जंजीर से लेकर नायक तक… मालिकाना हक के पचड़ों में फंस चुकी हैं, जानें प्रोडूसर, राइटर, डायरेक्टर… कौन होता है फिल्म का असली मालिक, भारत में रीमेक को लेकर क्या नियम हैं?

कॉपीराइट एक्ट की धारा 51 के तहत, अगर कोई व्यक्ति बिना कॉपीराइट मालिक की अनुमति के उसका विशेष अधिकार इस्तेमाल करता है, तो यह उल्लंघन माना जाता है. फिल्म के मामले में, ‘कॉपी’ का मतलब ‘अनुकूलन’ (adaptation) से है. यानी, प्रोड्यूसर को फिल्म की कॉपी या रीमेक बनाने का विशेष अधिकार होता है.

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gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 15 मई 2025,
  • अपडेटेड 12:51 PM IST

बॉलीवुड के ‘मिस्टर परफेक्शनिस्ट’ आमिर खान की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘सितारे जमीन पर’ चर्चा में है. इस बार आमिर ने टीचर का किरदार छोड़कर एक बास्केटबॉल कोच की भूमिका अपनाई है, जो अदालत के आदेश पर बौद्धिक रूप से अक्षम खिलाड़ियों की टीम को ट्रेनिंग देता है..

‘सितारे जमीन पर’ का ट्रेलर रिलीज होते ही ‘X’ पर दो धड़े बन गए. एक तरफ वे लोग हैं जो आमिर की हिम्मत और संवेदनशील विषय चुनने की तारीफ कर रहे हैं. एक यूजर ने लिखा, “आमिर ने ‘तारे जमीन पर’ से डिस्लेक्सिया पर बात शुरू की थी, और अब ‘सितारे जमीन पर’ बौद्धिक अक्षमता को मुख्यधारा में लाएगी. यह फिल्म समाज को बदलेगी!” दूसरी तरफ, कुछ यूजर्स ने इसे पुराने फॉर्मूले की नकल बताया. एक पोस्ट में लिखा गया, “आमिर फिर वही इमोशनल ड्रामा लेकर आए हैं.

इस विवाद ने एक बार फिर बॉलीवुड में रीमेक और कॉपीराइट के सवाल को हवा दी है. 

रीमेक और कॉपीराइट है बॉलीवुड का पुराना खेल
बॉलीवुड में रीमेक का चलन कोई नया नहीं है. 80-90 के दशक में ‘सत्ते पे सत्ता’ (हॉलीवुड की ‘सेवन वाइव्स फॉर सेवन ब्रदर्स’ से प्रेरित) और ‘दिल है कि मानता नहीं’ (हॉलीवुड की ‘इट हैपन्ड वन नाइट’ से प्रेरित) जैसी फिल्में बिना औपचारिक अनुमति के बनाई गईं. लेकिन अब समय बदल चुका है. हॉलीवुड और बॉलीवुड के बीच सहयोग बढ़ने के साथ, भारतीय प्रोड्यूसर्स अब रीमेक के लिए कानूनी अनुमतियां लेने में सतर्कता बरतते हैं. उदाहरण के लिए, हॉलीवुड की ‘वेडिंग क्रैशर्स’ जैसी फिल्मों के रीमेक राइट्स अब औपचारिक रूप से खरीदे जाते हैं.

रीमेक का मतलब है मूल कहानी पर आधारित एक नई फिल्म, जिसमें आधुनिकता या अपडेटेड तत्व जोड़े जाते हैं. यह सीक्वल (जैसे ‘स्पाइडरमैन’ या ‘लेथल वेपन’ सीरीज) से अलग है, जहां किरदार वही रहते हैं, लेकिन कहानी बदल जाती है. रीमेक का अधिकार प्रोड्यूसर के पास होता है, जिसे वह लाइसेंस या असाइनमेंट के जरिए किसी तीसरे पक्ष को दे सकता है. अगर बिना अनुमति रीमेक बनाया जाए, तो यह कॉपीराइट उल्लंघन माना जाता है.

फिल्म का असली मालिक कौन?
भारतीय कॉपीराइट एक्ट, 1957 के 'सिनेमैटोग्राफ फिल्म' की कैटेगिरी में आती है, और इसका प्रोड्यूसर ही इसका एकमात्र लेखक और मालिक माना जाता है. धारा 14 के तहत, प्रोड्यूसर को साहित्यिक, नाटकीय, संगीतमय या कलात्मक कार्य को रेगुलेट करने का विशेष अधिकार मिलता है. लेकिन फिल्म बनाने में स्क्रिप्ट राइटर, संगीतकार, डायरेक्टर, और एक्टर्स जैसे कई लोग शामिल होते हैं. इन सभी के योगदान का कॉपीराइट किसके पास होता है? और रीमेक के मामले में क्या नियम लागू होते हैं? यह सवाल बॉलीवुड में बार-बार विवाद का कारण बनता है.

कॉपीराइट का मूल सिद्धांत
कॉपीराइट कानून का एक बुनियादी सिद्धांत है कि किसी आइडिया पर कॉपीराइट नहीं हो सकता, लेकिन उसकी अभिव्यक्ति पर हो सकता है. उदाहरण के लिए, सात भाइयों की सात महिलाओं से शादी और उससे जुड़े हास्यपूर्ण दृश्यों का आइडिया कॉपीराइट के दायरे में नहीं आता. लेकिन उस आइडिए से बनी फिल्म (‘सत्ते पे सत्ता’) कॉपीराइट के तहत संरक्षित होती है. इसका मतलब है कि कोई दूसरा प्रोड्यूसर उसी आइडिए पर नई फिल्म बना सकता है, बशर्ते वह मूल फिल्म की कहानी, डायलॉग्स, या दृश्यों की नकल न करे.

