पटाखों से ज्यादा खतरनाक साबित हुई 'कार्बाइड गन', AIIMS में आए 190 मामले, 40% को तुरंत सर्जरी की जरूरत

कार्बाइड गन कोई खिलौना नहीं, बल्कि खतरनाक विस्फोटक डिवाइस है. इसे PVC पाइप और कैल्शियम कार्बाइड से बनाया जाता है. जब इसमें पानी डाला जाता है तो एसीटिलीन गैस बनती है, जो जलते ही तेज धमाका करती है.

कार्बाइड गन से कई लोगों की आंखें हुईं खराब.(Photo:PTI)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 30 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 11:20 AM IST
  • PVC पाइप से बनती ये देसी गन
  • दिल्ली-एनसीआर से 44% मरीज

पहले जहां दीवाली पर पटाखों से झुलसने की खबरें आती थीं, अब कार्बाइड गन से आंखों की रोशनी जाने की घटनाएं बढ़ गई हैं. दिल्ली एम्स (AIIMS) में पहली बार ऐसे कई मामले दर्ज हुए हैं, जिनमें लोगों की आंखें कार्बाइड गन से बुरी तरह प्रभावित हुई हैं. डॉक्टरों के मुताबिक, इनमें से कई मरीजों की रोशनी हमेशा के लिए जा सकती है.

एम्स स्थित डॉ. राजेंद्र प्रसाद नेत्र विज्ञान केंद्र के डॉक्टरों ने इस दिवाली सीजन में आंखों की चोट के कुल 190 मामले दर्ज किए हैं, जो पिछले साल दर्ज किए गए 160 मामलों से 19% ज्यादा है. आरपी केंद्र की प्रमुख डॉ. राधिका टंडन ने बताया कि इनमें से 18-20 मामले सीधे कार्बाइड गन से जुड़े थे.

44% दिल्ली-NCR से, बाकी यूपी और हरियाणा से
इन 190 मरीजों में 44% दिल्ली-एनसीआर से थे, जबकि 56% यूपी और हरियाणा जैसे आसपास के राज्यों से आए. सबसे चिंताजनक बात यह कि 17% मरीजों की दोनों आंखों में चोट लगी और 44% को तुरंत सर्जरी की जरूरत पड़ी. डॉक्टरों के मुताबिक, 'इनमें कई मरीजों की आंखें इतनी बुरी तरह झुलस गईं कि कॉर्निया सफेद हो गया. कुछ मामलों में नुकसान स्थायी है.

PVC पाइप से बनती ये देसी गन
कार्बाइड गन कोई खिलौना नहीं, बल्कि खतरनाक विस्फोटक डिवाइस है. इसे PVC पाइप और कैल्शियम कार्बाइड से बनाया जाता है. जब इसमें पानी डाला जाता है तो एसीटिलीन गैस बनती है, जो जलते ही तेज धमाका करती है. इस धमाके से प्लास्टिक के टुकड़े छिटकते हैं और आंखों में जाकर फंस जाते हैं. पहले किसान इसका इस्तेमाल बंदरों और पक्षियों को भगाने के लिए करते थे, लेकिन अब यह बच्चों का दीवाली गैजेट बन गई है.

आंखों के लिए सबसे बड़ा खतरा बन रही ये गन
डॉ. टंडन के अनुसार, 'कार्बाइड गन से निकलने वाले धुएं और मलबे में मेटल हाइड्रॉक्साइड जैसे जहरीले कण होते हैं, जो आंखों की सतह को जला देते हैं. कई मामलों में मरीज की आंख की ऊपरी परत पूरी तरह नष्ट हो जाती है. ऐसे मरीजों का विज़ुअल प्रोग्नोसिस यानी दोबारा देखने की संभावना बहुत कम रहती है, भले ही सर्जरी कर दी जाए.'

बच्चे घर पर बना रहे हैं गन
RP सेंटर की डॉ. नम्रता शर्मा ने बताया कि इंटरनेट और सोशल मीडिया पर अब कार्बाइड गन बनाने के ट्यूटोरियल वीडियो धड़ल्ले से फैल रहे हैं. बच्चे इन वीडियो को देखकर घर पर गन बना रहे हैं. स्कूलों में तुरंत जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है, वरना हालात और खराब होंगे.

पटाखों और प्रतिबंधित क्रैकर्स से भी बढ़े मामले
बाकी मामलों में पटाखों से निकली चिंगारी, धुआं या रासायनिक गैसों से आंखों में जलन और सूजन की शिकायतें रहीं. पड़ोसी राज्यों में प्रतिबंधित और uncertified पटाखों की बिक्री भी बढ़ गई है, जिससे हादसे और गंभीर हो रहे हैं.

देशभर में दिखा असर, एमपी में 100 बच्चे घायल
सिर्फ दिल्ली ही नहीं, मध्य प्रदेश के भोपाल और विदिशा में भी 8 से 14 साल के 100 से ज्यादा बच्चे कार्बाइड गन से घायल होकर अस्पताल पहुंचे. कई जिलों में दीपावली पर आतिशबाजी के कारण सैकड़ों बच्चों और युवाओं की आंखों को नुकसान पहुंचने के बाद कार्बाइड गन पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर तुरंत सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो ये देसी गन आने वाले सालों में दिवाली में खतरा बन सकती है. 

इनपुट- मिलन शर्मा

 

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