जब भी युवा किसी संस्थान को ज्वाइन करता है, तो वह वहां अपनी एक वाइब लेकर आता है. कई लोग उस वाइब को पसंद करते हैं, तो कई थोड़ी दूरी बना कर रखते हैं. इस समय संस्थानों में जेन ज़ी नौकरी के लिए भारी संख्या में जुड़ रही है, लेकिन जेन ज़ी केवल एक लेबर के तौर पर काम नहीं करता, बल्कि वह अपने स्किल्स के साथ संस्थान में जुड़ता है. यह स्किल्स संस्थान के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकते हैं. लेकिन वर्कप्लेस पर कई लोग ऐसे मौजूद होते हैं, जिनको उस युवा की अहमियक नहीं होती. साथ ही जेन ज़ी में कई ऐसे ट्रेट होते हैं, जो उन्हें दूसरों से काफी अलग बनाते हैं.
फ्लेक्सिबिलिटी
लोगों में 9-5 जॉब करने की आदत है. लेकिन जेन ज़ी का मानना है जब आपकी क्रिएटिविटी जागे आपका काम करने का समय शुरू हो जाता है. वह काम को 9-5 नहीं समझते, बल्कि काम को एक प्रोजेक्ट की तरह लेते हैं. जिसकी डेडलाइन तय कर लेते हैं.
जेन ज़ी ने लोगों को यह चीज़ समझाने में काफी मदद की है कि ऑफिस का काम करने के लिए जरूरी नहीं कि आप ऑफिस में हो. आप रिमोट या हाइब्रिड कल्चर को भी अपनाकर काम कर सकते हैं. मुद्दा काम को करने का होता है. अब आप उसे घर बैठ कर करें या फिर ऑफिस में अपने डेस्क पर बैठ करें.
टेक में सबसे आगे
जैसे-जैसे एआई धीरे-धीरे हमारी ज़िंदगी में शामिल हो रहा है, और कई लोगों को उनकी नौकरी के जाने का डर सता रहा है. ऐसे जेन ज़ी वो जनरेशन है जो पहले से एआई टूल्स के बारे में सीख चुकी है. वह अपने वर्कप्लेस पर भी इन टूल्स का इस्तेमाल कर रही है. इसके अलावा भी तकनीक के मामले में जेन ज़ी अन्य लोगों से काफी आगे है. उनकी यह तकनीक की जानकारी की खूबी किसी भी संस्थान में प्रोडक्टिविटी बढ़ाने में मदद करती है.
लॉयलटी को दी नई परिभाषा
लॉयलटी के मामले में जहां पहले से काम कर रहे लोग, अपने संस्थान के साथ लगातार कई साल तक काम करते रहते हैं. लेकिन जेन ज़ी इन लोगों से विपरीत चलती है. जेन ज़ी का मानना है कि अगर उन्हें बेहतर ऑफर मिलता है, जहां सुविधाएं उनके अनुसार ज्यादा हों, वह जॉब बदल लेती है. जहां कई लोग इस तरह से बार-बार जॉब बदलने को नकारात्मक नज़र से देखते हैं. वहीं जेन ज़ी इसे एक तरह से सीखने के नए अवसर की तरह देखती है.
मानसिक स्वास्थ्य के साथ कोई समझौता नहीं
कई लोग ऑफिस के काम को लगातार करते रहते हैं, बेशक उनके उपर कितना ही मानसिक दबाव पड़ रहा हो. लेकिन जेन ज़ी ऐसा नहीं मानती. जेन ज़ी अपनी मानसिक सेहत के साथ किसी तरह का खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं करती. अगर उन्हें कोई चीज़ अपने खिलाफ लगती है, तो वह उस बात को कहने में ज़रा भी नहीं हिचकिचाती. वह साफ तौर पर उसे बोल देती है. ऐसे में उनपर किसी भी प्रकार का मानसिक दबाव नहीं पड़ता.