रीमेक के लिए लाइसेंस
कॉपीराइट एक्ट की धारा 51 के तहत, अगर कोई व्यक्ति बिना कॉपीराइट मालिक की अनुमति के उसका विशेष अधिकार इस्तेमाल करता है, तो यह उल्लंघन माना जाता है. फिल्म के मामले में, ‘कॉपी’ का मतलब ‘अनुकूलन’ (adaptation) से है. यानी, प्रोड्यूसर को फिल्म की कॉपी या रीमेक बनाने का विशेष अधिकार होता है. रीमेक बनाने के लिए प्रोड्यूसर से लाइसेंस लेना जरूरी है, वरना यह कानूनी उल्लंघन माना जाएगा.

रीमेक की पहचान का टेस्ट यह है कि दोनों फिल्मों में जानबूझकर कितनी समानताएं हैं. अगर कहानी, किरदार, और दृश्य मूल फिल्म से मिलते-जुलते हैं, तो यह रीमेक माना जाएगा. 

रीमेक का कॉपीराइट- नया मालिक कौन?
जब कोई प्रोड्यूसर मूल फिल्म के रीमेक के लिए लाइसेंस लेता है, तो रीमेक एक नया कार्य (new work) माना जाता है. इस नए कार्य का कॉपीराइट लाइसेंसी (रीमेक बनाने वाले) के पास होता है, बशर्ते अनुबंध में कुछ और न कहा गया हो. अगर मूल प्रोड्यूसर रीमेक का कॉपीराइट अपने पास रखना चाहता है, तो लाइसेंसी को यह अधिकार स्पष्ट रूप से असाइन करना होगा.

कभी-कभी रीमेक में मूल प्रोड्यूसर और लाइसेंसी मिलकर काम करते हैं. अगर दोनों का योगदान एक-दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता, तो इसे जॉइंट ऑथरशिप माना जाता है, और दोनों को रीमेक का सह-प्रोड्यूसर माना जाता है.

हालांकि, पिछले कुछ सालों में रीमेक को लेकर कई विवाद सामने आए हैं. उदाहरण के लिए, ‘जंजीर’ (1973) के स्क्रिप्ट राइटर्स सलीम-जावेद ने इसके रीमेक को रोकने की कोशिश की थी, लेकिन बॉम्बे हाई कोर्ट ने प्रोड्यूसर के पक्ष में फैसला सुनाया. इसी तरह, ‘शोले’ के रीमेक की कोशिशों को भी दिल्ली हाई कोर्ट ने कॉपीराइट उल्लंघन मानकर रोका था.

1973 की आइकॉनिक फिल्म 'जंजीर' के स्क्रिप्ट राइटर्स सलीम-जावेद और प्रोड्यूसर्स के बीच कॉपीराइट विवाद का मामला बॉम्बे हाई कोर्ट में पहुंचा. सवाल था कि क्या सलीम-जावेद प्रोड्यूसर्स को फिल्म के रीमेक से रोक सकते हैं. कोर्ट ने प्रोड्यूसर के पक्ष में फैसला सुनाया. कोर्ट ने इंडियन परफॉर्मिंग राइट्स सोसाइटी बनाम ईस्टर्न इंडिया मोशन पिक्चर्स (IPRS) केस का हवाला देते हुए कहा कि जब कोई साहित्यिक या संगीतमय कार्य फिल्म में शामिल हो जाता है, तो प्रोड्यूसर उसका पहला मालिक बन जाता है, बशर्ते लेखक और प्रोड्यूसर के बीच कोई विपरीत अनुबंध न हो. इसका मतलब, सलीम-जावेद के पास 'जंजीर' की स्क्रिप्ट पर कोई अधिकार नहीं बचा था.

क्या आपने कभी सोचा कि "जो डर गया, समझो मर गया" या "कितने आदमी थे" जैसे डायलॉग्स का कॉपीराइट किसके पास है? दिल्ली हाई कोर्ट ने शोले मीडिया बनाम पराग सांघवी केस में इस सवाल का जवाब दिया. इस मामले में डिफेंडेंट्स ने 'शोले' के रीमेक की कोशिश की थी.

कोर्ट ने कहा कि 'शोले' के डायलॉग्स, किरदार (जैसे गब्बर सिंह, जय, वीरू, बसंती), संगीत, गीत, और बैकग्राउंड स्कोर सभी कॉपीराइट एक्ट के तहत संरक्षित हैं. ये तत्व 'विशेष रूप से विशिष्ट' और 'कहानी का हिस्सा' हैं, इसलिए इनका कॉपीराइट मूल प्रोड्यूसर के पास है. कोर्ट ने यह भी कहा कि डायलॉग्स जैसे नाटकीय काम और सेट-कॉस्ट्यूम जैसे कलात्मक कार्य धारा 14(a) के तहत संरक्षित हैं.

बॉलीवुड में कॉपीराइट का मसला बेहद उलझा हुआ है. प्रोड्यूसर को फिल्म का मालिक माना जाता है, लेकिन स्क्रिप्ट, गाने, डायलॉग्स, और परफॉर्मेंस जैसे तत्वों का कॉपीराइट अनुबंधों और कानूनी प्रावधानों पर निर्भर करता है. 


 

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