मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशन और मार्गदर्शन में 9वें दीपोत्सव 2025 को ऐतिहासिक बनाने की तैयारी जोरशोर से चल रही है. डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय प्रशासन दीपोत्सव को भव्य और दिव्य स्वरूप देने में अपनी पूरी क्षमता के साथ जुटा हुआ है. गुरुवार को कुलपति डॉ. बिजेंद्र सिंह ने राम की पैड़ी पहुंचकर घाटों की तैयारियों का निरीक्षण किया. उन्होंने कहा कि दीपोत्सव केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि यह हमारी आस्था, परंपरा और समर्पण का प्रतीक है. इसे भव्य व दिव्य रूप देना हम सभी का सौभाग्य है.
जय श्रीराम के उद्घोष के साथ रवाना हुए वालंटियर-
विश्वविद्यालय परिसर से गुरुवार प्रातः 10 बजे सात बसों में सवार होकर वालंटियर 'जय श्रीराम' के उद्घोष के साथ दीपोत्सव स्थल के लिए रवाना हुए. दीपोत्सव यातायात समिति के संयोजक प्रो. अनूप कुमार की देखरेख में राम की पैड़ी के घाटों पर दीए बिछाने का कार्य प्रारंभ हुआ. घाटों पर वालंटियरों का उत्साह देखते ही बन रहा था. दीपों को सजा रहे युवा जय श्रीराम के जयघोष के साथ दीपोत्सव को ऐतिहासिक बनाने के लिए जुटे दिखे.
56 घाटों पर शुरू हुआ दीप सजाने का काम-
दीपोत्सव नोडल अधिकारी प्रो. संत शरण मिश्र ने बताया कि दीपोत्सव की तैयारी अब अंतिम चरण में है. 56 घाटों पर दीयों की खेप पहुंच चुकी है और युद्धस्तर पर बिछाने का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि घाटों पर दीए बिछाने का कार्य 18 अक्टूबर तक पूरा कर लिया जाएगा. दीपोत्सव के दिन 19 अक्टूबर को वालंटियर दीपों में तेल डालने, बाती लगाने और उन्हें प्रज्वलित करने का कार्य करेंगे.
आईकार्ड के बिना घाटों पर एंट्री बैन-
विश्वविद्यालय प्रशासन ने सभी वालंटियरों के लिए पहचान पत्र (आईकार्ड) अनिवार्य कर दिया है. बिना आईकार्ड घाटों पर प्रवेश वर्जित रहेगा. शुक्रवार तक सभी वालंटियरों को आईकार्ड, टी-शर्ट और कैप वितरित की जाएंगी.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार दीपोत्सव की तैयारियों की समीक्षा कर रहे हैं. उनका स्पष्ट निर्देश है कि यह दीपोत्सव केवल अयोध्या की नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक आत्मा का वैश्विक प्रदर्शन बने. कुलपति ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रदेश सरकार जिस तरह दीपोत्सव को विश्व स्तर पर पहचान दिला रही है, वह अभूतपूर्व है. इस बार 56 घाटों पर 26 लाख 11 हजार 101 दीपों को प्रज्वलित कर नया विश्व रिकॉर्ड बनाया जाएगा. इसके लिए 28 लाख से अधिक दीपों को घाटों पर बिछाया जा रहा है.
आस्था, सेवा और समर्पण का पर्व-
अवध विश्वविद्यालय परिसर, महाविद्यालयों, इंटर कॉलेजों और स्वयंसेवी संस्थाओं के वालंटियर दीपोत्सव की सफलता में अपना योगदान दे रहे हैं. घाटों पर कार्य करते युवाओं की ऊर्जा और समर्पण इस बात का प्रमाण है कि दीपोत्सव अब केवल आयोजन नहीं, बल्कि 'राममय अयोध्या' की आत्मा बन चुका है.
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