नकली और मिलावटी दवाइयों के खिलाफ केंद्र सरकार का एक्शन...18 फार्मा कंपनियों के लाइसेंस हुए रद्द

भारत सरकार ने खराब क्वालिटी की दवाई के निर्माण के लिए 18 फार्मा कंपनियों के लाइसेंस रद्द किए हैं. हिमाचल प्रदेश में 70 कंपनियों और उत्तराखंड में 45 और मध्य प्रदेश में 23 कंपनियों पर सरकारी कार्रवाई के दौरान नकली दवाएं बनाने वाली कंपनियों पर कार्रवाई की गई.

दवा (Representative Image)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 29 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 8:34 AM IST

सरकार ने नकली दवा बनाने वाली कंपनियों के प्रति सख्ती दिखाई है. दवा बनाने वालों के खिलाफ बड़े पैमाने पर कार्रवाई करते हुए, केंद्र ने 20 राज्यों में 76 कंपनियों पर ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) के निरीक्षण के बाद नकली दवाओं के निर्माण के लिए 18 फार्मा कंपनियों के लाइसेंस रद्द कर दिए.

इन राज्यों में हुई कार्रवाई
सूत्रों के हवाले से बताया है कि नकली दवाओं के निर्माण से जुड़ी देश भर की फार्मा कंपनियों पर भारी कार्रवाई की जा रही है. यह आदेश नकली दवा और खराब गुणवत्ता वाली दवा बनाने वाली फार्मा कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई के तहत आया है. सूत्रों ने कहा, "हिमाचल प्रदेश में 70 कंपनियों और उत्तराखंड में 45 और मध्य प्रदेश में 23 कंपनियों पर सरकारी कार्रवाई के दौरान नकली दवाएं बनाने वाली कंपनियों पर कार्रवाई की गई." 18 फार्मा कंपनियों के लाइसेंस रद्द कर दिए गए हैं. इसके अलावा, 26 कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं.

26 को कारण बताओं नोटिस
कुछ ऑनलाइन फार्मेसी जैसे Tata 1mg, Amazon और Flipkart को पहले ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) से बिना लाइसेंस के दवाएं बेचने के लिए कार्रवाई का सामना करना पड़ा था. डीसीजीआई ने ऑनलाइन फार्मेसी को कारण बताओ नोटिस जारी किया, जिसमें स्पष्टीकरण मांगा गया कि ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940 के प्रावधानों के उल्लंघन में ड्रग्स बेचने और वितरित करने के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए.

ई-फार्मेसी को भेजे गए डीसीजीआई के नोटिस में कहा गया,"कार्यालय को समय-समय पर विभिन्न मोबाइल एप्लिकेशन सहित ऑनलाइन, इंटरनेट या अन्य इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफार्मों के माध्यम से दवाओं की बिक्री के संबंध में विभिन्न रिप्रजेंटेशन प्राप्त हुए हैं, जो ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स अधिनियम, 1940 और उसके तहत नियमों के प्रावधानों के उल्लंघन में हैं." इस तरह की बिक्री में अनुसूची एच, एचआई और एक्स में निर्दिष्ट दवाएं शामिल हैं जिन्हें केवल एक पंजीकृत चिकित्सक के वैध नुस्खे के तहत बेचने की अनुमति है और एक पंजीकृत फार्मासिस्ट की देखरेख में आपूर्ति की जाती है." 

डीसीजीआई ने नोटिस में आगे कहा कि किसी भी दवा की बिक्री, स्टॉक या प्रदर्शन या बिक्री या वितरण की पेशकश के लिए संबंधित राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण से लाइसेंस प्राप्त करना आवश्यक है और लाइसेंस की शर्तों का पालन लाइसेंसधारी द्वारा किया जाना आवश्यक है. इसमें कहा गया है, 'इस संबंध में विभिन्न अदालतों में ड्रग्स की ऑनलाइन बिक्री पर रोक लगाने के अनुरोध के मामले हैं.' 

भारतीय कंपनियों के खिलाफ मिल रही थी शिकायतें
बता दें कि पिछले साल गाम्बिया और उज्बेकिस्तान में कुछ बच्चों की मौत हो गई थी जिसमें बताया गया था कि बच्चों ने जो कफ सिरप पिया था वो भारत में निर्मित था. उज्बेकिस्तान ने पिछले साल 18 बच्चों की मौत के सिलसिले में नोएडा से एक दवा कंपनी के तीन कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया था. कंपनी की 22 दवाएं मिलावटी और नकली पाई गई थीं. वहीं बीते फरवरी के महीने में ही चेन्नई स्थित एक दवा कंपनी ने आई ड्रॉप की खेप को वापस मंगाया था.

 

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