Less than six hours sleep is risky for life: अगर 6 घंटे से कम सो रहे हैं तो हो जाएं अलर्ट, एक-दो नहीं हो सकती हैं इतनी परेशानियां

अच्छी लाइफस्टाइल के लिए सबसे जरूरी है अच्छी नींद लेकिन आजकल लोग नींद से ही समझौता करने लगे हैं. अगर आप भी अपनी नींद से समझौता करते हैं तो सावधान हो जाइए.

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gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 17 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 10:56 AM IST
  • छह घंटे की नींद क्यों है जरूरी
  • हार्ट अटैक का खतरा होता है ज्यादा
  • खराब इम्यूनिटी से रहते हैं परेशान

भाग-दौड़ की दुनिया में हर कोई एक अच्छी लाइफस्टाइल चाहता है लेकिन, यह केवल एक सपना बनकर रह जाता है. हम सब एक ऐसी ही रेस में दौड़ रहे हैं जहां हम पैसा कमाना तो सीख जाते हैं लेकिन हेल्थ से हाथ धो बैठते हैं. कई बार तो ऐसा होता है कि उम्र ढलते-ढलते कमाई का आधे से ज्यादा हिस्सा डॉक्टर और इलाज के चक्कर में बहा देते हैं.

अच्छी लाइफस्टाइल में बहुत कुछ शामिल है जैसे अच्छा खान-पान, सेल्फ केयर, एक्सरसाइज. लेकिन आज हम बात करेंगे उस फैक्टर पर जिस पर हम सब से कम ध्यान देते हैं जो है अच्छी नींद. अच्छी नींद का मतलब यह नहीं कि कितनी गहरी नींद सोते हैं, बल्कि यह है कि आप कितनी देर सोते हैं. आयुर्वेद में 6 घंटे से कम की नींद को सेहत के लिए नुकसानदायक बताया गया है.

वजन बढ़ने की आती है दिक्कत
एक रिसर्च में पाया गया है कि जो लोग छह घंटे से कम की नींद लेते हैं, उनका BMI यानी उनकी उम्र के हिसाब से उनका वजन 7.5 टाइम्स ज्यादा होता है, उनके मुकाबले जो छह घंटे की नींद लेते हैं और हेल्दी है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जब हमारा शरीर सोता नहीं है तो खाना भी सही तरीके से नहीं पच पाता, न तो शरीर के हर अंग तक पहुंच पाता है. ऐसे में इंसान को हमेशा भूख महसूस होती रहती है. इससे प्री-डायबिटीज जैसे टाइप 2 डायबिटीज का खतरा भी बढ़ता है.

हार्ट अटैक का खतरा होता है ज्यादा
जब हम सोते हैं तो उस वक्त हमारे शरीर का हर अंदरूनी अंग खुद को नेचुरली डिटॉक्स करता है. हर अंग एक-दूसरे पर डिपेंडेंट है, खासकर हार्ट पर. दरअसल हार्ट पूरे शरीर में ब्लड पंप करने का काम करता है और अगर ऐसे में हम कंप्लीट नींद न लें तो सबसे ज्यादा प्रेशर हार्ट पर पड़ता है और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है. इतना ही नहीं, ब्लड प्रेशर और हार्ट से संबंधित बीमारियां भी घेरने लग जाती हैं.

मेंटल हेल्थ पर पड़ता है असर
जो लोग कम नींद लेते हैं, वे दिनभर चिड़चिड़े से लगते हैं. दिमाग किसी चीज पर फोकस नहीं कर पाता न ही शांत रहता है. आपने बुज़ुर्गों को देखा होगा जिन्हें नींद बहुत कम आती है, जिस कारण वे चिड़चिड़े हो जाते हैं. इतना होना तो केवल ट्रेलर है. ऐसे लोग धीरे-धीरे एंग्जायटी और डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं.

खराब इम्यूनिटी से रहते हैं परेशान
कम सोने के कारण इम्यूनिटी कम होने का खतरा भी बढ़ जाता है. सोते वक्त शरीर खुद को डिटॉक्स करता है और इम्यूनिटी मजबूत करता है क्योंकि वह आपका रेस्ट पीरियड होता है, तो आपकी एनर्जी कहीं और बर्बाद नहीं होती जिससे ऑर्गन्स अच्छे से काम करते हैं. यह कम सोने के कारण नहीं हो पाता. तो कोशिश करें कम से कम छह घंटे सोने की.

नींद में मौत का खतरा ज्यादा होता है
जो लोग कम सोते हैं, उन्हें नींद में हार्ट अटैक आने या स्लीप पैरालिसिस का खतरा ज्यादा होता है. हालांकि मौत का खतरा 15 प्रतिशत ही होता है, पर कई ऐसे मामले सामने आए हैं जहां लोगों की मौत नींद में हुई है.

चेहरे पर पड़ता है असर
कम नींद लेने वालों का चेहरा मुरझाया और खराब दिखने लगता है. आंखों के आगे डार्क सर्कल और गड्ढे पड़ने लगते हैं. जबकि अच्छी नींद लेने से नेचुरल तरीके से चेहरे पर ग्लो आता है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि त्वचा को रिपेयर होने का टाइम नहीं मिलता, ब्लड सर्कुलेशन कम हो जाता है और स्ट्रेस हार्मोन बढ़ जाता है.

अच्छी नींद के लिए आप शुरुआती तौर पर योग का सहारा ले सकते हैं. योग एक ऐसा उपाय है जिससे हर रोग से छुटकारा पाया जा सकता है

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