पेशे से निजी कॉलेज के प्रोफेसर लेकिन सैकड़ों बच्चों को मुफ़्त शिक्षा देने के लिए रेलवे स्टेशन पर कुली बनकर यात्रियों की नियमित रुप से सामान उठाते हैं. यहीं नहीं बल्कि अपने अथक प्रयास और मेहनत से गरीब बच्चों के भविष्य को संवारने का बीड़ा उठा रखा है. यह कहानी ओडिशा के गंजाम जिले के नागेशु पात्रा की है. पात्रा ने अपनी मातृभाषा उड़िया विषय से पोस्ट ग्रैजुएशन किया है. वह जिले के एक निजी कॉलेज में प्रोफेसर के रूप में नियुक्त हैं. साथ ही पात्रा अपने स्थानीय इलाके में गरीब बच्चों के लिए निशुल्क कोचिंग चलाते हैं. जहां उन्होंने कई शिक्षकों को नियुक्त किया है.
दिन में पढ़ाते हैं पात्रा
31 साल के पात्रा दिन में निजी कॉलेज में प्रोफेसर बनकर बच्चों को पढ़ाते हैं तो वहीं रात में वह रेलवे स्टेशन पर कुली बनकर यात्रियों का सामान उठाते हैं. जिसके बाद पात्रा अपनी कमाई के पैसों से कोचिंग में शिक्षकों को मासिक वेतन देते हैं. पात्रा कहते हैं- "मैं एक रजिस्टर्ड कुली हूं और 2011 से यात्रियों का सामान उठा रहा हूं. लॉकडॉउन के समय में ट्रेनों के आगमन व प्रस्थान ठप होने के बाद हमारी कमाई रुक गई. आर्थिक तंगी के बाद भी मैंने घर बैठने के अलावा गरीब बच्चों को निशुल्क शिक्षा देने के बारे में सोचा और शुरू हो गया. मैं सालों से 10वीं कक्षा के बच्चों को निशुल्क शिक्षा प्रदान किया हूं. अब मैं एक कोचिंग चलाता हूं जहां कक्षा 8वीं से 12वीं तक के बच्चों को निशुल्क शिक्षा प्रदान किया जाता है. साथ ही कोचिंग को नियमित तौर से चलाने के लिए मैंने चार शिक्षकों को नियुक्त किया है जो कि बच्चों को अलग-अलग विषय पढ़ाते हैं."
इतनी होती है कमाई
पात्रा आगे कहते हैं, "इन दिनों मैं जिले के एक निजी कॉलेज में गेस्ट के रुप में बतौर प्रोफेसर नियुक्त किया गया हूं. कॉलेज से पर्याप्त पैसा नहीं मिलने के कारण मैं दिन में अपना समय कॉलेज को देता हूं और रात में कुली बनकर रेलवे स्टेशन पर यात्रियों का सामान उठाता हूं. जिससे मुझे अपने परिवार और कोचिंग चलाने में आसानी होती है."
पात्रा ने कहा, "मैं बतौर कुली महीने में करीब 10 हजार से 12 हजार तक की कमाई करता हूं. जहां मैं अपना अधिकांश कमाई का पैसा शिक्षकों को वेतन स्वरूप देता हूं. मैं अपने कोचिंग के लिए प्रत्येक शिक्षक को 2000-3000 रुपया मासिक वेतन प्रदान करता हूं. कॉलेज में गेस्ट प्रोफेसर के रुप में मुझे प्रत्येक कक्षा के लिए 200 रुपए मिलते हैं. कॉलेज में मैं सप्ताह में सर्वाधिक सात कक्षा का संचालन कर सकता हूं."
पात्रा आगे बताते हैं कि वे अपने माता-पिता के साथ रहते हैं और उन्हें गरीब बच्चों को निशुल्क शिक्षा देना पसंद है और वे इसे आगे बरकरार रखेंगे. वे अपनी अथक प्रयास और मेहनत से गरीब बच्चों के भविष्य को संवारना चाहते हैं.
(मोहम्मद आतिक की रिपोर्ट)