Vande Mataram: वंदे मातरम् का क्या है इतिहास, इसको लिखने वाले बंकिम चंद्र चटर्जी कौन थे? सबकुछ जानिए

वंदे मातरम् गीत को बंकिम चंद्र चटर्जी ने लिखा था और इसे 1882 में आनंदमठ उपन्यास में शामिल किया गया था. इस गीत को साल 1896 में कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में पहली बार रवींद्रनाथ टैगोर ने गाया था. साल 1905 में बंगाल विभाजन के समय के गीत आम लोगों का गीत बन गया था. हर कोई इस गीत को गाता था. बाद में बंगाल विभाजन को वापस लेना पड़ा था.

Bankim Chandra Chatterjee
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 08 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 1:15 PM IST

संसद के शीतकालीन सत्र में लोकसभा में वंदे मातरम् के 150 साल पूरा होने पर चर्चा  हो रही है. पीएम मोदी ने इस चर्चा की शुरुआत की. पीएम मोदी ने कहा कि वंदे मातरम् ने उस विचार को पुर्नजीवित किया था, जो हजारों वर्षों से भारत में रचा-बसा था. बंकिम चंद्र चटर्जी ने वंदे मातरम् की यात्रा की शुरुआत की थी. चलिए आपको इस गीत की शुरुआत से लेकर जनमानस के मन में छा जाने तक की कहानी बताते हैं.

1875 में लिखा गया था वंदे मातरम्-
बंकिम चंद्र चटर्जी ने 7 नवंबर 1875 को अक्षय नवमी के दिन इसे लिखा गया था. यह गीत बांग्ला और संस्कृत में था. यह 1882 में पहली बार उनकी पत्रिका बंगदर्शन में उनके उपन्यास आनंदमठ के हिस्से के तौर पर छपा था.

पहली बार 1896 में कांग्रेस अधिवेशन में गाया गया-
वंदे मातरम् पहली बार साल 1896 में कांग्रेस के अधिवेशन में मंच से गाया गया था. रवींद्रनाथ टैगोर ने इसे गाया था. यह पहला मौका था, जब यह गीत सर्वजनिक तौर पर राष्ट्रीय स्तर पर गाया गया.

बंगाल विभाजन के वक्त खूब गया गया था वंदे मातरम्-
साल 1905 में बंगाल विभाजन हुआ था. इस दौरान वंदे मातरम् का नारा आंदोलन का केंद्र बन गया था. अंग्रेजों के खिलाफ प्रदर्शन में इस गाने का खूब इस्तेमाल किया गया. इसको गाने वालों में हिंदू-मुस्लिम दोनों शामिल थे. उस समय बारीसाल में एम रसूल की अगुवाई में बंगाल कांग्रेस का प्रांतीय अधिवेशन हो रहा था. इसमें वंदे मातरम् गाया गया था. जिसपर अंग्रेजं ने बर्बर हमला किया था.

साल 1905 में कोलकाता में वंदे मातरम् संप्रदाय की स्थापना हुई. हर रविवार लोग वंदे मातरम् गाते हुए प्रभात फेरी निकालते थे. साल 1906 में बिपिन चंद्र पाल और अरविंदो घोष ने वंदे मातरम् अखबार शुरू किया था.

अरविंदो घोष ने 16 अप्रैल 1907 को इस गीत का अंग्रेजी दैनिक बंदे मातरम में इसका जिक्र किया था. उसमें लिखा था कि बंकिम ने अपने प्रसिद्ध गीत की रचना 32 साल पहले की थी. उपन्यास के तौर पर प्रकाशन से पहले आनंद मठ बंगाली मासिक पत्रिका बंगदर्शन में धारावाहिक रूप से प्रकाशित होता था. साल 1907 में मैडम भीकाजी कामा ने बर्लिन के स्टटगार्ट में पहली बार तिरंगा फहराया था. जिसपर वंदे मातरम् लिखा था.

अंग्रेजों ने लगाई रोक-
अंग्रेजों के खिलाफ वंदे मातरम् एक पहचान बन गया. लेकिन अंग्रेजों ने इसे रोकने की पूरी कोशिश की. स्कूलों में इसे गाने पर रोक लगा दी गई. लेकिन लोगों ने इसे गाना नहीं छोड़ा. यह क्रांतिकारियों का शक्ति का प्रतीक बन गया. बंगाल विभाजन का इतना विरोध हुआ, ब्रिटिश सरकार को इसे वापस लेना पड़ा.

साल 1937 में कुछ अंश हटाया गया-
साल 1937 में इस गीत के कुछ अंश पर मुस्लिम समुदाय में आपत्ति उठी. इसके बाद कांग्रेस ने वंदे मातरम् पर हिंदू मुस्लिम का विभाजन को रोकने के लिए महत्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू, अबुल कलाम आजाद और सुभाष चंद्र बोस की एक समिति बनाई गई. साल 1937 में कांग्रेस के फैजपुर अधिवेशन में नेहरू की अध्यक्षता में कांग्रेस वर्किंग कमेटी ने फैसला लिया कि इस गीत के पहले 2 छंद ही गाए जाएंगे, बाकी छंदों को हटा दिया जाएगा. यह फैसला इसलिए किया गया, ताकि धार्मिक सद्भाव बनाए रखा जाए.

साल 1947 में 14 अगस्त को संविधान सभा की पहली बैठक हुई. इस बैठक की शुरुआत वंदे मातरम् गीत से हुई थी. इसके बाद साल 1950 में वंदे मातरम् को राष्ट्रीय गीत के रूप में अपनाया गया.

कौन थे बंकिम चंद्र चटर्जी-
बंकिम चंद्र चटर्जी का जन्म साल 1838 में हुआ था.बंकिम चंद्र पहले ऐसे इंडियन थे, जिनको इंग्लैंड की रानी ने भारतीय उपनिवेश को अपने अधीन में लेने के बाद 1858 में डिप्टी कलेक्टर पद पर नियुक्त किया था. बंकिम चंद्र साल 1891 में रिटायर हुए. अंग्रेजों ने उनको राय बहादुर समेत कई उपाधियों से सम्मानित किया गया था.

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