायर है दक्षणा फाउंडेशन 

रवि रंजन ने बताया कि दक्षणा फाउंडेशन,  बिहार के आनंद कुमार के सुपर-30 (Super-30) से इंस्पायर्ड है. रवि कहते हैं, “ये एक एनजीओ है, जो मोहनीश पैबराय (Mohnish Pabrai) द्वारा साल 2007 में शुरू किया गया था. इससे कुछ साल पहले उन्होंने सोचा कि जो चीजें उन्होंने दुनिया से सीखी हैं उसका कुछ हिस्सा समाज को वापस किया जाए. ये आनंद कुमार के सुपर-30 से इंस्पायर्ड है. जब उन्होंने सबसे पहले इसके बारे में जाना तो वे आनंद कुमार से मिले और इसपर सोच विचार शुरू किया कि इसको स्केलअप किस तरह किया जा सकता है. इसी बीच मोहनीश पैबराय को नवोदय विद्यालय (Navodaya Vidyalaya) की जानकारी मिली कि भारतवर्ष में जवाहर नवोदय जैसी एक संस्था है, जो बच्चों को मुफ्त में पढ़ाती है. तब उन्होंने जवाहर नवोदय के साथ मिलकर विचार साझा किए. शुरुआत में प्लान ये था कि बच्चों को आईआईटी के लिए तैयार किया जाएगा और इसीलिये नवोदय में साथ एमओयू बनाया गया. साथ ही नवोदय के जो 10वीं और 12वीं में मैथ्स और साइंस में अच्छा स्कोर करने वाले बच्चों को एक जगह लाकर एंट्रेंस एग्जाम करवाया गया. उसके आधार पर 8 अलग-अलग कैंपस में 40-40 बच्चों को रखा गया और वहां से 2007 में दक्षणा की शुरुआत हुई.”

जेएनवी रांची में छात्रों के दूसरे बैच (2008-10) के साथ मोहनीश पबराई

किस तरह होता है एडमिशन? 

रवि ने बताया कि दक्षणा इस वक्त दो प्रोग्राम चलाता है. जिसमें एक प्रोग्राम 1 साल (1-Year Program) वाला है और दूसरा प्रोग्राम 2 साल (2-Year Program) है. चलिए जानते हैं इन दोनों प्रोग्राम में सिलेक्शन का क्या प्रोसेस होता है-

2-Year Program

2-ईयर प्रोग्राम में 10वीं और 12वीं के बच्चों को उनकी पढ़ाई के साथ इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई करवाई जाती है. ये प्रोग्राम 6 नवोदय के कैंपस में चल रहा है. जिसमें बैंगलोर, अर्बन-बैंगलोर, रूरल बैंगलोर, जेएनवी पुणे, कोट्टयम (केरल) में और लखनऊ शामिल है. इस प्रोग्राम में केवल नवोदय के बच्चों को चुना जाता है. पूरे भारत में नवोदय के वो बच्चे जो जेईई या नीट की तैयारी का सोच रहे हैं, वे इस स्कॉलरशिप के लिए अप्लाई करते हैं. 

2-साल के वाले प्रोग्राम के प्रोसेस की बात करें, तो बच्चों का 10वीं का जो टर्म-1 का एग्जाम होता है, उसके आधार पर बच्चों को शॉर्टलिस्ट किया जाता है. हर साल करीब 8 हजार से 9 हजार बच्चों को शॉर्टलिस्ट किया जाता है और उनका फिर फाइनल सिलेक्शन के लिए नवोदय दक्षणा सिलेक्शन टेस्ट (NDST) करवाया जाता है. जो भी बच्चे इसे क्वालीफाई करते हैं, उन बच्चों को इन कैंपस में लाकर आगे की तैयारी करवाई जाती है.

