National Cancer Awareness Day: नजरअंदाज न करें शरीर के संकेत! जानिए कैसे खान-पान में सुधार से कैंसर से बच सकते हैं?

नेशनल कैंसर डे के मौके पर हमने मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के ऑन्कोलॉजी विभाग के डायरेक्टर डॉ. वसीम अब्बास से बात की. इस बातचीत में हमने समझने की कोशिश की कि कैसे कैंसर के छोटे-छोटे लक्षणों को हम अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं

National Cancer Awareness Day
अपूर्वा राय
  • नई दिल्ली,
  • 07 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 12:27 PM IST
  • हर साल 7 नवंबर को मनाया जाता है नेशनल कैंसर डे
  • लाइफस्टाइल में बदलाव से घटाया जा सकता है कैंसर का खतरा
  • छोटे-छोटे संकेतों को नजरअंदाज करना पड़ सकता है भारी

हर साल 7 नवंबर को भारत में नेशनल कैंसर अवेयरनेस डे (National cancer awareness day) मनाया जाता है. इस दिन का उद्देश्य लोगों में कैंसर के जोखिम, उसकी रोकथाम और शुरुआती पहचान के फायदे के बारे में जागरूकता फैलाना है. साथ ही यह दिन इस बात पर भी जोर देता है कि हर मरीज को सुलभ और किफायती इलाज मिल सके.

भारत जैसे देश में कैंसर के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक, बदलती जीवनशैली, तंबाकू सेवन, खराब खानपान और शारीरिक गतिविधियों में कमी कैंसर की बड़ी वजहों में से एक है. 

नेशनल कैंसर डे के मौके पर हमने मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के ऑन्कोलॉजी विभाग के डायरेक्टर डॉ. वसीम अब्बास से बात की. इस बातचीत में हमने समझने की कोशिश की कि कैसे कैंसर के छोटे-छोटे लक्षणों को हम अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं, और यही लापरवाही आगे चलकर बड़ी बीमारी का रूप ले सकती है. डॉ. अब्बास का कहना है कि अगर समय रहते इन संकेतों पर ध्यान दिया जाए और लाइफस्टाइल में कुछ जरूरी बदलाव किए जाएं, तो कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से भी बचाव संभव है.

डॉ. वसीम अब्बास के मुताबिक, कैंसर ऐसी बीमारी है जिसे अगर शुरुआती दौर में पहचान लिया जाए तो इलाज के नतीजे बेहद बेहतर हो सकते हैं. हर प्रकार के कैंसर के लक्षण अलग होते हैं, लेकिन कुछ चेतावनी संकेत ऐसे हैं जिन्हें किसी भी हाल में नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, खासतौर पर अगर वे 2–3 हफ्तों से ज्यादा समय तक बने रहें.

कैंसर के शुरुआती लक्षण जिन्हें आपको कभी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए

1. बिना वजह वजन घटना: अगर आपका वजन बिना कोशिश के 4-5 किलो या उससे ज्यादा घट रहा है, तो यह पेट, फेफड़े या अग्नाशय जैसे कैंसर का संकेत हो सकता है.

2. लगातार थकान या कमजोरी: आराम करने के बाद भी थकान महसूस होना ल्यूकेमिया या मेटाबॉलिज्म से जुड़े कैंसर की ओर इशारा करता है.

3. लगातार दर्द रहना: अगर शरीर में कोई दर्द लंबे समय तक बना हुआ है या कारण साफ नहीं है, तो डॉक्टर से जरूर जांच कराएं.

4. बार-बार बुखार या रात में पसीना आना: अक्सर बुखार को हम वायरल समझकर इग्नोर कर देते हैं लेकिन लंबे समय तक बुखार आना और रात के समय शरीर का पसीने से भीग जाना ल्यूकेमिया या लिम्फोमा जैसे कैंसर का संकेत हो सकता है.

वो लक्षण जो शरीर के बाहरी हिस्से में नजर आते हैं
1. शरीर में कोई गांठ या सूजन: खासकर स्तन, गर्दन, बगल के हिस्से में गांठ बनना कैंसर का शुरुआती लक्षण हो सकता है. हालांकि हर गांठ कैंसर नहीं होती, इसलिए जांच जरूरी है.

2. त्वचा या तिल में बदलाव: अगर किसी तिल का रंग, आकार या किनारे बदल रहे हैं, तो यह स्किन कैंसर का शुरुआती संकेत हो सकता है.

3. ना भरने वाला घाव: मुंह, त्वचा या प्राइवेट पार्ट पर ऐसा घाव जो इलाज के बावजूद ठीक न हो, ये कैंसर का गंभीर संकेत हो सकता है.

4. मल या मूत्र की आदतों में बदलाव: लगातार कब्ज, दस्त, या मल-मूत्र में खून आना ये कोलन, ब्लैडर या प्रोस्टेट कैंसर के संकेत हो सकते हैं. निगलने में दिक्कत या लगातार बदहजमी भी गले, पेट या इसोफेगस कैंसर के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं.

कब दिखाएं डॉक्टर को
अगर कोई भी लक्षण 2–3 हफ्ते से ज्यादा बने रहें या शरीर में कुछ असामान्य महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. अपनी पारिवारिक हिस्ट्री डॉक्टर को बताएं. जरूरत पड़ने पर मैमोग्राम, पैप स्मीयर, कोलोनोस्कोपी या पीएसए टेस्ट कराएं.

हर दिन अपनाएं ये 10 हेल्दी आदतें, घटेगा कैंसर का खतरा

संतुलित, प्लांट-बेस्ड डाइट लें: फल, सब्जियां, साबुत अनाज और दालें शामिल करें.

फिजिकली एक्टिव रहें: हफ्ते में कम से कम 150 मिनट वॉक या एक्सरसाइज करें.

हेल्दी वेट बनाए रखें: मोटापा कई तरह के कैंसर का बड़ा कारण है.

तंबाकू से बनाएं दूरी: करीब 30% कैंसर मौतें स्मोकिंग से जुड़ी हैं. इसलिए जितनी जल्दी हो सके इस आदत को छोड़ दें. उन लोगों से भी दूरी बनाएं जो आपके आसपास स्मोकिंग करते हैं.

नियमित जांच करवाएं: समय-समय पर हेल्थ स्क्रीनिंग करवाना बेहद जरूरी है.

वैक्सीनेशन कराएं: HPV और हेपेटाइटिस B वैक्सीन से कई कैंसर रोके जा सकते हैं.

अच्छी नींद और स्ट्रेस कंट्रोल करें: रोजाना 7–9 घंटे की नींद लें, ध्यान या मेडिटेशन करें. पर्याप्त पानी पिएं, केमिकल्स और प्लास्टिक के ज्यादा इस्तेमाल से बचें.

 

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