

गढ़चिरौली जिले का नाम सुनते ही अक्सर लोगों के मन में एक ही तस्वीर उभरती है- नक्सल प्रभावित क्षेत्र, घने जंगल और दूर-दराज के गांव, जहां पहुंचना बेहद मुश्किल होता है. लेकिन अब यह तस्वीर बदल रही है. गढ़चिरौली पुलिस बल की लगातार कोशिशों और राज्य सरकार के सहयोग से यहाँ विकास की बयार बह रही है. कभी पिछड़ेपन और अलगाव के लिए पहचान रखने वाला यह इलाका अब सड़क, पुल, मोबाइल नेटवर्क और बस सेवा जैसी सुविधाओं से जुड़ चुका है.
पहली बार पहुंची बस, गांव में जश्न जैसा माहौल
धनोरा तालुका के सुदूर आंबेझरी गाँव में जब पहली बार महाराष्ट्र राज्य परिवहन निगम (ST) की बस पहुंची, तो ग्रामीणों के चेहरे पर खुशी साफ झलक रही थी. ढोल-नगाड़ों की गूंज, पारंपरिक आदिवासी नृत्यों की ताल और बच्चों द्वारा तिरंगा लहराकर किया गया स्वागत- यह दृश्य किसी त्यौहार से कम नहीं था. ग्रामीणों ने इस पल को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि आजादी के 79 साल बाद उनका गांव सच में “आजाद” हुआ है.
इस बस सेवा से आंबेझरी सहित कुल 15 गांवों को सीधा लाभ मिलेगा. अब ग्रामीणों को पैदल कई किलोमीटर चलने की मजबूरी से छुटकारा मिल गया है. बच्चों को स्कूल और युवाओं को कॉलेज जाने में आसानी होगी, वहीं बीमार लोगों को भी समय पर अस्पताल पहुंचने में मदद मिलेगी.
507 मोबाइल टावर
गढ़चिरौली पुलिस ने केवल बस सेवा तक ही सीमित नहीं रखा, बल्कि पूरे जिले को डिजिटल इंडिया से जोड़ने की दिशा में भी काम किया. आज जिले में कुल 507 मोबाइल टावर लग चुके हैं, जिससे ग्रामीण अब इंटरनेट और मोबाइल नेटवर्क की सुविधा का लाभ उठा रहे हैं. कभी बाहरी दुनिया से कटे हुए ये गाँव अब मोबाइल स्क्रीन पर दुनिया से जुड़े हुए हैं.
420 किलोमीटर सड़क और 60 पुलों का निर्माण
पुलिस बल और सरकार की इस संयुक्त पहल के तहत अब तक 420 किलोमीटर नई सड़कें और 60 पुलों का निर्माण किया जा चुका है. इन सड़कों ने दुर्गम और घने जंगलों में बसे गांवों को मुख्यधारा से जोड़ दिया है. जहाँ कभी लोगों को घंटों पैदल चलना पड़ता था, अब वहां गाड़ियां और बसें दौड़ रही हैं.
नए मार्ग, नई उम्मीदें
गढ़चिरौली-चातगाँव-धानोरा-यरकाड-मुरुमगांव-खेड़ेगांव-आंबेझरी-मंगेवाड़ा-जयसिंगटोला-मालेवाड़ा जैसे महत्वपूर्ण मार्गों पर यह बस सेवा शुरू हो चुकी है. इसके अलावा इस साल गट्टा (जा.)-मंगेवाड़ा-वॉगेतुरी, कटेझरी से गढ़चिरौली और मरकनार से अहेरी तक भी बसें चलने लगी हैं.
इन नई सेवाओं से ग्रामीणों का जीवन बदल रहा है. बच्चों को अब शिक्षा तक पहुँचने में आसानी होगी, किसान अपने उत्पाद बाज़ार तक पहुंचा पाएंगे और आपातकालीन स्थिति में ग्रामीणों को शहर तक पहुंचने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा.
ग्रामीणों की प्रतिक्रिया
इस ऐतिहासिक पहल पर पुलिस और ग्रामीणों दोनों ने अपनी राय रखी.
पुलिस सब-इंस्पेक्टर अजय भोसले ने कहा, “गढ़चिरौली जैसे इलाके में विकास की यह बस सेवा केवल परिवहन सुविधा नहीं है, बल्कि विश्वास और सुरक्षा का प्रतीक है. अब लोग खुद को देश की मुख्यधारा से जुड़ा महसूस कर रहे हैं.”
मुकुंद हुलके, शिक्षक, जिला पंचायत प्राइमरी स्कूल, आंबेझरी ने कहा, “पहले बच्चों को स्कूल आने-जाने में घंटों लगते थे, लेकिन अब यह बस सेवा उनके लिए शिक्षा का मार्ग आसान करेगी. यह बदलाव गांव के हर परिवार के जीवन को बेहतर बनाएगा.”
विकास की ओर एक बड़ा कदम
गढ़चिरौली की यह कहानी बताती है कि जब इरादे मजबूत हों तो दुर्गम रास्ते भी आसान बन जाते हैं. पुलिस बल की यह पहल न केवल विकास को बढ़ावा देती है बल्कि लोगों के दिलों में भरोसा भी जगाती है.
कभी जिस जिले को “पिछड़ा” कहा जाता था, आज वहां ढोल-नगाड़ों और तिरंगों के बीच बस का स्वागत हुआ. यह केवल एक वाहन का आगमन नहीं, बल्कि नई उम्मीदों, नए सपनों और नए गढ़चिरौली की शुरुआत है.
(रिपोर्ट- व्येंकटेश दुडमवार)