साल भर पहले जब अचानक मनीष वर्मा को जनता दल यूनाइटेड का राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया तो ये नीतीश कुमार का चौंकाने वाला फैसला था. तब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे निशांत के राजनीति में आने की बात भी नहीं चल रही थी. ऐसे में अफसरशाही छोड़कर राजनीति में आए जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय महासचिव मनीष वर्मा को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का राजनीतिक उत्तराधिकारी भी माना जाता रहा है. वजह ये कि मनीष भी उसी नालंदा जिले से आते हैं, जहां से नीतीश हैं और बिहार जैसे जातीय संवेदनशील राज्य में दोनों की जातीय पहचान भी एक है। आजतक/जीएनटी से खास बातचीत के दौरान मनीष वर्मा ने सीएम नीतीश कुमार के स्वास्थ्य, उनके रिटायरमेंट, चिराग पासवान, प्रशांत किशोर और बिहार की कानून व्यवस्था को लेकर खुलकर बात की.
नीतीश कुमार का कोई विकल्प नहीं
जब मनीष वर्मा से राजनीति में उनकी एंट्री पर सवाल पूछा गया तो वर्मा ने कहा कि उन्हें पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव बनाए जाने पर गर्व है. साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही आगामी चुनाव लड़ा जाएगा और विपक्ष द्वारा उनके स्वास्थ्य को लेकर जो धारणा बनाई जा रही है, वह गलत है. उन्होंने बताया कि पिछले साल सर्दियों में नीतीश जी ने पूरे बिहार के 38 जिलों का दौरा किया और 50000 करोड़ रुपए की योजना जारी की गई है, जो विकास की गवाही है.
कानून व्यवस्था पर घिरती सरकार का बचाव
बिहार में कानून व्यवस्था पर मनीष ने कहा कि विपक्ष गढ़ा हुआ माहौल बनाने की कोशिश कर रहा है, जबकि सरकार अपराधियों के खिलाफ सख्त कारवाई कर रही है. उन्होंने गोपाल खेमका मामला सहित सभी अपराधों में संबंधित लोगों को गिरफ्तार करने का दावा किया. मनीष ने कहा कि अपराध बढ़ा नहीं है, बल्कि उसकी गलत तसवीर बनाकर विपक्ष प्रचार कर रहा है. मनीष जो कि बिहार के कई जिलों में डीएम भी रह चुके हैं ने साफ किया कि नीतीश शासन में संगठित अपराध कम हुए हैं, जो अपराध की घटनाएं आ रहीं हैं, उन्हें भी सरकार तेजी से हल कर रही है.
चिराग पासवान के साथ कैसा रहेगा जेडयू का रिश्ता
जब मनीष से पूछा गया कि पिछले विधानसभा चुनावों में चिराग पासवान ने जमकर जेडयू को परेशान किया था, तो क्या इस बार चिराग पासवान के चुनाव लड़ने के फैसले से कहीं कोई घबराहट है क्या? इसको लेकर मनीष ने कहा कि सभी NDA के घटक दल एकजुट हैं और चिराग भी नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ने को तैयार हैं. मनीष ने कहा कि एनडीए के सभी 5 घटक दलों में इस बात को लेकर एक राय है कि नेतृत्व तो नीतीश कुमार ही करेंगे.
प्रशांत किशोर सोशल मीडिया के नेता
प्रशांत किशोर जो कि कभी नीतीश के काफी करीबी थे, उन्हें मनीष ने आड़े हाथों लिया. कहा कि वो रणनीतिकार हो सकते हैं लेकिन सोशल मीडिया पर माहौल बनाने के अलावा प्रशांत का कोई अस्तित्व बिहार में नहीं है. मनीष कहते हैं कि रणनीतिकार के तौर पर भी किशोर लोकसभा चुनाव के साथ-साथ कई विधनसभा चुनावों में गलत साबित हो चुके हैं. पिछले दिनों 4 सीटों पर हुए उपचुनाव में तो उन्हें कुछ जगहों पर महज 2 फीसदी वोट मिले वो भी उनके उम्मीदवार के नाम पर. ऐसे में अगली विधानसभा की लड़ाई सिर्फ एनडीए बनाम इंडिया गठबंधन की है.
नीतीश के बेटे निशांत की राजनीतिक एंट्री पर क्या बोले मनीष
बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार के बेटे निशांत की एंट्री की अटकलें तेज हैं. जब उनकी राजनीतिक शुरुआत पर मनीष से सवाल हुआ तो कहा कि यह उनका निजी फैसला होगा कि वे कब और कहां आएंगे. ऐसे पढ़े-लिखे और समझदार लोगों की जरूरत पर भी उन्होंने जोर तो दिया लेकिन मनीष वर्मा खुद विधानसभा चुनाव लड़ेंगे या नहीं उसे वो ये कहकर टाल गए कि पार्टी जो भी कहेगी वो करेंगे.