Portable Hospital in Bihar: मिनटों में तैयार हो जाएंगे बेड, मरीज़ों का होगा उपचार... पटना एम्स को मिला बिहार का पहला पोर्टेबल अस्पताल, जानिए क्यों है खास

बिहार में पोर्टेबल हॉस्पिटल के जरिए विकास की खाई को पाटने की कोशिश की जा रही है. Bharat Health Initiative for Sahyog, Hita & Maitri उर्फ भीष्म क्यूब्स (BHISHM Cubes) की पहली खेंप बिहार पहुंच गई है. एम्स पटना में इन क्यूब्स की टेस्टिंग होगी.

BHISHM क्यूब को इससे पहले महाकुंभ में भी तैनात किया गया था.
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 29 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 4:58 PM IST

बिहार भारत के उन राज्यों में से एक है जहां स्वास्थ्य सेवाएं चिंताजनक स्थिति में हैं. दूर-दराज़ के कई गांवों में अब भी मामूली स्वास्थ्य सेवाएं मौजूद नहीं हैं. कई बार लोगों को इनके लिए सैकड़ों किलोमीटर का सफर करना पड़ता है. अब बिहार में पोर्टेबल हॉस्पिटल के जरिए विकास की इस खाई को पाटने की कोशिश की जा रही है. Bharat Health Initiative for Sahyog, Hita & Maitri उर्फ भीष्म क्यूब्स (BHISHM Cubes) की पहली खेंप बिहार पहुंच गई है. एम्स पटना में इन क्यूब्स की टेस्टिंग होगी. 

क्या है BHISHM Cube? 
BHISHM भारत द्वारा विकसित एक अभिनव और पोर्टेबल चिकित्सा इकाई है. ये क्यूब्स आपातकालीन चिकित्सा सहायता और आपदा प्रबंधन के लिए डिज़ाइन किए गए हैं. ये क्यूब्स युद्ध से प्रभावित इलाकों, प्राकृतिक आपदाओं या अन्य संकटग्रस्त परिस्थितियों में काम आते हैं. इनका उद्देश्य ऐसी जगहों पर त्वरित और प्रभावी स्वास्थ्य सेवाएं देना है, जहां पारंपरिक चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध नहीं होतीं. 

इन क्यूब्स को रक्षा मंत्रालय ने तैयार किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25-26 जुलाई 2025 को मालदीव की अपनी यात्रा के दौरान भी राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू को दो भीष्म क्यूब्स उपहार स्वरूप भेंट किए थे. ये क्यूब्स भारत की 'नेबरहुड फर्स्ट' नीति और 'विजन महासागर' के तहत मालदीव के साथ स्वास्थ्य सहयोग को मजबूत करने का प्रतीक हैं.

क्या हैं इसकी खासियत?
भीष्म क्यूब्स हल्के और आसानी से ले जाए जा सकने वाले उपकरण हैं. रिपोर्ट्स के अनुसार, इस तकनीक की बदौलत कहीं भी सिर्फ 20 मिनट में एक अस्पताल खड़ा किया जा सकता है. हर क्यूब में आपातकालीन दवाइयां, डिजिटल एक्स-रे मशीन, ऑक्सीजन प्लांट, स्मार्ट लैब और ऑपरेशन थिएटर जैसी सुविधाएं होती हैं. ये 300 मरीजों को एक साथ मेडिकल हेल्प दे सकता है.

ये क्यूब्स खास तौर से उन क्षेत्रों के लिए उपयोगी हैं जहां चिकित्सा बुनियादी ढांचा सीमित है. ये प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूकंप, बाढ़, या युद्ध जैसी परिस्थितियों में तुरंत मेडिकल हेल्प पहुंचाते हैं.

रिपोर्ट्स के अनुसार, एक क्यूब 72 छोटे-छोटे यूनिट्स से बना होता है. इसमें एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड और मॉनिटरिंग डिवाइस जैसी सुविधाएं उपलब्ध होती हैं. इनका वज़न 20 किलो से ज्यादा नहीं होता. भारत सरकार BHISHM क्यूब मालदीव से पहले यूक्रेन को भी दे चुका है. इस नई तकनीक ने अब तक भारत की कूटनीतिक कोशिशों को में अहम भूमिका निभाई है. अब समय है कि यह ग्रामीण भारत के भी काम आए. 

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