
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में कांवड़ यात्रा के दौरान अलग-अलग रंग देखने को मिल रहे हैं. कांवड़ यात्रा में भगवान भोलेनाथ के प्रति आस्था के कई ऐसे रूप देखने को मिल रहे हैं, जो भगवान शिव के प्रति आस्था को और मजबूत करते हैं. ऐसी ही आस्था का एक रंग मुजफ्फरनगर में उस समय देखने को मिला, जब एक परिवार हरिद्वार से गंगाजल लेकर पहुंचा, जिनके साथ वॉकर में दो नन्ही बच्चियां थी. जिनमें से एक नन्ही बच्ची की बीमारी ठीक होने के लिए फैमिली ने मन्नत मांगी गई थी. मन्नत पूरी होने के बाद अब ये परिवार बच्चों के साथ हरिद्वार से गंगाजल लेकर गाजियाबाद शिवालय की ओर पैदल यात्रा कर रहा है.
वॉकर में मासूम के साथ कांवड़ यात्रा-
गाजियाबाद की रहने वाली शिवभक्त उमा ने Gnttv.com को बताया कि दोनों नन्ही बच्चीयों में एक उनकी नातिन काव्या है और दूसरी भतीजी कनिका है, जिनको साथ लेकर वह गंगाजल के साथ पैदल कांवड़ यात्रा कर गाजियाबाद जा रही हैं. उमा ने बताया कि 2 साल पहले उनकी बेटी का देहांत हो गया था, जिसके बाद से अपनी बेटी की बच्ची काव्या को उमा ही पाल रही हैं.
मन्नत पूरी हुई तो कांवड़ यात्रा कर रहे- उमा
उमा बताती है कि 4 महीने पहले उनकी भतीजी कनिका का स्पाइनिंग का ऑपरेशन हुआ था, तब उमा ने मन्नत मांगी थी कि उनकी भतीजी कनिका जल्दी स्वस्थ हो जाए तो वह इन बच्चियों के साथ बाबा भोलेनाथ के लिए हरिद्वार से गंगाजल के साथ कांवड़ लाएगी और अब जब बाबा ने मन्नत पूरी कर दी तो अब उमा नन्ही बच्चियों को वॉकर में बैठाकर अपनी भाभी और भतीजे के साथ कांवड़ यात्रा कर रही हैं.
हमें बहुत अच्छा लग रहा है- उमा
शिवभक्त महिला उमा की माने तो हम लोग गाजियाबाद से आए हुए हैं, हरिद्वार से जल लेकर गाजियाबाद जा रहे हैं. जिसमें हमारे दो बच्चे हैं. इसमें हमें कोई परेशानी नहीं है. हमें कोई दिक्कत नहीं है. अपनी मस्ती में आ रहे हैं. मस्ती में जाएंगे. हमें धूप की चिंता नहीं है. जहां गर्मी लगती है, वहां बैठ भी जाते हैं थोड़ी देर के लिए, नहीं तो कोई टेंशन की बात नहीं है. अच्छा लगता है, बच्चों के साथ खेलते कूदते जाते हैं, कोई दिक्कत नहीं है. इसमें जल तो बच्चों ने ही उठाया है. लेकिन इनकी जो मन्नतें थी मेरा, यह था कि इसका अच्छे से ऑपरेशन हो जाए, इसका स्पिनिंग का ऑपरेशन था. ऑपरेशन हुआ, इसका चार महीने हुए इस ऑपरेशन को हुए, अभी चल फिर लेती है, घूम फिर लेती है, इसी की वजह से हम जल लेकर आए हैं. मन्नत तो हमारी यही थी कि बच्ची अस्पताल से जल्दी घर आ जाए, कोई दिक्कत ना हो, हम भोले जी का जल लेकर आएंगे. हरिद्वार से यह मेरी भतीजी है, मैं इसकी बुआ हूं, यह मेरी नातिन है, मैं इसकी नानी हूं, बेटी मेरी अभी एक्सपायर हुई है, 2 साल हुए हैं उसको एक्सपायर हुए, तो इसको मैं ही पाल रही हूं. मेरे पास ही रहती है. मैं ही पाल रही हूं. इसको हम लोग तीन जने हैं, मैं हूं, मेरी भाभी हैं, मेरा भतीजा है, दो बच्चे हैं. अच्छे खासे रहने के लिए भी जगह मिली है. कई जगह रुके भी हैं. अच्छा ठंडा मौसम हो जाता है. बारिश हो जाती है तो अच्छा लगता है. बारिश में चलने में कोई दिक्कत नहीं है, अच्छा लगा हमें आने में.
(संदीप सैनी की रिपोर्ट)
ये भी पढ़ें: