तमिलनाडु के तुतुकुडी में आर्युवेद की सिद्धा पद्धति के डॉक्टर पचैमल ने 61 साल की आयु में ये साबित किया है कि सपनों को पूरा करने के लिए कभी देर नहीं होती. पचैमल ने इस उम्र में एमबीबीएस में दाखिला लेने के लिए होने वाली परीक्षा नीट (NEET-UG) देकर वाहवाही लूटने का काम किया है.
तीन महीने तक की नीट की तैयारी
सिद्धा चिकित्सा पद्धति, आर्युवेद की सबसे पुरानी पद्धति मानी जाती है और इसकी मान्यता दक्षिण भारत में सबसे ज्यादा है. इसी पद्धति ने पचैमल के दशकों पुराने अभ्यास को आकार दिया है.
सालों तक अपना क्लिनिक चलाने के बाद, डॉ. पचैमल ने पिछले तीन महीने में नीट परीक्षा की जमकर तैयारी की और अब वे इस उम्मीद के साथ रविवार को परीक्षा में बैठे कि वह इसे पास करके एलोपैथिक डॉक्टर बन जाएंगे. उनके लिए यह सिर्फ एक परीक्षा नहीं है बल्कि मरीजों को सर्वोत्तम स्वास्थ्य सुविधाएं देने का जरिया है.
डॉ. पचैमल ने परीक्षा देने से पहले कहा, "बीएससी स्नातक कोटे के माध्यम से मैंने बीएस, एमएस (सिद्धा) में प्रवेश लिया. मुझे एमबीबीएस में प्रवेश नहीं मिला. यह बात मेरे दिल में बहुत लंबे समय तक रही. मैं हमेशा से एमबीबीएस करना चाहता था. मुझे लगता है कि नीट मेरे लिए एक बड़ा अवसर है. मुझे विश्वास है कि मैं इसे पास कर लूंगा. यही उम्मीद मुझे मेरे जीवन में आगे ले जा रही है. आज मैं अपने सपने को पूरा करने जा रहा हूं."
युवाओं को दिया खास संदेश
डॉ. पचैमल का कहना है कि नीट परीक्षा में शामिल होकर वह खुद का सपना तो पूरा कर ही रहे हैं, साथ ही युवाओं को भी प्रेरित कर रहे हैं. डॉ. पचैमल ने कहा, "मैं सभी युवा अभ्यर्थियों से आग्रह करता हूं कि वे भरोसा रखें. 17 या 18 साल की उम्र में परीक्षा पास न कर पाने पर हिम्मत न हारें. जब मैं 61 साल की उम्र में परीक्षा पास कर सकता हूं, तो आप भी कर सकते हैं. आपको जीवन में अवसर जरूर मिलेंगे."
डॉ पचैमल ने युवाओं से आग्रह किया कि परीक्षा में खराब नतीजे आने पर वे मायूस न हों और इस परीक्षा के कारण गलत फैसले न लें. 61 साल की उम्र में एलोपैथिक डॉक्टर बनने का सपना लिए डॉ. पचैमल उन लोगों के लिए प्रेरणा हैं जो पहले कुछ प्रयासों में असफल होने के बाद हार मान लेते हैं.