शेरवानी नहीं सेना की वर्दी में आया दूल्हा, बैंड और ड्रम पर कदमताल के साथ हुई Army Swag वाली शादी

कैप्टन शिखर गगन ने बताया कि सेना की नौकरी की वजह से गांव से जुड़ाव कम हो गया था. लेकिन शादी में इस अनूठे प्रयोग की वजह से लोगों ने उनको और सेना को जो सम्मान दिया उसे देखकर उन्हें बहुत अच्छा लगा.

कैप्टन शिखर गगन और उनकी पत्नी
gnttv.com
  • हाजीपुर,
  • 23 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 4:53 PM IST
  • शिखर हैं आर्मी में कैप्टन
  • इस अनूठे रिवाज को पहले से अपनाया जाता रहा है

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक हर धर्म की शादी के अलग-अलग रिवाज हैं. हिंदुओं में भी ब्रह्म विवाह, देव विवाह, असुर विवाह जैसे 8 विवाहों का जिक्र किया गया है.  लेकिन शादी का एक रिवाज ऐसा भी है जिसके बारे बहुत कम लोग जानते हैं. गर्व और गौरव से भरे शादी के इस रिवाज को शादी का 'सैनिक रिवाज' कहते हैं. सैनिक रिवाज यानि सेना के जवानों और अधिकारियों की होने वाली शादियों में  सेना की परंपरा को निभाने वाला रिवाज. 

इस शादी में खास सेना के लिए इस्तेमाल होने वाले ब्रास बैंड की धुन बजाई गई. इसके साथ सजी-धजी ड्रेस में ड्रम बजाते और कदमताल करते बैंड के कलाकारों की वजह से शादी का माहौल एकदम आर्मी वाला ही बन गया. दूल्हे ने भी शेरवानी की जगह सेना की वर्दी ही पहनी और उसपर चमकते मेडल ने शादी में चार चांद लगा दिए. 

कैप्टन शिखर गगन का कार्ड

शिखर हैं आर्मी में कैप्टन

दरअसल, ये शादी वैशाली जिले के भगवानपुर में हुई है. भगवानपुर के रहने वाले शिखर गगन आर्मी में कैप्टन हैं. जम्मू में तैनात कैप्टन शिखर गगन ने अपनी शादी को यादगार बनाने के लिए आम रिवाज से अलग सैनिक रिवाज से शादी करने का फैसला किया.

कैप्टन शिखर गगन ने बताया कि सेना की नौकरी की वजह से गांव से जुड़ाव कम हो गया था. लेकिन शादी में इस अनूठे प्रयोग की वजह से लोगों ने उनको और सेना को जो सम्मान दिया उसे देखकर उन्हें बहुत अच्छा लगा.

शिखर आगे कहते हैं, "देश और समाज के प्रति उनकी जबाबदेही है. देश की जबाबदेही मैं पूरा कर रहा हूं, इस चक्कर में समाज थोड़ा छूट जाता है, लोगों से उतना घुल मिल नहीं पाता हूं. बाहरल रहता हूं. लेकिन लोगों ने काफी रेस्पेक्ट दी है, मुझे, मेरे प्रोफेशन को और मेरी ऑर्गेनाइजेशन को. वो देखकर मुझे बहुत अच्छा लगता है." 

सैनिक रिवाज वाली शादी

इस अनूठे रिवाज को पहले से अपनाया जाता रहा है

इस अनूठे सैनिक रिवाज वाली शादी को लेकर इंडियन आर्मी में तैनात कर्नल मनमोहन ने बताया कि सेना का ये रिवाज अंग्रेजों के समय से ही अपनाया जाता रहा है. अपनी शादियों में ऐसे बैंड के इस्तेमाल के लिए जवानों, अधिकारियों को एक तय राशि पर सेना का बैंड उपलब्ध कराया जाता है. सैनिक रिवाज वाली ऐसी शादियों से दूर दराज और गांव देहात में रहने वाले लोगों में सेना के प्रति सम्मान का भाव बढ़ाने में मदद मिलती है. 

(संदीप आनंद की रिपोर्ट)


 

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