आवारा कुत्तो को लेकर इस समय काफी विवाद चल रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऑर्डर में कहा है कि ऐसे आवारा और लावारिस कुत्तो को इंसानों से अलग रखना चाहिए. इसकी कई वजह है. कोई भी लावारिस कुत्ता किसी अंजान को काट सकता है, या किसी बच्चे के उपर हमला बोल सकता है. इन कुत्तो को वैक्कसीन नहीं लगी होती है. इसलिए इनका काटना भी काफी ज्यादा खतरनाक हो जाता है. साथ ही अगर कोई गली, मोहल्ले का कुत्ता पागल हो जाए, तो वह ज्यादा खतरनाक हो जाता है.
इंसानों की सुरक्षा की दृष्टि से देखें तो सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला काफी हद तक लोगों के हित में ही है. लेकिन समाज में डॉग लवर्स की कमी नहीं. ऐसे कई लोग हैं जो सड़कों पर घूम रहे लावारिस कुत्तो को खाना देते हैं. साथ ही उनका तर्क है कि कुत्ते समाज हा हिस्सा हैं. उन्हें इस तरह समाज से अलग करना भी ठीक नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट का फैसला, जो लावारिस कुत्तो को इंसानों से दूर करने की बात करता है, कई लोग उसे हिंसा के रूप में देख रहे हैं. लेकिन अहिंसा के सबसे बड़े समर्थक महात्मा गांधी ने खुद एक बात करीब 60 कुत्तों को मारने की सलाह दी थी. शायद यह बात हज़म न हो, क्योंकि गांधी अहिंसा के समर्थक थे, तो वे इस प्रकार की हिंसा वाली सलाह कैसे दे सकते थे. लेकिन सच यही हैं कि उन्हें यह सलाह दी थी. लेकिन इसके पीछे का कारण क्या है चलिए वो आपको बताते हैं.
1926 का है किस्सा
दरअसल इस साल टेक्सटाइल कारोबारी अंबालाल साराभाई की एक मिल में करीब 60 कुत्ते पागल हो गए थे. इसके कारण उनकी मिल में काम करने वाले लोगों की जान को भी खतरा पैदा होने लगा. साराभाई ने आदेश दिया कि इन कुत्तों को मार दिया जाए. लेकिन यह काफी हिंसा वाला काम था.
उस दौरान हिंसा-अहिंसा के बीच महात्मा गांधी का काफी नाम था. इसलिए उन्होंने गांधी जी से भी इस बारे में पूछा कि क्या मारना उचित रहेगा या फिर इसका कोई और हल भी है? महात्मा गांधी ने भी उन्हें कह दिया कि मार दो. लेकिन गांधी जी की राय पर भी सवाल उठे. लेकिन उन्होंने अपनी राय को लेकर यंग इंडिया अखबार में बात रखी. जिससे लोगों तक इस बात के पीछे का तर्क पहुंच सके.
कुत्तों को मारना कम पाप वाला काम-महात्मा गांधी
महात्मा गांधी का कहना था कि इसमें कोई शक नहीं कि किसी भी जीव की हत्या करना पाप का काम है. लेकिन कम कीटनाशकों का भी तो इस्तेमाल करते हैं. यह भी एक प्रकार की हिंसा ही है. दरअसल यहां कुत्तो को मारने जैसी हिंसा करने का काम इसलिए करना पड़ रहा है, क्योंकि यदि उन्हें नहीं मारा तो काम करने वाले लोगों की जान के लिए खतरा बना रहेगा. जो एक कारोबारी के लिए ज्यादा बड़ा पाप होगा.
अगर कुत्ता जंगल में रहकर पागल होता, तो वहां जाकर उसे मारना गलत होता. लेकिन वह यहां हमारे समाज में है. जिससे और लोगों की जान को खतरा बना हुआ है. इसलिए इस मामले में एक तरफ पागल कुत्ते हैं और दूसरी तरफ काम करने वाले मजदूर. अब दोनों को बचा पाना मुश्किल है. ऐसे कम पाप वाला काम है कि कुत्तो को दिया जाए.