ये कैसा स्कूल है! छात्रा को टॉप यूनिवर्सिटी में एडमिशन मिला तो स्कूल ने इनाम में दिए 1 करोड़ रुपये

इस कार्यक्रम में बाकी होनहार छात्रों को भी यूनिवर्सिटी की रैंकिंग के हिसाब से कैश इनाम दिए गए. स्कूल प्रबंधन के अनुसार, हर साल इनाम की रकम यूनिवर्सिटी की रैंक के अनुसार तय की जाती है. 2022 में यही इनाम 5 लाख युआन था.

Tsinghua University in Beijing. Photo: Reuters
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 19 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 2:49 PM IST
  • बाकी छात्रों को भी मिला मोटा इनाम
  • एडमिशन मिला तो स्कूल ने दिए 1 करोड़ रुपये

चीन के एक प्राइवेट स्कूल ने टॉप यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेने वाली एक छात्रा को एक करोड़ रुपये का इनाम दिया. गुआंग्शी प्रांत के गुइगांग शहर स्थित Dajiang International School का यह फैसला सोशल मीडिया पर वायरल हो गया.

टॉप यूनिवर्सिटी में एडमिशन का तोहफा
यह मामला अगस्त की शुरुआत में सामने आया जब Dajiang इंटरनेशनल स्कूल ने अपने 2025 बैच के छात्रों का ग्रेजुएशन समारोह आयोजित किया. समारोह में जिन छात्रों को टॉप यूनिवर्सिटी में दाखिला मिला था, उन्हें स्कूल ने मोटी रकम के साथ सम्मानित किया.

लो (Luo) नाम की एक छात्रा को Tsinghua University में एडमिशन मिला. स्कूल ने उसे स्टेज पर 10 लाख युआन की राशि एक लाल बैनर और कैश इनाम में दिा. कैश को स्टूल पर ढेर की तरह रखा गया था ताकि दूसरे स्टूडेंट में वो पैसा देख सकें.

बाकी छात्रों को भी मिले इनाम
इस आयोजन में केवल Luo को ही नहीं, बल्कि बाकी छात्रों को भी उनकी यूनिवर्सिटी रैंकिंग के हिसाब से नकद पुरस्कार दिए गए. Zhejiang University और Hong Kong University में एडमिशन पाने वाले छात्रों को 1.5 लाख युआन (लगभग ₹21 लाख) दिए गए, जबकि Huazhong Agricultural University में एडमिशन लेने वाले छात्र को 10,000 युआन (1.4 लाख) की राशि दी गई.

स्कूल के एक कर्मचारी ने बताया कि यह इनाम पॉलिसी हर साल यूनिवर्सिटी रैंकिंग के आधार पर तय होती है. साल 2022 में Tsinghua या Peking यूनिवर्सिटी में एडमिशन पर सिर्फ 5 लाख युआन का इनाम दिया जाता था.

शिक्षा विभाग ने स्कूल की योजना पर लगाई रोक
यह मामला सामने आने के बाद गुइगांग के नगर शिक्षा ब्यूरो ने इस पर तुरंत कार्रवाई करते हुए स्कूल की इस पॉलिसी को बंद करवा दिया. एक अधिकारी ने बताया, "सरकार चाहती है कि स्कूल गाओकाओ के अंकों को प्रचार के तौर पर इस्तेमाल न करें. हमने इस प्रथा को बंद करवा दिया है."

शंघाई के एक एजुकेशन स्कॉलर Xiong Bingqi ने इस योजना को सिर्फ स्कूल की मार्केटिंग रणनीति बताया. उनका कहना है, “छात्रों में यह भावना नहीं आनी चाहिए कि पढ़ाई केवल आर्थिक लाभ के लिए है. स्कूलों को छात्रों के विकास पर ध्यान देना चाहिए.”

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