दुनिया का एक देश है फिजी, जिसे मिनी इंडिया भी कहा जाता है, जहां करीब 37 प्रतिशत आबादी भारतीयों की है, और इन्हीं में से एक परिवार 115 साल से बिछड़े अपने परिवार को ढूंढते हुए भारत पहुंचा है. कई साल तक अपने परिवार के सदस्यों को खोजते हुए एक परिवार वर्ष 2019 में अयोध्या आए, जहां उन्होंने भगवान राम के दर्शन किए और मन्नत मांगी कि उन्हें उनके बिछड़े परिवार से मिला दे, फिर लौट कर वापस अपने देश फिजी चले गए. इसके बाद फिर वे इंडिया लौटे और तब तक उन्हें अपने खानदान के बारे में काफी जानकारी मिल चुकी थी. भगवान की कृपा हुई और एक परिवार की छठी पीढ़ी आखिरकार इंडिया में मिल ही गई. जिसके बाद फिजी से आया ये परिवार काफी खुश है और अब परिवार से मिलकर उनसे अपनी खुशियां साझा कर वापस अपने देश लौट गए.
यूपी में मिला 115 साल पुराना परिवार-
रवींद्र दत्त और उनकी पत्नी केशनी फिजी देश के रहने वाले हैं. मगर पिछले कई साल से इंडिया आ रहे हैं. कारण है कि इन्हें इनका परिवार नहीं मिल रहा. अयोध्या में भगवान राम से गुहार लगाई और 6 साल बाद राम की कृपा हुई और बस्ती के बनकटी ब्लॉक के कबरा गांव में उन्हें अपना परिवार मिल ही गया. रविन्द्र बताते है कि उनके परदादा का नाम गरीब राम था, जो अंग्रेजों से लोहा लिया और उन्हें नुकसान पहुंचाया था. जिसके बाद सन 1910 में अंग्रेज उन्हें दंड देने की नियत से अपने साथ जबरन फिजी देश ले गए, वहां उनसे मजदूरी कराई और उन्हें भारत नहीं आने दिया. इसके बाद उनका गरीब राम का परिवार वहीं बस गया, खोजबीन करने के बाद उन्हें अपने परदादा से जुड़ा एक दस्तावेज मिला, जिसमें उनके दादा गरीब का एक इमिग्रेशन पास मिला, जिसमें उनके बारे में काफी जानकारी लिखी थी. इस पास के जरिए कोई भी किसी देश का नागरिक बन सकता है, जिसे उत्प्रवास पास भी कहा जाता है. इस पास के मिलने के बाद से वे इंडिया आए और अपने परिवार के बारे में जानकारी जुटाना शुरू किया. कई साल तक इंटरनेट से जानकारी इकठ्ठा करने और लोगों से बात करने के बाद आज वे बस्ती जनपद पहुंचे और कबरा आ गए, जहां उन्हें पता चला कि गरीब इसी गांव के निवासी थे. उनके पिता का नाम रामदत्त था और उनका परिवार आज भी इस गांव में रहता है. जिसमें गरीब के नाती भोला चौधरी, गोरखनाथ, विश्वनाथ, दिनेश, उमेश, रामउग्रह सहित परिवार के तमाम सदस्यों से दोनों ने मुलाकात किया.
फैमिली से मिलकर खुश हैं रविंद्र-
रविन्द्र दत्त जब गरीब के नातियों से मिले तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था. आंखों में खुशी के आंसू थे. मगर परिवार से मिलने की खुशी के आगे सबकुछ फीका पड़ था. रविन्द्र और उनकी पत्नी केशनी इस कदर खुश थे कि जैसे उन्हें अपनी खोई हुई सबसे प्रिय चीज मिल गई हो. 115 साल बाद अपने परिवार की छठी पीढ़ी से मिलने के बाद रविन्द्र दत्त ने अपने परिवार को फिजी देश आने का न्योता भी दे दिया और कहा अब भारत से उनका गहरा नाता बन गया है. इसलिए हर सुख दुख में वे अपने परिवार के पास आते रहेंगे.
फैमिली से मिलकर फिजी लौटे रविंद्र-
वहीं, रविन्द्र दत्त को उनके परिवार से मिलाने में काफी अहम भूमिका निभाने वाले कबरा गांव के प्रधान प्रतिनिधि रवि प्रकाश चौधरी ने बताया कि जैसे ही उन्हें पता चला कि फिजी देश से दो फॉरेनर्स बस्ती आए है और अपने परिवार को खोज रहे है. रवि ने रविन्द्र दत्त से उनके खानदान का पूरा सेजरा समझने के बाद अपने गांव के रामदत्त के परिवार के पास गए, जहां पर चला कि इस परिवार के पास एक बहुत पुराना दस्तावेज है. जिसमें सभी नाम है, गरीब के पिता रामदत्त की पुष्टि होते ही रविन्द्र दत्त और केशनी को उनका परिवार के बारे में जानकारी मिली और उनका बिछड़ा परिवार मिल गया. जिसके बाद वे उनसे मिले और फोटो को यादों के रूप में कैमरे में कैद किया और वापस फिजी लौट गए.
(संतोष सिंह की रिपोर्ट)
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