अक्सर लोग कहते हैं कि कश्मीर की वादियों और डल झील की खूबसूरती का कोई जवाब नहीं. लेकिन अब बिहार के कैमूर जिले के करमचट डैम को देखकर लोग यही कहने लगे हैं- “यह तो मिनी कश्मीर है.” पांच पहाड़ियों की गोद में बसे इस जलाशय की सुंदरता पहले से ही लोगों को आकर्षित करती रही है. लेकिन अब यहां देश का दूसरा हाउसबोटशुरू होने से इसकी खूबसूरती और भी बढ़ गई है.
वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. सुनील कुमार ने करमचट डैम पर पहुंचे और यहां दो नए हाउसबोट का शुभारंभकिया. कश्मीर के डल झील के बाद बिहार के इस जलाशय पर हाउसबोट सुविधा मिलना अपने आप में बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है.
क्या है खास हाउसबोट में?
यहां मौजूद दो हाउसबोट्स बिल्कुल लग्जरी होटलों की तरह सुसज्जित हैं. इनमें एक बेडरूम, अटैच्ड बाथरूम-लैट्रिन, टीवी और अन्य आधुनिक सुविधाएं दी गई हैं. यानी पर्यटक न केवल नौका विहार का आनंद उठा सकेंगे, बल्कि हाउसबोट में रात भी बिता पाएंगे.
वन पदाधिकारी विवेक कुमार ने बताया कि पहले से ही इस डैम पर सात वोट मौजूद थे, जिनसे लोग नौका विहार करते थे. अब इन दो नए हाउसबोट्स के जुड़ने से यह इलाका और भी आकर्षक बन गया है. उन्होंने कहा, “करमचट डैम की खूबसूरती को देखकर इसे स्विट्जरलैंड और कश्मीर से कम नहीं आंका जा सकता.”
पर्यटकों की खुशी का ठिकाना नहीं
जहानाबाद से करमचट डैम घूमने पहुंचे दीपक कुमार ने कहा कि उन्होंने इस जगह के बारे में बहुत सुना था, लेकिन पहली बार यहां आकर उन्हें असली मज़ा मिला. उन्होंने बताया, “यहां की वादियां और डैम का नजारा मन मोह लेने वाला है. अब हाउसबोट की सुविधा मिलने से हम खुद को कश्मीर में होने जैसा महसूस कर रहे हैं.”
बिहार के पर्यटन मानचित्र पर करमचट
करमचट डैम न केवल बिहार बल्कि पूरे देश के लिए एक नया पर्यटन केंद्र बन सकता है. पांचों तरफ से पहाड़ियों से घिरे इस जलाशय को पहले भी ‘बिहार का मिनी कश्मीर’ कहा जाता रहा है. लेकिन अब हाउसबोट्स ने इस जगह को वाकई खास बना दिया है.
मंत्री डॉ. सुनील कुमार ने कहा कि यहां का प्राकृतिक सौंदर्य लोगों को बार-बार खींच लाता है. हाउसबोट्स की सुविधा से अब पर्यटक यहां रुक भी सकेंगे और इस इलाके की वादियों का असली आनंद उठा सकेंगे.
क्यों खास है करमचट डैम?
अब बिहार के लोगों को कश्मीर जाने की जरूरत नहीं, क्योंकि करमचट डैम पर हाउसबोट का आनंद उठाते हुए वही रोमांच और सुकून महसूस किया जा सकता है.
(रंजन कुमार त्रिगुण की रिपोर्ट)