हरिद्वार में चला कांवड़ मेला अब चरम पर है. बड़ी संख्या में कांवड़िया हरिद्वार से गंगाजल लेकर अपने-अपने गंतव्य के शिवालयों के लिए रवाना हो रहे हैं. जहां पैदल कांवड़ और कलश कांवड़ियों का बड़ी संख्या में जाना जारी है, वहीं अब बड़ी कांवड़, सजी हुई कांवड़, आकर्षक कांवड़, शिव पार्वती की कांवड़ और शिव पार्वती की नाचती हुई झांकियां की कांवड़ और साथ ही एक मैराथन कांवड़ भी हरिद्वार से रवाना हुई है. आकर्षक ढंग से सजी हुई सुंदर और मनमोहक कांवड़, श्रीराम मंदिर की कांवड़, केदारनाथ मंदिर की कांवड़, शिव पार्वती की कांवड़ आकर्षक का केंद्र बनी हुई है. वहीं, कांवड़ों को देखने और झांकियां में शिव पार्वती को भक्ति गीतों पर डांस करते हुए देखने के लिए अब बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतरकर ऐसी कांवड़ों के आने की प्रतीक्षा कर रहे हैं.
राम मंदिर मॉडल कांवड़-
श्रीराम मंदिर 51 लेकर जा रहे हरियाणा से आए महिपाल का कहना है कि हमने राम मंदिर मॉडल बनवाया है और हर साल कांवड़ लेकर जाते हैं. हम हर साल कांवड़ का स्वरूप बदलते हैं. लेकिन इस बार राम मंदिर का स्वरूप कांवड़ को दिया है. जैसे अयोध्या में रामलाल स्थापित हुए हैं, हमने भी सोचा कि हम भगवान राम मंदिर की कांवड़ बनवा कर ले जाएं और उस पर जल लेकर जाया जाए, इससे हम लोगों को भक्ति करने का संदेश दे रहे हैं. हमारा 17 आदमियों का ग्रुप है, इसको पैदल ऐसे ही लेकर जाएंगे.
केदारनाथ की तर्ज पर कांवड़-
गाजियाबाद से आए रकम का कहना है कि केदारनाथ की कांवड़ लेकर जा रहे हैं. बस मन किया और 30 साल से कांवड़ लेकर जा रहे हैं, क्योंकि भगवान भोलेनाथ का केदारनाथ में बसते हैं. इसीलिए उनकी कांवड़ लेकर जा रहे हैं. केदारनाथ की कांवड़ यह पहली है, इससे पहले हम भोले की कांवड़ ले गए हैं. जल लेकर गए हैं और भी कांवड़ लेकर गए हैं.
गाजियाबाद से आए संजय का कहना है कि 30-35 लोगों का ग्रुप है. कांवड़ लेकर लेकर जाने वाले 22 लोग हैं. हम लोग कांवड़ लेकर जा रहे हैं, बाकी सपोर्ट करने वाले लोग हैं. यह आठवीं कांवड़ है और केदारनाथ भगवान की पहली बार कांवड़ लेकर जा रहे हैं. इससे पहले इसी तरह की झांकी वाले कई तरह की कांवड़ ले जा चुके हैं. यह मन किया कि मंदिर अच्छा है और इसीलिए कांवड़ बनवाने का मन में विचार आया.
हमारे मन में भोला बसते हैं- भक्त
दिल्ली के विशाल का कहना है कि हम कांवड़ लेकर जा रहे हैं. भोले बाबा को प्रसन्न करने के लिए लेकर जा रहे हैं कि हमारे जो काम हैं, वह पूरे हो जाए और जो दुख तकलीफ है, वह दूर हो जाए और कोई विशेष प्रेरणा हमारे मन में नहीं है. बस हम हमारे मन में भोला बसते हैं और हम भोले के मन में बसते हैं. इसीलिए कावड़ लेकर जा रहे हैं.
3 लाख का कांवड़-
दिल्ली से आये चेतन और सोनू का कहना है कि यह हम 17 लोग का एक ग्रुप है. कांवड़ लेकर जा रहे हैं और यह कांवड़ अलग तरीके से बनाई है और इसको बनाने की प्रेरणा हमने टीवी में देख कर ली है और इस कांवड़ पर लगभग ₹300000 का खर्चा आया है. 22 तारीख को दिल्ली पहुंचेंगे और 23 को जलाभिषेक करेंगे.
140 घंटे में 1400 किमी का सफर-
इंदौर मध्य प्रदेश से आए राजेश गोला का कहना है कि सभी किसान के बेटे हैं और महाकाल मैराथन कांवड़ यात्रा के रूप में सभी 12 ज्योतिर्लिंगों की मां गंगा का जल अभिषेक करने की तैयारी में है. उन्होंने बताया कि पहले तीन यात्रा कर चुके हैं और यह चौथी यात्रा हरिद्वार से लेकर बैजनाथ धाम झारखंड के लिए निकली है. 110 लोगों का जत्था है. सभी किसान के बेटे हैं और यही संदेश पहुंचाना चाहते हैं कि सावन के महीने में जो महादेव का कुम्भ आता है, उसे महापर्व के रूप में मनाएं और सनातन धर्म के लिए और सनातन धर्म की जयकार के लिए यह सबको प्रसारित करें. उन्होंने बताया कि 1400 किलोमीटर की यात्रा है और इस यात्रा को पूरा करने में 140 घंटे का समय लगेगा. हमारी मैराथन चलती रहेगी. 20 लोग 12 घंटे चलेंगे, 20 लोग अगले 12 घंटे चलाएंगे, बाकी लोग अगले 12 घंटे चलेंगे.
रवि जरती का कहना है हम सभी साथी इंदौर से निकले हैं और जलाभिषेक करना है. बाबा झारखंड पर और हम सभी साथियों का संकल्प है कि 12 ज्योतिर्लिंग प्रभु की इच्छा हुई तो मां गंगा के जल से जलाभिषेक करना है. 12 साल में यह हमारा चौथ वर्ष है. इस बार झारखंड जा रहे हैं. बाबा बैजनाथ को, इससे पहले हम मल्लिकार्जुन, उससे पहले हम गए थे रामेश्वरम, गंगा का जल गंगोत्री से लेकर गए थे और उससे पहले हरिद्वार से महाकाल के लिए जल लेकर गए थे.
(मुदित कुमार अग्रवाल की रिपोर्ट)
ये भी पढ़ें: