Akshardham Temple In New Jersey: भारत के बाहर ह‍िंदुओं का सबसे बड़ा मंद‍िर बनकर तैयार... लगा 12 साल का समय, मंदिर में हैं 10 हजार मूर्तियां

अमेरिका के New Jersey में हिंदुओं का दूसरा सबसे बड़ा मंदिर बन कर तैयार हो रहा है. इस स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर का उद्घाटन 8 अक्टूबर को होने जा रहा है.

AksharDham Temple, New jersey
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 25 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 4:12 PM IST

भारत में तो कई बड़े और विशाल मंदिर हैं. लेकिन अगर आपको मालूम चले कि देश के बाहर भी ऐसे कई बड़े मंदिर हैं तो आप जरूर इसके बारे में जानना चाहेंगे. आधुनिक युग में भारत के बाहर निर्मित दुनिया के सबसे बड़े हिंदू मंदिर का उद्घाटन 8 अक्टूबर को न्यू जर्सी में होने वाला है. न्यू जर्सी के छोटे रॉबिन्सविले टाउनशिप में बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर को पूरे अमेरिका के 12,500 से अधिक स्वयंसेवकों ने बनाया है. साल 2011 से साल 2023 तक 12 सालों में इसे बनाने का काम पूरा किया गया. अक्षरधाम नाम से जाना जाने वाला यह मंदिर 183 एकड़ क्षेत्र में बनाया गया है.

500 एकड़ में है सबसे बड़ा मंदिर
न्यूयॉर्क स्थित टाइम्स स्क्वायर से लगभग 60 मील दक्षिण में और वाशिंगटन डीसी से लगभग 180 मील उत्तर में यह मदिर स्थित है. वर्तमान में इसके औपचारिक उद्घाटन से पहले देश भर से हर दिन हजारों हिंदू और अन्य धर्मों के लोग यहां आते हैं. इस मंदिर को प्राचीन हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार बनाया गया है. इसमें 10,000 मूर्तियां और प्रतिमाओं, भारतीय संगीत वाद्ययंत्रों और नृत्य रूपों की नक्काशी सहित प्राचीन भारतीय संस्कृति को दर्शाया गया है. यह मंदिर संभवतः कंबोडिया में अंगकोरवाट के बाद दूसरा सबसे बड़ा मंदिर है. 12वीं सदी का अंगकोर वाट मंदिर परिसर दुनिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर है जोकि 500 एकड़ में फैला हुआ है. अब यूनेस्को (UNESCO)का विश्व धरोहर स्थल है. वहीं नई दिल्ली का अक्षरधाम मंदिर, जिसे नवंबर 2005 में जनता के लिए खोला गया था, 100 एकड़ में फैला हुआ है. अक्षरधाम पारंपरिक हिंदू मंदिर वास्तुकला के साथ बनाया गया है. इस अद्वितीय हिंदू मंदिर के डिजाइन में एक मुख्य मंदिर, 12 उप-मंदिर, नौ शिखर (शिखर जैसी संरचनाएं), और नौ पिरामिड शिखर शामिल हैं. अक्षरधाम में पारंपरिक पत्थर वास्तुकला का अब तक का सबसे बड़ा अण्डाकार गुंबद है.

लोगों के लिए सीखने की जगह
बीएपीएस स्वामीनारायण संस्था के अक्षरवत्सलदास स्वामी ने एक इंटरव्यू में पीटीआई को बताया, “हमारे आध्यात्मिक नेता (प्रमुख स्वामी महाराज) का दृष्टिकोण था कि पश्चिमी गोलार्ध में एक ऐसा स्थान होना चाहिए जो दुनिया के सभी लोगों के लिए स्थान हो, न केवल हिंदुओं के लिए, न केवल भारतीयों के लिए, न केवल कुछ समूहों के लिए लोग. यह पूरी दुनिया के लिए होना चाहिए जहां लोग आ सकें और हिंदू परंपरा में आधारित कुछ मूल्यों, सार्वभौमिक मूल्यों को सीख सकें.”

4 प्रकार के पत्थरों से किया गया डिजाइन
इस मंद‍िर को ऐसे ड‍िजाइन क‍िया गया है क‍ि एक हजार साल तक इसे कुछ नहीं होने वाला है. अक्षरधाम के हर पत्थर की एक कहानी है. ज‍िन चार प्रकार के पत्‍थर को मंद‍िर बनाने के ल‍िए चुना गया है उनमें चूना पत्थर, गुलाबी बलुआ पत्थर, संगमरमर और ग्रेनाइट शामिल हैं. ये पत्थर अत्यधिक गर्मी और ठंड का सामना कर सकते हैं. इस ह‍िंदू मंद‍िर के निर्माण में लगभग दो मिलियन क्यूबिक फीट पत्थर का उपयोग किया गया और इसे दुनिया भर के विभिन्न स्थलों से लाया गया, जिसमें बुल्गारिया और तुर्की से चूना पत्थर, ग्रीस, तुर्की और इटली से संगमरमर, भारत और चीन से ग्रेनाइट, भारत से बलुआ पत्थर और यूरोप, एशिया, लैटिन अमेरिका से अन्य सजावटी पत्थर मंगाया गया है. मंदिर निर्माण में करीब दो मिलियन क्यूबिक फीट पत्थर का उपयोग किया गया है. 

ब्रह्म कुंड एक पारंपरिक भारतीय बावड़ी है, जिसमें भारत की पवित्र नदियों और अमेरिका के सभी 50 राज्यों सहित दुनिया भर के 300 से अधिक जलाशयों का पानी शामिल है. बीएपीएस की सतत प्रथाओं में सौर पैनल फार्म, फ्लाई ऐश कंक्रीट मिश्रण और पिछले कुछ दशकों में दुनिया भर में दो मिलियन से अधिक पेड़ लगाना शामिल है. पूरे अमेरिका से स्वयंसेवकों ने अक्षरधाम के निर्माण में मदद की. उनका मार्गदर्शन भारत के कारीगर स्वयंसेवकों द्वारा किया गया था. अक्षरधाम के निर्माण के लिए लाखों स्वयंसेवी  ने अपना कीमती समय समर्पित किया है.

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