'फायदा नहीं तो छोड़ दे बीजेपी...' आखिर अचानक BJP पर क्यों भड़के Sanjay Nishad? जानिए क्या है 'कलह' की इनसाइड स्टोरी

संजय निषाद एक प्रेस वार्ता के दौरान बीजेपी पर भड़क उठे. उन्होंने यहां तक कह दिया कि अगर बीजेपी को उनसे फायदा नहीं है तो पार्टी उनका साथ छोड़ सकती है. लेकिन निषाद के गुस्से के पीछे का कारण क्या है?

Nishad Party chief Sanjay Nishad. (Photo: X/@NishadParty)
कुमार अभिषेक
  • नई दिल्ली ,
  • 27 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 10:57 AM IST

गोरखपुर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में निषाद पार्टी के अध्यक्ष और योगी कबिनेट में मंत्री संजय निषाद अचानक ही भाजपा पर भड़क पड़े और बोल दिया अगर भाजपा को मुझसे फायदा नहीं है तो पार्टी गठबंधन तोड़ सकती है. निषाद ने जैसे ही यह बयान दिया, बीजेपी के भीतर खलबली मच गई.

कहा जा रहा है कि पार्टी के हाथ पांव फूल गए और बयान के चंद घंटे के भीतर ही पार्टी ने डैमेज कंट्रोल की शुरुआत कर दी. सूत्रों की मानें तो प्रदेश अध्यक्ष से लेकर प्रदेश के संगठन महामंत्री तक ने संजय निषाद से बात की कि आखिर ऐसा क्या हो गया कि उन्होंने इतना बड़ा बयान भाजपा के खिलाफ दे दिया और वह भी मुख्यमंत्री के गृह क्षेत्र गोरखपुर से. 

दरअसल संजय निषाद भाजपा के निषाद नेताओं पर भड़के हुए हैं. उन्हें लगता है कि भाजपा अपने निषाद चेहरों को आगे कर निषाद पार्टी को कमजोर करने में जुटी है. यही नहीं, कई नेता ऐसे हैं जो बड़े नाम तो नहीं हैं लेकिन निषाद पार्टी के नेताओं के बारे में जिलों में अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं और उन्हें बीजेपी के दूसरे नेता शह दे रहे हैं.

संजय निषाद के गुस्से का कारण क्या?
योगी सरकार में मंत्री जयप्रकाश निषाद और फतेहपुर की पूर्व सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति संजय निषाद के निशाने पर हैं. उनके अलग-अलग बयानों पर संजय निषाद ने बीजेपी को घेर लिया है. 

संजय निषाद ने जीएनटी टीवी से फोन पर बातचीत में बताया कि साध्वी निरंजन ज्योति ने उनके कुछ फैसलों पर सवाल उठाए हैं. इसमें मछुआरों को नदियों में मुक्त अधिकार देने को साध्वी निरंजन ज्योति ने नदियों को "बेच देने" की उपमा दी है. उन्होंने यह भी कहा कि योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री जेपी निषाद भी उनके परिवार पर 'अनर्गल बयान दे रहे हैं' जो उन्हें कतई स्वीकार नहीं है.

उन्होंने कहा, "यही नहीं, दूसरे दलों से आए पियूष रंजन निषाद सरीखे नेता जिन्होंने निषाद पार्टी को हराने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी, उन्हें भाजपा अपना शूटर बनाकर मेरे खिलाफ इस्तेमाल कर रही है. संत कबीर नगर के बीजेपी के कई ब्राह्मण चेहरे और विधायकों ने निषाद पार्टी के खिलाफ काम किया है." 

बता दें कि अभी हाल ही में निषाद पार्टी ने दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में अपना स्थापना दिवस मनाया था जिसमें बीजेपी के सभी सहयोगी दल मौजूद थे लेकिन भाजपा का कोई नेता नहीं आया. इसे भी संजय निषाद ने मुद्दा बनाया और कहा कि क्या बीजेपी उनसे इतनी विरक्त हो चुकी है कि उनके कार्यक्रम का बहिष्कार करने लगी है.

सहयोगी दलों की 'ओर' से खफ़ा हैं निषाद?
संजय निषाद ने एक तरह से सहयोगी दलों की तरफ से बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. आरएलडी के सर्वोच्च नेता जयंत चौधरी के खिलाफ जिस तरीके की बात योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने कही, उससे भी संजय निषाद खफा हैं. उन्हें लग रहा है कि बीजेपी एक-एक करके अपने सहयोगियों को टारगेट कर रही है.

बता दें कि लक्ष्मी नारायण चौधरी ने आरएलडी के जयंत चौधरी को भाजपा के लिए पनौती करार दिया था, जिसकी काफी तीखी प्रतिक्रिया हुई और बीजेपी के नेता को बाद में सफाई देनी पड़ी थी. दरअसल बीजेपी को भी लगने लगा है कि संजय निषाद की जो पकड़ निषाद वोटरों पर थी वह 2024 के लोकसभा चुनाव में ढीली पड़ गई.

इसकी वजह संजय निषाद का अपना परिवार प्रेम ज्यादा है. यानी जब-जब बीजेपी ने संजय निषाद को गठबंधन में कुछ दिया तो संजय निषाद ने उसे सबसे पहले अपने परिवार में बांटा. गठबंधन बीजेपी से होने के बाद संजय निषाद ने बेटे को भाजपा से सांसद बनाया. दूसरे बेटे को निषाद पार्टी से विधायक बनाया. खुद एमएलसी और मंत्री बने.

संजय निषाद को भी इसका एहसास है की परिवारवाद के आरोप लगने की वजह से उनका नुकसान होना भी शुरू हो गया है और निषाद वोटरों पर जो  उनकी जबरदस्त पकड़ थी वह ढीली हुई है. निषाद वोटों के अलमबरदार होने का दावा करने वाले संजय निषाद के खिलाफ समाजवादी पार्टी ने भी इसी मुद्दे को खूब उछाला था. इस मुद्दे की वजह से ही बीजेपी सभी निषाद सीट हार गई जबकि सपा सुल्तानपुर सरीखी सीट भी निषाद चेहरे को उतार कर जीत गई. 

शायद संजय निषाद को भी इसका एहसास अब तेजी से होने लगा है कि उनका परिवार प्रेम उनकी सियासत पर भारी पड़ रहा है, इसीलिए उन्होंने अपने बेटे को पार्टी के प्रभारी से हटा दिया जो भाजपा में होते हुए भी निषाद पार्टी की प्रभारी पद पर तैनात था.

संजय निषाद आने वाले दिनों में भाजपा पर और हमलावर होंगे क्योंकि उन्हें लगता है कि अगर बीजेपी के पिछलग्गू बनकर वह सियासत करते रहे तो उनकी निषाद पॉलिटिक्स का नुकसान हो जाएगा. इसलिए दूसरे सहयोगी दलों की तर्ज पर संजय निषाद भी अपनी अहमियत और पहचान अलग बनाए रखना चाहते हैं और इसलिए भाजपा उनके निशाने पर रहने वाली है. 

Read more!

RECOMMENDED