Success Story: देसी टैलेंट का कमाल! हार्वर्ड में पढ़ेगा किसान का बेटा, लिख चुके हैं 2 किताबें, ग्लोबल कंपनी का CEO बनना है सपना

महाराष्ट्र के कोल्हापुर के एक किसान परिवार में पैदा हुए विवेक हनमंत सुतार को हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में दाखिला मिला है. विवेक सिर्फ 16 साल की उम्र में 2 किताबें लिख चुके थे. उस समय वो 10वीं क्लास में पढ़ते थे. विवेक सुतार का सपना किसी ग्लोबल कंपनी का सीईओ बनना है.

Harvard University
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 29 मई 2025,
  • अपडेटेड 1:16 PM IST

दुनिया के सबसे बड़े शिक्षा मंच हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में दाखिला पाना बड़ी बात है. लेकिन भारत के किसी गांव में कोई लड़का हार्वर्ड में पढ़ने का जाता है तो ये किसी सपने के पूरे होने जैसा है. महाराष्ट्र के एक गांव के रहने वाला एक लड़का हार्वर्ड यूनिवर्सिटी पहुंच गया है. उस लड़के के पिता किसान हैं. ये लड़का 16 साल की उम्र में 2 किताबें लिख चुका है.

हार्वर्ड में पढ़ेगा किसान का बेटा-
महाराष्ट्र के इस लड़के का नाम विवेक हनमंत सुतार है. ये कोल्हापुर के कागल तालुका के छोटे से गांव वाल्वे खुर्द के रहने वाले हैं. उनके पिता एक किसान हैं. वो खेतों  में काम करते हैं. विवेक भी अपने पिता के साथ खेतों में काम करते हैं. मेहनत और लगन के दम पर विवेक ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में दाखिला पाया है. विवेद ने इस बेहद कठिन प्रतियोगिता में जगह बनाकर साबित कर दिया है कि मेहनत से सबकुछ संभव है. विवेक को ये मौका इंटरनेशनल बैकलॉरिएट कोर्स में शानदार प्रदर्शन, सामाजिक कामों में भागीदारी के चलते मिला है.

CEO बनना है विवेक का सपना-
विवेक हनमंत सुतार हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ेंगे तो अपने गांव का  नाम रोशन करेंगे. विवेक का सपना एक दिन किसी बड़ी और नामी कंपनी का सीईओ बनने का है. विवेक का कहना है कि उनको छत्रपति शाहू महाराज के विचारों से प्रेरणा मिलती है. विवेक गांव में रहते हैं, लेकिन उन्होंने पढ़ाई को प्राथमिकता दी. विवेक ने आर्थिक मदद की जरूरत भी बताई है और इसके लिए सीएम देवेंद्र फडणवीस को लेटर भेजा है.

16 साल की उम्र में लिखी किताबें-
विवेक सुतार की सोच और लेखनी अगल और खास है. जब विवेक 16 साल के थे और 10वीं क्लास में पढ़ते थे तो उन्होंने 2 किताबें लिखी थी. उनकी किताबों के नाम इकोज ऑफ इमोशन और हीलिंग पेजेस है. विवेक की किताब हीलिंग पेसेज 700 पन्नों की किताब है. विवेक की सपलता में गांववालों और समाज का भी योगदान है. आसपास के लोगों ने उनका हौसला बढ़ाया और सहयोग किया.

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में दाखिला पाना काफी कठिन होता है. हर साल दुनियाभर से करीब 3.5 लाख विद्यार्थी आवेदन करते हैं. लेकिन दाखिला सिर्फ 700 छात्रों को मिलता है.

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