1-Year Program

दूसरा होता है 1-ईयर प्रोग्राम. इसमें जो बच्चे स्कूल के बाद इंजीनियरिंग या मेडिकल की तैयारी करने चाहते हैं उन्हें सेलेक्ट किया जाता है. इसके लिए दक्षणा का एक अलग कैंपस है. पुणे शहर से 60 किलोमीटर की दूरी पर ये कैंपस पड़ता है. कैंपस में 200 लड़कियां और 400 लड़कों की पढ़ाई की व्यवस्था है. इन बच्चों का सिलेक्शन प्रोसेस एग्जाम के आधार पर होता है. इसके लिए भारत का कोई भी बच्चा अप्लाई कर सकता है. बस अप्लाई करने की शर्त ये होती है कि उस बच्चे ने किसी सरकारी स्कूल से अपनी 11वीं और 12वीं की पढ़ाई की हो. साथ ही बच्चे की माता-पिता का जो इनकम क्राइटेरिया (Income Criteria) होता है उसपर भी ध्यान रखा जाता है. ये इनकम 2 लाख प्रति साल से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. 

अप्लाई करने के लिए बच्चे दक्षणा की वेबसाइट पर जाकर जॉइंट दक्षणा सिलेक्शन टेस्ट (JDST) पर अप्लाई कर सकते हैं. जिन भी बच्चों की एप्लीकेशन आती है उनके 10वीं के मैथ्स और साइंस के मार्क्स के आधार पर बच्चों को शॉर्टलिस्ट किया जाता है. इसके बाद उन्हें एक फॉर्म दिया जाता है जिसमें वे इनकम से लेकर सभी इन्फॉर्मेशन भरते हैं. फिर उनका जिडीएसटी एग्जाम होता. 

मुफ्त में करते हैं बच्चे तैयारी

बता दें, परीक्षा भारत के 500 से ज्यादा सेंटर पर करवाई जाती है. लगभग सभी जिलों में ये एग्जाम करवाया जाता है. इसके बाद एक पर्सनल इंटरव्यू (Personal Interview) भी करवाया जाता है. जिसको क्लियर करने के बाद ही बच्चों को कैंपस में एडमिशन दिया जाता है. हर साल इसी तरह से 600 बच्चे चुने जाते हैं. इसमें से लगभग 300 बच्चे इंजीनियरिंग के लिए तैयार किए जाते हैं और 300 मेडिकल के लिए. बच्चों को पुणे के कैंपस में किताबों से लेकर बेसिक जरूरतों की चीजें भी मुहैया करवाई जाती हैं. 1 साल तक ये बच्चे फ्री में तैयारी करते हैं. 

हर साल कई बच्चे करते हैं तैयारी

अभी तक 6 हजार से ज्यादा बच्चे कर चुके हैं तैयारी

आंकड़ों के बारे में बात करते हुए रवि ने बताया कि अभी तक जितने भी दक्षणा में बच्चों को पढ़ाया गया है उनमें तकरीबन 6290 बच्चे ने जेईई और नीट की तैयारी की है और इनमें से 65% यानी 4055 बच्चों को सरकारी मेडिकल कॉलेज में या आईआईटी में सीट मिली हुई है. रवि कहते हैं, “इस साल की बात करें तो 2022 में मेडिकल की पढ़ाई के लिए 382 बच्चे थे और उसमें से 215 बच्चों को गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में सीट मिलने वाली है. इन बच्चों में से 110 बच्चों को एम्स में डेट मिलेगी. हमारी बेस्ट रैंक 57 रही थी, शिवम वर्मा नाम के बच्चे की. इसी तरह से लद्दाख का टॉपर भी दक्षणा का ही बच्चा रहा है. वहीं इंजीनियरिंग की बात करें, तो जेईई के लिए इस बैच में 421 बच्चे थे. उनमें से 68% बच्चों को आईआईटी में सीट ऑफर होगी.”

सीट बढाने की है योजना 

बताते चलें कि अब दक्षणा सीटों को बढ़ाने की योजना बना रहा है. रवि कहते हैं, “भविष्य के लिए हम इन 600 सीट्स को बढ़ाकर 2600 सीट करने की योजना बना रहे हैं. आगे 10 साल में हम इस टारगेट को पूरा करने के प्लान कर रहे हैं. इसके अलावा जैसे हमारा नवोदय के साथ है ठीक ऐसा ही हम दूसरी सरकारों के साथ करने का ट्राई कर रहे हैं. हम एकलव्य मॉडल रेजिडेंशियल स्कूल (EMRS) के लिए सोच रहे हैं. सेंटर के लिए हम उसे बढाने का प्लान कर रहे हैं.”

संस्थापक मोहनीश पैबराय और सीईओ कमांडर अरुण कुमार मिश्रा


 

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