सनातन परंपरा में अमावस्या को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इस दिन पितरों का तर्पण और पूजन करना बेहद शुभ माना जाता है. भाद्रपद माह की अमावस्या को भाद्रपद अमावस्या, कुशग्रहणी अमावस्या और पिठोरी अमावस्या भी कहा जाता है. इस साल भाद्रपद अमावस्या की तिथि को लेकर कन्फ्यूजन बना हुआ है क्योंकि यह दो दिन पड़ रहा है. आइए जानते हैं भाद्रपद अमावस्या किस दिन है और स्नान-दान का मुहूर्त व पूजा विधि क्या है?
कब है भाद्रपद अमावस्या
पंचांग के मुताबिक भाद्रपद अमावस्या की तिथि 22 अगस्त दिन शुक्रवार को सुबह 11:55 बजे से लेकर अगले दिन 23 अगस्त दिन शनिवार को सुबह 11:35 बजे तक रहेगी. उदयातिथि के अनुसार भाद्रपद अमावस्या 23 अगस्त को मनाई जाएगी. हालांकि पितरों के लिए पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध आदि के लिए भाद्रपद अमावस्या 22 अगस्त 2025 को रहेगी क्योंकि पितरों की पूजा के लिए मध्यान्ह काल सही माना जाता है. स्नान-दान की अमावस्या सूर्योदयकालीन होनी चाहिए. ऐसे में स्नान और दान के लिए 23 अगस्त 2025 को भाद्रपद अमावस्या मानना उचित रहेगा. 23 अगस्त दिन शनिवार है इसलिए इसलिए इसको शनि अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है.
स्नान और दान का शुभ मुहूर्त
23 अगस्त को भाद्रपद अमावस्या के दिन स्नान और दान का शुभ मुहूर्त सुबह 4 बजकर 26 मिनट से शुरू होकर 5 बजकर 10 मिनट पर समाप्त होगा. आप सुबह 11 बजकर 55 मिनट से पहले तक भी स्नान और दान कर सकते हैं.
भाद्रपद आमवस्या के दिन कैसे करें पूजा
1. भाद्रपद अमावस्या के दिन किसी पवित्र नदी, तालाब या कुंड में स्नान करें.
2. इसके बाद सूर्यदेव को अर्घ्य दें.
3. फिर गायत्री मंत्र का पाठ करें.
4. इसके बाद भगवान शिव की पूजा करें.
5. फिर पितरों का तर्पण करें और उनके मोक्ष की कामना करें.
6. भाद्रपद अमावस्या पर नदी के तट पर पिंडदान करना शुभ होता है.
7. इस दिन बहते जल में तिल प्रवाहित करना शुभ होता है.
8. इस दिन दान करना, दक्षिणा देना और जरूरतमंदों को भोजन करवाने पर भी पितृ प्रसन्न होते हैं.
9. इस दिन देवी लक्ष्मी का पूजन करना भी शुभ माना जाता है.
10. भाद्रपद अमावस्या के दिन सुहागिन महिलाएं पीपल के पेड़ की पूजा करती हैं.
11. भाद्रपद अमावस्या के दिन भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना करके कमजोर चंद्रमा को बलवान किया जा सकता है.
12. इस दिन पितरों का अपमान न करें. पितरों की नाराजगी से परिवार पर पितृ दोष लग जाता है.
13. पितृ दोष को दूर करने के लिए अमावस्या की शाम पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाना शुभ होता है.
14. भाद्रपद अमावस्या पर खीर बनाकर शिवजी को अर्पित करें. कुछ अंश पितरों के नाम से भी निकालें.
15. भोलेनाथ को अर्पित की हुई खीर निर्धनों में बांटें. पितरों की खीर किसी पशु को खिला दें.
16. सफेद चंदन की लकड़ी नीले धागे में बांधकर पहन लें.
17. पारिवारिक समस्या के लिए स्नान करके नारंगी वस्त्र धारण करें.
18. भगवान शिव और माता पार्वती की संयुक्त पूजा करें.