मध्य प्रदेश के गुना जिले में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने पूरे सिस्टम की पोल खोल दी है. यहां की करोद ग्राम पंचायत को महज 20 लाख रुपये में गिरवी रख दिया गया. जी हां, आपने सही पढ़ा! एक महिला सरपंच और पंच के बीच गैरकानूनी एग्रीमेंट हुआ, जिसमे पंचायत को ही गिरवी रख दिया गया.
करोद पंचायत में भ्रष्टाचार की हदें पार
गुना जिले की करोद ग्राम पंचायत, जो एक महिला आरक्षित सीट है, में यह हैरान करने वाला मामला सामने आया है. पंचायत अधिनियम की धारा 40 के तहत कार्रवाई करते हुए जिला प्रशासन ने सरपंच लक्षमी बाई और पंच रणवीर सिंह कुशवाह को पद से हटा दिया. इस मामले की जड़ में है एक गैरकानूनी सौदा, जिसमें पंचायत को 20 लाख रुपये के लोन के बदले गिरवी रखा गया.
लक्ष्मी बाई, जो शंकर सिंह गौड़ की पत्नी हैं, ने सरपंच का चुनाव लड़ने के लिए गांव के ही हेमराज सिंह धाकड़ से 20 लाख रुपये उधार लिए थे. इस लोन की गारंटी पंच रणवीर सिंह कुशवाह ने ली थी. 28 नवंबर 2022 को 100 रुपये के स्टांप पेपर पर एक एग्रीमेंट साइन किया गया, जिसमें लक्ष्मी बाई, उनके पति शंकर सिंह, रणवीर सिंह कुशवाह, और रविंद्र सिंह के हस्ताक्षर थे. इस एग्रीमेंट में साफ लिखा था कि:
इतना ही नहीं, लक्ष्मी बाई ने पंचायत की चेक बुक, आधिकारिक सील, और अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज भी हेमराज सिंह धाकड़ के पास गिरवी रख दिए. यह सौदा इतना गंभीर था कि पंचायत की पूरी व्यवस्था एक तीसरे व्यक्ति के हाथों में चली गई, जो न तो सरपंच था और न ही पंच.
चाचौड़ा में भी ऐसा ही मामला
गुना जिले में यह कोई इकलौता मामला नहीं है. चाचौड़ा की रामनगर पंचायत में भी एक आदिवासी महिला सरपंच मुन्नीबाई सहरिया के साथ ऐसा ही गैरकानूनी सौदा सामने आया है. मुन्नीबाई ने गांव के दबंग रामसेवक मीना से चुनाव लड़ने के लिए पैसे उधार लिए थे. चुनाव जीतने के बाद दोनों के बीच एक एग्रीमेंट हुआ, जिसमें तय किया गया कि पंचायत पर रामसेवक मीना का नियंत्रण होगा, और इसके बदले वह मुन्नीबाई को हर साल 1 लाख रुपये देगा. इस मामले ने भी आदिवासी महिला सरपंचों के शोषण और दबंगों के रसूख को उजागर किया है.
जिला प्रशासन की सख्त कार्रवाई
जैसे ही इन दोनों मामलों की जानकारी गुना जिला प्रशासन को मिली, कलेक्टर किशोर कुमार कन्याल ने तत्काल कार्रवाई के आदेश दिए. कलेक्टर ने बताया, “यह बेहद गंभीर मामला है. जांच के बाद दोनों महिला सरपंचों को पंचायत अधिनियम की धारा 40 के तहत पद से हटा दिया गया है. साथ ही, लोन देकर पंचायत पर कब्जा करने वाले व्यक्तियों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है.” उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि जिले में अगर भविष्य में इस तरह का कोई और मामला सामने आया, तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
पंचायत को गिरवी रखने जैसे मामले ने पूरे प्रशासनिक तंत्र पर सवाल खड़े कर दिए हैं. जब सरकारी फंड का दुरुपयोग इतने बड़े पैमाने पर हो रहा हो, और पंचायत की चेक बुक और सील तक किसी तीसरे व्यक्ति के पास गिरवी रखी जा रही हो, तो यह साफ है कि निगरानी और जवाबदेही की कमी है. यह घटना न केवल भ्रष्टाचार की गंभीरता को दर्शाती है, बल्कि ग्रामीण शासन में पारदर्शिता की जरूरत को भी रेखांकित करती है.
(विकास दीक्षित की रिपोर्ट)