अब स्कैन करते ही मिलेगी पेड़ के बारे में पूरी जानकारी, सतना में 71 पार्कों के पेड़ों पर लगाए गए QR Code

इस QR Code को जेनरेट करते ही संबंधित पेड़ की इंग्लिश और हिंदी में पूरी जानकारी आपके सामने होगी. जैसे कि पेड़ का साइंटिफिक नाम क्या है, उसे स्थानीय भाषा में क्या कहते हैं और उसके फायदे क्या-क्या हैं.

पेड़ पर QR Code
gnttv.com
  • सतना ,
  • 15 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 6:59 PM IST
  • QR Code को स्कैन करने पर पेड़ की पूरी जानकारी इंग्लिश और हिंदी में सामने होगी.
  • सतना में नगर निगम शहर के 71 पार्कों के पेड़ों पर QR Code लगाएगा.

आजकल ऑनलाइन पेमेंट करने या किसी चीज के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए उसपर लगे QR Code को स्कैन कर काम किया जा सकता है. पर क्या अपने कभी पेड़ों पर QR Code लगे हुए देखा है? जी हां, सतना में शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय के कक्षा 9वीं के छात्र-छात्राओं की मदद से नगर निगम शहर के 71 पार्कों के पेड़ों में क्यूआर कोड लगाएगा. इन कोड को स्मार्टफोन से स्कैन कर पेड़ के बारे में सारी जानकारी हासिल कर सकते हैं।  

शुक्रवार को नगर निगम कमिश्नर तन्वी हुड्डा ने भरहुतनगर के रामेश्वरम पार्क ने क्यूआर कोड लगाने की शुरुआत की. इस मौके पर प्रिंसिपल सुशील श्रीवास्तव और पेड़ों पर  QR Code लगाने का कांसेप्ट लाने वाली लेक्चरर डॉ. अर्चना शुक्ला समेत स्कूल के कई छात्र-छात्राएं मौजूद रहीं. कोई भी व्यक्ति अपने स्मार्टफोन से इन क्यूआर कोड्स को स्कैन कर संबंधित पेड़ की खासियत जान सकता है. डॉ. शुक्ला फिलहाल शहर के पार्कों में लगे पेड़ों का सर्वे करा रहीं हैं कि किस टाइप के पेड़ लगे हैं. पेड़ों में क्यूआर कोड लगाने का कांसेप्ट करीब साल भर पहले डॉ. शुक्ला के मन में आया था. उन्होंने इसकी शुरुआत सबसे पहले अपने स्कूल से ही की. 

QR Code को स्कैन करने पर पेड़ की पूरी जानकारी 

 इस QR Code को जेनरेट करते ही संबंधित पेड़ की इंग्लिश और हिंदी में पूरी जानकारी आपके सामने होगी. जैसे कि पेड़ का साइंटिफिक नाम क्या है, उसे स्थानीय भाषा में क्या कहते हैं और उसके फायदे क्या-क्या हैं. यह सब पलक झपकते ही आपके मोबाइल पर होगा. क्यूआर कोड में उस पेड़ के फूलों, फलों की तथा उससे बनने वाली दवाइयों, लकडिय़ों, खाद्य पदार्थ के चित्र भी दिए होते हैं. इन क्यूआर कोड में कभी भी भविष्य में कोई जानकारी जोड़ी या हटाई जा सकती है। यह क्यूआर कोड एडिटेबल है, इनको परिवर्तित किया जा सकता है.  

पेड़ पर QR Code

निगमायुक्त को पसंद आया प्रोजेक्ट
 
डॉ. शुक्ला ने पेड़ों में  QR Code लगाने का प्रोजेक्ट जब निगमायुक्त तन्वी हुड्डा के सामने रखा तो उन्हें यह काफी पसंद आया. कमिश्नर ने बताया कि नगर निगम क्षेत्र के दायरे में 71 पार्क हैं जहां मौजूद पेड़ों पर क्यूआर कोड लगाए जाएंगे. उन्होंने कहा कि वो खुद कई पेड़ों की खासियत के बारे में नहीं जानती जिन्हें अब वो क्यूआर कोड के जरिए जानने की कोशिश करेंगी. शुभारंभ के लिए उन्होंने मकर संक्रांति का दिन चुना. इस दिन भरहुतनगर के एक पार्क में क्यूआर कोड लगाने का काम शुरू किया गया. 

टेक्निकल टीम का हिस्सा है ये सब 

डॉ. शुक्ला ने बताया कि इस काम में 9वीं और 11वीं कक्षा के 60 से ज्यादा बच्चे उनके साथ जुड़े हुए हैं. कुछ बच्चे जानकारी एकत्रित करते हैं तो कुछ कॉपीराइट फ्री तस्वीरें ढूंढते हैं. कुछ बच्चों को किताबों से जानकारी जुटाने का जिम्मा दिया गया है. एक टीम को पार्कों के सर्वे की जिम्मेदारी दी गई है. जानकारी को टेक्निकल टीम के छात्र  QR Code  में कन्वर्ट करते हैं. क्यूआर कोड किसी भी ऐप जेनरेटर से जेनरेट किया जा सकता है. जो क्यूआर कोड शासकीय विद्यालय ने बनाए हैं उसको नगर निगम ने स्वीकृति दी है. QR Code में सतना के वन विभाग ने भी अपनी रुचि दिखाई है और इन क्यूआर कोड को सोनौरा नर्सरी में लगवाने का निर्णय लिया गया है. 

इस मौके पर नगर निगम कमिश्नर तन्वी हुड्डा कहती हैं, 'शहर में 71 पार्क हैं. हर पार्क में अलग-अलग तरह के कई पेड़ मौजूद हैं. बेसिक पेड़ों के अलावा दूसरे किसी पेड़ के बारे में लोग ज्यादा नहीं जानते हैं. हम अपने मोबाइल से क्यूआर कोड स्केन करेंगे जिससे उसके पेड़ों की खासियत जान सकेंगे, साथ ही नेचर के और करीब जा सकेंगे. कोशिश करें कि बच्चों के अंदर भी जिज्ञासा जागे.'

डॉ. अर्चना शुक्ला ने बताया कि आज मकर संक्रांति के दिन से हमने पार्कों के पेड़ों में QR Code  लगाने की शुरुआत की है. इसमें हमारे 9वीं और 11वीं कक्षा के बच्चों का अहम योगदान है. एक पूरी टीम है जो इस काम का अंजाम देती है. अभी 50 पेड़ों के QR Code जेनरेट कर चुके हैं. हम चाहते हैं कि जिले के हर पेड़ में क्यूआर कोड्स हों. ताकि ऐसा करने वाला देश का पहला जिला सतना हो.' वहीं एक्सीलेंस स्कूल सतना के प्रिंसिपल सुशील श्रीवास्तव कहते हैं कि ये बड़ी खुशी की बात है कि कोविड काल में बच्चों ने कुछ ऐसा करके दिखाया जिससे लोगों को हम पर्यावरण के नजदीक ले जाएंगे. लोग आज कृत्रिम सांसों पर निर्भर हैं मगर जितने ज्यादा पेड़ लगेंगे उतनी नेचुरल ऑक्सीजन मिलेगी.

(योगितारा की रिपोर्ट)

 

 

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