Dalma Museum: कैसे रहते थे आदिवासियों के पूर्वज? दिखाएगा दलमा का ये खास म्यूजियम

झारखंड का दलमा एलीफेंट सेंचुरी जमशेदपुर शहर से 10 किलोमीटर दूर स्थित है. यह हाथियों की आबादी के लिए जाना जाता है. यहां के संग्रहालय में यह बताया गया है कि पुराने जमाने में आदिवासी समाज के 9 प्रजाति के लोग किस तरह से रहा करते थे. इसमें भूमिज,मुंडा,हो सबर.महाली. मछुवा.बिरहोर लोहार और संथाल जाति के लोगों के बारे में बताया गया है.

Dalma Museum
gnttv.com
  • जमशेदपुर,
  • 20 मई 2025,
  • अपडेटेड 4:42 PM IST

झारखंड का दलमा एलीफेंट सेंचुरी पहली सेंचुरी बना है, जहां आदिवासी जनजाति के तमाम 9 जनजाति के लोगों का संग्रहालय बना है. इसमें यह बताया गया है कि पुराने जमाने में आदिवासी समाज के 9 प्रजाति के लोग किस तरह से रहा करते थे. खासकर भूमिज,मुंडा,हो सबर.महाली. मछुवा.बिरहोर लोहार और संथाल जाति के लोगों का एक संग्रहालय बनाया है. संग्रहालय में दलमा के जंगलों में पाए जाने वाले जानवरों को भी दिखाया गया. जिसको आने वाले दिनों में पर्यटकों को डिजिटल के माध्यम से दिखाया जाएगा. यह म्यूजियम काफी खूबसूरत है. दलमा के भीतर बना संग्रहालय का शर्ट संग्रहालय में तमाम आदिवासी जनजाति के 9 सब जाति को दिखाया गया है.

आदिवासियों का संग्रहालय-  
दलमा एलीफेंट सेंचुरी में आदिवासियों के सभी सेगमेंट वाले जनजाति का एक संग्रहालय बना है. इस संग्रहालय की खासियत यह है कि इसमें आदिवासियों के 9 सब जाति, जिसमें भूमिज, मुंडा, साबर, महाली, मछुआ, बिरहोर, लोहार जातियों के रहन-सहन को दिखाया गया है. इसके साथ ही, दामा के जंगलों में पाए जाने वाले जानवरों को भी दिखाया गया है. 

आदिवासियों के बारे में बता रहा संग्रहालय-
यह संग्रहालय झारखंड का पहला संग्रहालय है, जहां आदिवासियों के सभी सब जातियों को दिखाया गया है. लोग आ रहे हैं और देखकर काफी खुश हो रहे हैं कि जो उन्हें नहीं पता था कि आखिरकार बिरहोर, साबर, मछुआ, इन तमाम जाति के लोग पहले कैसे हुआ करते थे? कैसे रहा करते थे? अपनी जीविका कैसे चलाते थे? उन तमाम चीजों को यहां दर्शाया गया है. दर्शकों ने बताया कि यह एक शिक्षा वृद्धि संग्रहालय है, जहां हमें बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है. यह सबसे ज्यादा उपयोगी छात्रों के लिए है, जो यहां आकर आदिवासियों के रहन-सहन से लेकर उनके खान-पान पर पहनावा और रोजगार के बारे में जान पाएंगे. वो काफी खुश हैं. उनका मानना है कि यह संग्रहालय झारखंड में आने वाले पर्यटकों को काफी लुभाएगा.

विलुप्त हो रही हैं कई जनजातियां-
दलमा के डीएफओ सबा आलम का कहना है कि यह संग्रहालय दलमा मे एक पहल है. दलमा में पर्यटकों को लुभाने का ये हमारा प्रयास है. हम लोगों को बताना चाहते हैं कि झारखंड के आदिवासी समाज में कितने प्रकार की सब जातियां रहती हैं. इसमें बिरहोर, सबर यह सब विलुप्त होती जनजाति हैं. उनके रहन-सहन, उनके खान-पान, उनके रोजगार, उन सभी चीजों को हमने इसमें दर्शाया है. इसके साथ ही स्कूली बच्चों के लिए दलमा के जंगलों में पाए जाने वाले जानवरों के बारे में बताया है, जो आने वाले दिनों में एलईडी के माध्यम से स्कूली बच्चों को यहां लाकर दिखाया जाएगा और इससे हमारा पर्यटन बढ़ेगा.

(अनूप सिन्हा की रिपोर्ट)

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