महाराष्ट्र के नांदेड़ में एक युवक के दोनों हाथ भले ही चले गए, पर उसने हौसला नहीं हारा. जिसके बाद पैरों की मदद लेकर पढ़ाई की. बाद में इस युवक ने MPSC की परीक्षा पास की और राजस्व सहायक बन गया. आज यह युवक पूरे जिले में एक मिसाल बन चुका है. इसका नाम वैभव है.
कैसे बने मिसाल
अगर हौसला बुलंद हो, तो कोई भी मुश्किल आपको रोक नहीं सकती. यह साबित करने वाला नांदेड का वैभव पईतवार, सिर्फ एक सफल उम्मीदवार नहीं, बल्कि हजारों युवाओं के लिए एक जीती-जागती प्रेरणा बन कर सामने आया हैं. जहां एक कई युवा सब कुछ ठीक होने के बावजूद प्रतियोगी परीक्षा पास नहीं कर पाते. वहीं वैभव के मुश्किलों से लड़ते हुए सरकारी पद हासिल कर लिया है.
कैसे वैभव हुए मुश्किल के शिकार
वैभव के साथ एक हादसा हुआ था, जब वो दसवीं कक्षा में था. 2008 में पतंग उड़ाते समय बिजली के तार की चपेट में आने से उसके दोनों हाथ हमेशा के लिए बेकार हो गए थे. एक पल में ज़िंदगी की तस्वीर बदल गई, लेकिन उसके जज्बे के आगे ये दर्द फीका पड़ गया. हाथ तो चले गए, पर वैभव ने अपनी उम्मीद नहीं खोई. उसने हिम्मत नहीं हारी और पैरों से लिखना सीखा. कड़ी मेहनत से पढ़ाई की और आखिरकार आज MPSC परीक्षा में सफलता हासिल की है. अब वो मुंबई में राजस्व सहायक के रूप में अपनी सेवाएं देंगे.
हर और हो रही तारीफ
वैभव के इस सफर और जीत की चर्चा पूरे नांदेड में हो रही है. उसकी ये जीत सिर्फ उनकी अपनी नहीं है, बल्कि उन सभी लोगों के लिए एक मिसाल है जो ज़िंदगी में मुश्किलों से लड़ रहे हैं. वैभव पईतवार की कहानी हमें सिखाती है कि शरीर की कमी नहीं, बल्कि हमारी इच्छाशक्ति तय करती है कि हम कितना आगे बढ़ सकते हैं.
सफर में रहे हैं कांटे
वैभव जब दसवीं में थे तब उनके पिताजी का देहांत हो चुका था. वैभव का परिवार एक टीन के मकान में रहता है. सिडको परिसर के गुरुवार बाजार इलाके में तीन के मकान में मां भाई परिवार में रहते हैं. वैभव की मां ने मूल मजदूरी कर अपने बच्चों को शिक्षा प्रदान की. वैभव की जिद्द क्लास वन अधिकारी बनने की है. कहते हैं हुनर किसी का मोहताज नहीं होता ऐसा ही वैभव ने कर दिखाया है. वैभव की इस जीत से जिले में वैभव की सरहाना हो रही है.
-कुंवरचंद मंडले की रिपोर्ट