कहते हैं जहां चाह हो, वहां राह मिल ही जाती है. अगर हौसले बुलंद हों तो कोई भी कठिनाई रास्ता नहीं रोक सकती. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है कि पंजाब के जिला फ़रीदकोट के छोटे से गांव कोट सुखिया के रहने वाले आकाशदीप सिंह ने. कभी माता पिता के साथ खेतों में धान लगाकर,तो कभी ईंट भट्ठों और मंडियों में मजदूरी करके अपने सपनों को सींचने वाले आकाशदीप अब भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बनकर ना सिर्फ अपने परिवार, बल्कि पूरे इलाके का सिर गर्व से ऊँचा कर दिया है.
फीस भरने के लिए नहीं थे पैसे-
आकाशदीप एक गरीब मजदूर परिवार से ताल्लुक रखते हैं. बचपन में पढ़ाई के लिए उसके पास फीस तक नहीं होती थी. ऐसे में गांव के सरकारी स्कूल के अध्यापकों ने उसकी प्रतिभा और लगन को देखकर खुद उसकी फीस भरी. आकाशदीप के पिता हाकम सिंह ने बताया कि बेटा हमेशा से मेहनती था, कभी उनके साथ भट्ठे पर काम करता, तो कभी खेतों में भारतीय वायुसेना में बतौर हवलदार सेवा देते हुए आकाशदीप ने अपनी पढ़ाई और तैयारी जारी रखी. छुट्टियों में वह महज एक-दो दिन ही घर पर रुकता और फिर चंडीगढ़ जाकर अपनी मंजिल की ओर कदम बढ़ाता. उसकी मेहनत रंग लाई और अब वह भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बन चुका है.
मेरा बेटा अफसर बन गया- मां
आकाशदीप की मां कहा कि हम बहुत गरीब थे, मजदूरी करके ही घर चलाते थे, लेकिन आज मेरा बेटा बड़ा अफसर बन गया है. रोजाना गांव के लोग बधाई देने आ रहे हैं. यह सिर्फ हमारा ही नहीं, पूरे गांव का गौरव है. आकाशदीप की सफलता न केवल संघर्ष और समर्पण की मिसाल है, बल्कि यह भी दिखाती है कि यदि हौसले बुलंद हो तो कोई भी कठिनाई राह नहीं रोक सकती.
खेतों में मेरे साथ मजदूरी करता था बेटा- पिता
पिता हाकम सिंह के आंखों से आंसू आ गए. उन्होंने कहा कि मेरे परिवार ने बहुत गरीबी देखी. मगर मेरे बच्चों ने हौसला नही हारा. पिता हाकम सिंह ने बताया कि बेटा हमेशा से मेहनती था कभी उनके साथ भट्ठे पर काम करता तो कभी खेतों में मेरे बेटे और बेटी दोनों मेरे साथ मजदूरी करने जाते थे. आज मेरे बेटे की वजह से मेरा नाम रोशन हुआ है. गांव से पहला लड़का है जो इस मुकाम तक पहुचा है.
आकाशदीप की बहन को अपने भाई की कामयाबी पर गर्व है. सिमरनदीप कौर ने बताया कि कैसे दोनों भाई-बहन ने खेत में मजदूरी की और ईंट भट्ठे पर मजदूरी की. बहन ने कहा कि भाई को घर आने की छुट्टी नहीं मिल रही है. इसलिए हम उससे मिलने जाएंगे, मेरा भाई जब भी मुझे मिलेगा, मैं सबसे पहले उसे सैल्यूट करूंगी.
फौजी परिवार कहलाता है- ताई
आकाशदीप की ताई ने कहा कि बचपन से ही आकाशदीप में देशभक्ति का जज्बा था और हमारे परिवार को गांव में फौजी का परिवार कहा जाता है, क्योंकि हमारे परिवार में फौज में काफी लोग देश की सेवा कर रहे हैं और कर चुके हैं. उन्होंने कहा कि हमें आज बहुत खुशी महसूस हो रही है कि वो इस मुकाम पर पहुंचा है. परमात्मा से प्रार्थना करते हैं कि जो भी बच्चा मेहनत करें, उसको उसका फल जरूर मिले. गांव में यह पहला लड़का है जो आज इस मुकाम तक पहुंचा है.
(प्रेम पासी की रिपोर्ट)
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