पार्टी और शादी में डांस करना आम बात है, लेकिन दिल्ली के एक प्राइवेट अस्पताल में मरीजों को डांस थेरेपी दी जा रही है. यह सुनने में अटपटा लग सकता है, लेकिन यहां डांस को थेरेपी के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है. दिल्ली के चाणक्यपुरी स्थित एक प्राइवेट अस्पताल में डांस थेरेपी का अनोखा प्रयोग किया जा रहा है. इस पहल का उद्देश्य मरीजों और उनके परिजनों के मानसिक तनाव को कम करना है. नृत्य मिथ की संस्थापक और 17 वर्षीय कुचिपुड़ी नृत्यांगना शांभवी शर्मा ने इस पहल की शुरुआत की है.
डांस थेरेपी का महत्व
डांस थेरेपी को मनोरंजन से आगे बढ़ाकर चिकित्सा के क्षेत्र में इस्तेमाल किया जा रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि डांस और झूमने जैसी शारीरिक क्रियाएं तनाव और एन्क्साइटी को कम करने में मददगार होती हैं. शांभवी ने बताया कि मैं पिछले 9 साल से कुचिपुड़ी नृत्य सीख रही हूं. मैंने सोचा कि अपने सीखे हुए नृत्य को लोगों की मदद के लिए इस्तेमाल करूं.
अस्पताल में नृत्य का प्रभाव
चाणक्यपुरी अस्पताल के ओपीडी में जब शांभवी ने शास्त्रीय नृत्य प्रस्तुत किया, तो माहौल पूरी तरह बदल गया. मरीज और उनके परिजन शांत होकर नृत्य देखने लगे. इस सत्र के बाद कई मरीजों ने बताया कि उन्हें तनाव से राहत मिली. एक मरीज ने कहा कि पहले मैं बहुत तनाव में था, लेकिन नृत्य देखने के बाद मुझे काफी अच्छा महसूस हो रहा है.
अन्य अस्पतालों में भी मांग
शांभवी की इस पहल के बाद अन्य अस्पतालों में भी ऐसे सत्र आयोजित करने की मांग उठ रही है. मरीजों और उनके परिजनों ने इस पहल को सराहा और इसे मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक प्रभावी तरीका बताया. एक परिजन ने कहा कि ऐसे सत्र हर अस्पताल में होने चाहिए. यह न केवल मरीजों बल्कि उनके परिवारों के लिए भी मददगार है.
भारतीय कला और चिकित्सा का संगम
शांभवी शर्मा ने पारंपरिक भारतीय कला को चिकित्सा के क्षेत्र से जोड़ने का प्रयास किया है. उनका मानना है कि नृत्य केवल मंच की शोभा नहीं बल्कि मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक संतुलन का साधन भी बन सकता है. इस पहल ने दिखाया कि भारतीय शास्त्रीय नृत्य का उपयोग चिकित्सा में भी किया जा सकता है.
(हिमांशु मिश्रा की रिपोर्ट)