अब मुंबई में कोई भूखा नहीं रहेगा. चाहे वह यहां के अस्पतालों में दूर-दूर से पहुंचे. वह किसी मरीज़ का परिजन हो या फिर कोई स्कूली बच्चा, सबको शुद्ध खाना मिलेगा, वह भी मुफ्त में. ऐसा इसलिए क्योंकि महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में जरूरतमंदों की मदद के लिए देश का सबसे बड़ा कम्युनिटी किचन बन रहा है. यह पहल एनजीओ अक्षय चैतन्य की ओर से की गई है. यहां अनूठे किचन में जरूरतमंदों को मुफ्त में भोजन परोसा जाएगा.
मुंबई के भयकुला इलाके में इस अनूठी रसोई घर के लिए रखी जा चुकी है. इसे चलाने की जिम्मेदारी सामाजिक संस्था अक्षय चैतन्य (Akshay Chaitanya) उठा रही है. यह दान-पुण्य से जुड़ा एक एनजीओ है. इस काम में इनकी मदद के लिए मुंबई पोर्ट अथॉरिटी (Mumbai Port Authority) भी आगे आई है. ऑथोरिटी ने इस खास रसोई घर के लिए अक्षय चैतन्य एनजीओ को करीब 30,000 वर्ग फीट भूमि उपलब्ध कराई है.
एक लाख से ज्यादा लोगों के लिए बनेगा खाना
बताया जा रहा है कि ये रसोईघर करीब 50,000 वर्ग फुट में फैला होगा, जिसकी लागत करोड़ों में है. अक्षय चैतन्य के सीईओ प्रभु विकास परछंदा का कहना है कि उनका लक्ष्य इस किचन में हर रोज़ 1.2 लाख लोगों के लिए खाना बनाने का है.
उन्होंने जीएनटी टीवी के साथ खास बातचीत में कहा, "यह 20,000 स्क्वायर फिट का लैंड प्लॉट है. इस पर हम 50,000 स्क्वायर फिट का कंस्ट्रक्शन करेंगे और ये 50,000 स्क्वायर फीट में हमें 1.2 लाख मील्स बनानी हैं. इस किचन में ज्यादातर इक्विपमेंट ऑटोमेटेड होंगे."
पर्यावरण का भी रखा जाएगा खयाल
खास बात यह है कि इस किचन में पर्यावरण का भी खास खयाल रखा जाएगा. इस रसोईघर में सोलर पावर से बिजली मिलेगी. रसोई से निकलने वाला कचरा खाद में बदलेगा और खाना पहुंचाने के लिए इलेक्ट्रिक गाड़ियों का इस्तेमाल किया जाएगा. इससे प्रदूषण नहीं फैलेगा.
लक्ष्य है कि 750 से ज्यादा बालवाड़ी, कक्षा नवीं और दसवीं के 83,000 से ज्यादा छात्र और सरकारी अस्पतालों में भर्ती मरीजों के 17,000 परिजनों को रोजाना नाश्ता और भोजन के रूप में खाना पहुंचाया जाए.
परछंदा ने कहा, "इस किचन से हम 1.2 लाख लोगों को खाना दे पाएंगे. हमारा लक्ष्य है कि इस शहर में 1160 म्युनिसिपल स्कूल हैं, 54 गवर्नमेंट और ट्रस्ट हॉस्पिटल हैं. इन सब जगहों पर भरपूर अन्न होना चाहिए. ताकि यहां पर कोई भूखा ना जाए. ताकि सबकी सेहत और सबकी शिक्षा का ध्यान रखा जा सके."
इस रसोई घर से सरकारी स्कूलों, अस्पतालों, झुग्गी बस्तियों, शेल्टर होम्स तक खाना पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है ताकि कोई भी जरूरतमंद भूखे पेट ना सोये. ऐसे में ये परोपकारी किचन भूख से लड़ रहे लाखों लोगों के लिए उम्मीद के कारण भी है.