Essential Rules for Using Prayer Beads: माला जाप के गुप्त नियम और चमत्कारी प्रभाव... किस माला से करें किन मंत्रों का जाप... जानें रुद्राक्ष से लेकर तुलसी की Mala के लाभ

मंत्र जप में माला के प्रयोग के कुछ नियम हैं. इन नियमों का पालन कर भक्त अधिक लाभ पा सकते हैं. माला में मनकों की संख्या 27 या 108 होनी चाहिए और सुमेरु को लांघना नहीं चाहिए. दूसरे की माला का प्रयोग कभी नहीं करना चाहिए. 

Rudraksha Mala
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 12 जून 2025,
  • अपडेटेड 10:40 PM IST
  • रुद्राक्ष की माला से कर सकते हैं किसी भी मंत्र का जाप 
  • देवी के मंत्रों का जाप लाल चंदन की माला से करना फलदाई 

मंत्र जाप के लिए माला का सही उपयोग करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण नियम और सावधानियां हैं. शैलेंद्र पांडेय ने बताया कि माला का प्रयोग मंत्र जप की संख्या में त्रुटि से बचने के लिए किया जाता है. माला के दाने कम से कम 27 या 108 होने चाहिए. हर मनके के बाद एक गांठ होनी चाहिए. मंत्र जाप करते समय तर्जनी अंगुली से माला का स्पर्श नहीं करना चाहिए. 

सुमेरु को क्रॉस नहीं करना चाहिए और माला को पलट लेना चाहिए. माला को किसी वस्त्र से ढंकना चाहिए या गोमुखी में रखना चाहिए. माला से मंत्र जाप करने के पहले प्रार्थना करनी चाहिए और माला व्यक्तिगत होनी चाहिए. दूसरे की माला का प्रयोग कभी नहीं करना चाहिए. स्फटिक की माला एकाग्रता, सम्पन्नता और शांति की माला मानी जाती है. देवी के मंत्रों का जाप लाल चंदन की माला से करना फलदायी होता है.

रुद्राक्ष की माला
रुद्राक्ष की माला से किसी भी मंत्र का जाप किया जा सकता है. भगवान शिव और उनके परिवार के मंत्रों का जाप रुद्राक्ष की माला पर ज्यादा लाभकारी होता है.

स्फटिक की माला
स्फटिक की माला एकाग्रता, संपन्नता और शांति देती है. धन की प्राप्ति और विद्या के लिए स्फटिक की माला से मंत्र जाप करना चाहिए.

हल्दी की माला
हल्दी की माला का प्रयोग विशेष मनोकामनाओं के लिए किया जाता है. बृहस्पति देव और मां बगलामुखी के मंत्रों का जाप हल्दी की माला से करना चाहिए.

तुलसी की माला
तुलसी की माला का वैष्णव परंपरा में सर्वाधिक महत्त्व है. भगवान विष्णु, राम, कृष्ण और हनुमान जी के मंत्रों का जाप तुलसी की माला से किया जाता है. तुलसी की माला पहनने वाले को वैष्णव परंपरा का पालन करना चाहिए. इस माला को धारण करने वाले लोगों को प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए. नियमित रूप से भगवान के नाम का जप करना चाहिए. 

 

 

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