जलजीवन मिशन योजना में राजस्थान फिसड्डी राज्यों में शामिल है, लेकिन फिसड्डी होने में भी बड़ा घोटाला है. जैसलमेर- बाड़मेर जैसे सरहदी इलाकों में पूरे के पूरे पंचायत को हर घर नल से जुड़ा बताकर लक्ष्य हासिल दिखा दिया गया है. मगर जब आजतक की टीम इन गांवों में पहंची तो पता चला कि हर घर नल तो है पर जल का पता नहीं है. एक पंचायत से 17 से 18 करोड़ उठाए गए पर पानी नहीं आया. आज भी लोग 1000 रुपए के टैंकरों के सहारे ज़िंदा हैं. राजस्थान पहला राज्य है जहां के पिछली सरकार के जल मंत्री जल जीवन मिशन घोटाले में जेल में हैं.
टैंकर से पानी मंगाकर काम चला रहे ग्रामीण
जैसलमेर जिले के खुरिया बेरी गांव में राजस्थान सरकार और भारत सरकार के अनुसार 100 फीसदी घरों को जल जीवन मिशन के तहत हर घर में नल से पानी आ रहा है. गांव में घुसते ही हर जगह पानी की प्लास्टिक की घटिया क्वालिटी की पाइप दिख जाएंगी, जो जगह जगह से टूट चुकी है.
रेशमा मेघवाल के घर के आगे भी नल लगा है लेकिन वो अपने टांके (पानी रखने के हौद) में हर तीसरे रोज हजार रुपए के टैंकर से पानी डलवाती हैं. उसी से जानवर और परिवार दोनों का काम चलता है.
पाइप बिछा दिए लेकिन पानी नहीं आया
दरअसल पूरे गांव की यही हालत है जो मजदूरी कमाते हैं उसका 60 फीसदी केवल पानी पर खर्च होता है. पानी की टोंटी लगाने तक के लिए कई लोगों ने इस उम्मीद में ठेकेदार को घर तक पाइप बिछाने के लिए 2000 रुपए तक दिए कि पानी आएगा. मगर कभी आया नहीं जबकि उप सरपंच पूछने पर दिलासा देते हैं कि पानी आ जाएगा.
दरअसल ठेकेदारों ने अधिकारियों की शह पर हल्की गुणवत्ता के पाइप लगाकर बिना पानी पहुंचाए कार्य पूर्णता प्रमाण पत्र भी जारी करवा लिए. पंचायत में 18,61,47,000 रुपए लागत की इस स्कीम में से 17,00,00,000 रुपए खर्च हो चुके हैं लेकिन धरातल पर स्थिति बिल्कुल अलग नजर आती है. अधिकारियों और ठेकेदारों ने मिलकर राजस्थान के पश्चिमी छोर पर रहने वाली गरीब जनता को पेयजल के नाम पर बेवकूफ बनाया है.
गांवों के नल सूखे पड़े हैं
चांधन के सूजियों की ढाणी में यही हाल है. यहां पर भी किसी घर में पानी नहीं आता मगर गांव में जमीन के ऊपर घटिया स्तर के पाइप टूटे बिखरे पड़े हैं और नल सूखे पड़े हैं. यहां पर भी 287 घरों में 144 घरों में कागज़ों में हर घर में नल से जल आ रहा है पर आता नहीं है.
बाड़मेर के रोहिड़ी और सियाणी गांव में भी हर घर में नल लग गया है लेकिन पानी के लिए कुंए पर निर्भर रहना पड़ता है. यहां इंजीनियर और ठेकेदार ने पैसे बचाने के लिए टंकी नीचे बना दी और गांव टीले पर है. लिहाज़ा कभी नलों में पानी आया ही नहीं. राजस्थान में 42 हजार 327 गांवों में से 30 हजार 337 गांव हैं जहां नल से पानी मिलने का सपना अभी दूर की कौड़ी बना हुआ है. केंद्रीय जल जीवन मिशन के आंकड़ों के अनुसार मार्च 2025 तक राजस्थान में महज 11 हजार 990 गांवों में ही नल से पानी पहुंच पाया है. सूबे में 6 हजार 437 गांव तो ऐसे हैं जिनमें अभी तक जल जीवन मिशन का काम भी शुरू नहीं हुआ है.
हकीकत से कोसो दूर आंकड़े
जल जीवन मिशन योजना के आंकड़ों पर गौर करें तो हर घर कनेक्शन जारी करने के मामले में जहां राजस्थान देश में दूसरे नंबर पर सबसे पिछड़ा राज्य है. सरकारी आंकड़ें तो यह भी बताते हैं कि मार्च 2025 तक राजस्थान में 55.95 फीसदी घरों में नल से पानी पहुंच चुका है जबकि आजतक की पड़ताल में सच्चाई कोसो दूर दिखाई दे रहा है. खुद राजस्थान सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री मानते हैं कि जल जिवन मिशन में बड़ा घोटाला हुआ है.
गहलोत सरकार के मंत्री जेल में
गौरतलब है कि जल जीवन मिशन में घटिया पाइप बिछाने और फर्जी कंपनी को टेंडर देने में राजस्थान के गहलोत सरकार के मंत्री महेश जोशी 1000 करोड़ के जल जीवन मिशन घोटाले में जेल में हैं. इसके 18 से ज़्यादा इंजीनियरों पर कार्रवाई की गई है लेकिन अब भी दूर दराज के ग्रामीण इलाकों में जलजीवन मिशन में घोटाले रुक नहीं रहे हैं. अब केंद्र सरकार ने योजना में गड़बड़ियों की जांच के लिए केंद्र से अधिकारियों की एक टीम भेजने का फैसला किया है.
शरत कुमार की रिपोर्ट