Methi ki Kheti: आज हमारे देश के किसान पारंपरिक फसलों जैसे धान-गेहूं की खेती के साथ सब्जी और फलों को उगाकर अच्छी कमाई कर रहे हैं. हम आज एक ऐसी फसल के बारे में बता रहे हैं, जिसकी कम लागत और कम समय में खेती करके किसान भाई बढ़िया मुनाफा कमा सकते हैं. जी हां, हम बात कर रहे हैं मेथी की खेती की. बाजार में मेथी की बहुत मांग होती है. मेथी के बीज से लेकर इसकी पत्तियों तक का इस्तेमाल खाने में किया जाता है. मेथी के पौधे से 7 बार तक कमाई हो सकती है क्योंकि हरी मेथी की कटाई 7 बार कर सकते हैं. ऐसे में आप सितंबर महीने में मेथी की बुवाई कर ही दीजिए.
एक एकड़ मेथी की खेती में खर्च और कमाई
1. एक एकड़ में मेथी की खेती करने में कुल खर्च 9 से 11 हजार रुपए तक आता है.
2. बुवाई में बीज 1200 से 1500 रुपए के लगते हैं.
3. खाद और सिंचाई पर कुल खर्च बढ़कर अधिकतम 11 हजार रुपए तक पहुंचता है.
4. हरी मेथी से एक एकड़ में 25 से 30 क्विंटल तक उपज मिल जाती है, जो बाजार में औसतन 20 रुपए किलो बिकती है.
5. दाना मेथी से 6 से 8 क्विंटल उपज मिलती है, जिसकी कीमत 70 से 120 रुपए किलो तक होती है.
6. इस तरह से किसानों को एक एकड़ मेथी की खेती में 40 से 52 हजार रुपए तक का शुद्ध मुनाफा हो सकता है.
कब और कैसे करें मेथी की खेती
1. कब करें खेती: मेथी की बुवाई के लिए सितंबर के तीसरे और चौथे सप्ताह से लेकर नवंबर तक का समय सबसे अच्छा माना जाता है. इस समय मौसम ठंडा और नमी से भरपूर होता है, जिससे बीजों का अंकुरण तेज और अच्छा होता है.
2. कैसी होनी चाहिए मिट्टी: मेथी की खेती के लिए दोमट मिट्टी सबसे बढ़िया मानी जाती है. ध्यान रखें कि मिट्टी में जल निकासी की उचित व्यवस्था हो. मिट्टी का पीएच मान 6 से 7 के बीच होना चाहिए.
3. खेत की जुताई: मेथी की बुवाई करने से पहले खेती की दो से तीन बार अच्छी तरह से जुताई करनी चाहिए. मिट्टी भुरभुरी हो जाने पर इसमें जैविक और गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट मिला दें. इससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ जाएगी.
4. बुवाई से पहले पानी में भिगो दें मेथी के बीज: मेथी के बीजों को बुवाई से पहले 12 घंटे तक पानी में भिगोना चाहिए ताकि उनका अंकुरण अच्छा हो सके. इसके बाद जैविक फफूंदनाशक से बीजों का उपचार करें ताकि फसल में कोई रोग न लगे. 4 ग्राम थीरम, 50 प्रतिशत कार्बेडाजिम से रासायनिक उपचार या फिर गौ मूत्र का इस्तेमाल करके जैविक बीज उपचार सकते हैं.
5. कैसे करें बीजों की बुवाई: खेतों में मेथी की बुवाई छिड़काव या ड्रिल विधि से की जाती है. मेथी की बुवाई सीधे कतारों में करनी चाहिए. पौधों के बीच दूरी 10-15 सेमी और कतारों के बीच 20-25 सेमी की दूरी रखें. बीजों को 2 से 3 सेंटीमीटर की गहराई पर बोना चाहिए. ऐसा करने से पौधे को भरपूर पोषण तत्व और हवा मिलती है. एक हेक्टेयर जमीन के लिए 20 से 25 किलोग्राम बीज पर्याप्त होता है.
6. कब करें सिंचाई: मेथी के पौधों को अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है. मेथी के बीजो के अंकुरण के लिए खेत में नमी की आवश्यकता होती है. ऐसे में खेत में नमी बनाए रखने के लिए 7 से 10 दिन में पानी देते रहना चाहिए. ध्यान रखें ज्यादा समय तक पानी का ठहराव न करें, क्योंकि इससे जड़ों में सड़न जैसी समस्या हो सकती है.
7. निराई-गुड़ाई: खरपतवार नियंत्रण के लिए निराई-गुड़ाई करना बहुत जरूरी होता है. बुवाई के 48 घंटे के भीतर पेंडामेथिलीन जैसे खरपतवारनाशक का छिड़काव करें.
8. कब करें कटाई: मेथी की फसल बुवाई के 30 से 35 दिन बाद पहली कटाई के लिए तैयार हो जाती है. हरी और मुलायम पत्तियों की कटाई से पौधे में नई पत्तियां आती हैं, जिससे उत्पादन और गुणवत्ता दोनों में बढ़ोतरी होती है. एक बार की कटाई के बाद 15-20 दिनों के अंतराल पर फिर कटाई कर सकते हैं. इस तरह से किसान 6 से 7 बार इसकी कटाई कर सकते हैं. अंतिम बार कटाई पत्तियां पीली होनी पर करनी चाहिए. कटाई के बाद मेथी के पौधों को धूप में अच्छे से सूखा लेना चाहिए. सूखी हुई फसल से मशीन की सहायता से दानों को निकल लें.