Parenting Tips: क्या है जेनरेशन ज़ी और अल्फा के लिए पेरेंटिग का 7-7-7 रूल? कैसे बेहतर करता है यह उनकी मानसिक स्थिति?

बदलते वक्त में बच्चों की सही परवरिश आसान नहीं है. जानिए 7-7-7 पेरेंटिंग फॉर्मूला, जिसमें माता-पिता दिन में सिर्फ 21 मिनट देकर बच्चों के मानसिक विकास, अच्छे संस्कार और मजबूत बॉन्डिंग बना सकते हैं.

AI Generated Image
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 06 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 12:26 PM IST

आज के समय में बच्चों की सही परवरिश करना किसी चुनौती से कम नहीं है. खासतौर पर जेन-ज़ी (Gen Z) और अल्फा (Alpha) जेनरेशन के बच्चों को संभालना आसान काम नहीं है. ये बच्चे टेक्नोलॉजी और इंटरनेट के माहौल में बड़े हो रहे हैं. इंटरनेट उन्हें हर तरह का ज्ञान तो देता है, लेकिन सही और गलत का फर्क समझाने वाला कोई नहीं होता. पहले के समय में संयुक्त परिवार हुआ करते थे, जहां दादा-दादी, बुआ-चाचा बच्चों को प्यार और संस्कार सिखाते थे. लेकिन आजकल महानगरों में न्यूक्लियर फैमिली का चलन बढ़ने से बच्चे अकेलेपन और संस्कारों की कमी से जूझ रहे हैं.

वर्किंग पैरेंट्स के लिए सबसे बड़ा सवाल
आज ज्यादातर माता-पिता दोनों नौकरीपेशा हैं. ऐसे में बच्चों को या तो डे-केयर में भेजना पड़ता है या नैनी के भरोसे छोड़ना पड़ता है. इस वजह से बच्चों को परिवार का स्नेह और सही संस्कार नहीं मिल पाते. इन्हीं परिस्थितियों के बीच पेरेंटिंग का नया 7-7-7 फॉर्मूला सामने आया है, जो माता-पिता और बच्चों के बीच रिश्ते को मजबूत बनाने का एक सरल लेकिन प्रभावी तरीका माना जा रहा है.

क्या है 7-7-7 पेरेंटिंग फॉर्मूला?
7-7-7 नियम के तहत माता-पिता को दिनभर में तीन बार अपने बच्चों के साथ सिर्फ 7-7 मिनट बिताने होते हैं. यानी कुल 21 मिनट का समय बच्चों को समर्पित करना है. यह छोटा-सा प्रयास बच्चों के मानसिक और भावनात्मक विकास में मदद करता है और माता-पिता के साथ उनकी बॉन्डिंग को गहरा बनाता है.

सुबह के 7 मिनट, दिन की पॉजिटिव शुरुआत
सुबह बच्चे को जगाने से लेकर उसकी दिनभर की प्लानिंग पर बात करने तक के 7 मिनट बेहद खास होते हैं.

  • बच्चे को प्यार और मोटिवेशन के साथ दिन की शुरुआत कराएं.
  • उनसे पूछें कि आज वे क्या करने वाले हैं.
  • उन्हें पॉजिटिव सोच और आत्मविश्वास से भरें.

ये कुछ पल पूरे दिन बच्चे की ऊर्जा और उत्साह को बनाए रखते हैं.

शाम के 7 मिनट, अनुभव साझा करने का समय
शाम का समय परिवार और बच्चों के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है.

  • बच्चों से स्कूल और दोस्तों से जुड़ी बातें करें.
  • दिनभर में उन्होंने क्या नया सीखा, इस पर चर्चा करें.
  • उनकी छोटी-बड़ी समस्याओं को ध्यान से सुनें और समाधान दें.

यह समय न सिर्फ संवाद बढ़ाता है बल्कि बच्चे को यह एहसास दिलाता है कि उसकी हर बात माता-पिता के लिए मायने रखती है.

रात के 7 मिनट, प्यार और सुरक्षा का एहसास
सोने से पहले का समय बच्चों के लिए बेहद भावुक और खास होता है.

  • बच्चों को कहानियां सुनाएं या नैतिक मूल्यों पर बातें करें.
  • दिनभर की अच्छी घटनाओं को याद करें.
  • बच्चे को गले लगाकर प्यार जताएं.

इससे बच्चों को सुरक्षा और सुकून का अहसास होता है, जिससे वे शांतिपूर्ण नींद ले पाते हैं और अगली सुबह ताजगी के साथ उठते हैं.

 

Read more!

RECOMMENDED