

सावन का पवित्र महीना भगवान शिव की भक्ति में डूबा हुआ है, और इंदौर का गेंदेश्वर महादेव मंदिर इस दौरान आस्था का केंद्र बन जाता है. परदेशीपुरा चौराहे पर स्थित इस प्राचीन मंदिर में पिछले 25 सालों से एक अनोखी परंपरा निभाई जा रही है- तांडव नृत्य आरती. इस आरती की खासियत यह है कि मंदिर के पुजारी पंडित विश्वजीत शर्मा एक पैर पर खड़े होकर, 1100 रुद्राक्ष धारण कर, तांडव नृत्य की मुद्राओं के साथ भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना करते हैं. यह आरती न केवल इंदौर बल्कि पूरे देश में अपनी अनूठी शैली के लिए प्रसिद्ध है.
तांडव नृत्य आरती की अनोखी परंपरा
गेंदेश्वर महादेव मंदिर में हर शाम 6 बजे होने वाली तांडव नृत्य आरती भक्तों के बीच विशेष आकर्षण का केंद्र है. इस आरती में पंडित विश्वजीत शर्मा पहले धूप, फिर दीपों की थाली और डमरू के साथ तांडव नृत्य की विभिन्न मुद्राओं में भगवान शिव की आराधना करते हैं. यह आरती करीब एक घंटे तक चलती है और इस दौरान मंदिर का माहौल 'हर हर महादेव' के जयघोष से गूंज उठता है.
पंडित विश्वजीत शर्मा बताते हैं, "यह आरती मेरे लिए सिर्फ एक पूजा नहीं, बल्कि मेरी आस्था और तपस्या का हिस्सा है. मुझे इसकी प्रेरणा स्वयं भोलेनाथ से मिली. शुरू में सामान्य आरती होती थी, लेकिन मेरे शरीर में अपने आप तांडव की मुद्राएं बनने लगीं. अब यह मेरी दिनचर्या और भक्ति का अभिन्न हिस्सा है."
इस मंदिर की एक और खासियत यह है कि यहां 12 ज्योतिर्लिंग और चारों धाम की प्रतिमाएं स्थापित हैं. तांडव आरती के दौरान इन सभी की पूजा भी उसी शैली में की जाती है. पंडित विश्वजीत प्रतिदिन 108 पार्थिव शिवलिंग बनाकर उनका अभिषेक करते हैं, और सावन में यह संख्या सवा लाख तक पहुंच जाती है. मंदिर को भगवा पताकाओं और फूलों से सजाया जाता है, जिससे इसकी भव्यता और बढ़ जाती है.
सावन में भक्तों का उत्साह
सावन माह में गेंदेश्वर महादेव मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है. सावन 2025, जो 11 जुलाई से शुरू होकर 23 जुलाई तक चलेगा, के पहले सोमवार को हजारों श्रद्धालु इस अनोखी तांडव आरती का हिस्सा बनने पहुंचे. मंदिर में सुबह 9 बजे रुद्राभिषेक होता है, जिसमें दूध, दही, शहद, गन्ने का रस, गंगाजल और भांग जैसी सामग्रियों से शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है. भक्तों का मानना है कि इस मंदिर में मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है. सावन के दौरान मंदिर में शिव चालीसा, रुद्राष्टक और ओंकार मंत्रों का पाठ गूंजता रहता है.
पंडित विश्वजीत शर्मा का समर्पण
38 वर्षीय पंडित विश्वजीत शर्मा 13 साल की उम्र से ही इस मंदिर में तांडव आरती कर रहे हैं. उनकी भक्ति और समर्पण को देखते हुए उन्हें दादा साहब फाल्के अवार्ड से भी सम्मानित किया गया है. वे बताते हैं, "मैं कोई सिला हुआ वस्त्र नहीं पहनता. केवल भगवा वस्त्र और 1100 रुद्राक्ष धारण करता हूं.
आरती के दौरान पसीना और मोम के छींटे चेहरे पर गिरते हैं, लेकिन भक्ति की शक्ति मुझे इन सब से ऊपर उठाती है." उनकी यह भक्ति भक्तों को भी उत्साह से भर देती है. कई भक्तों का कहना है कि इस आरती को देखकर ऐसा लगता है मानो स्वयं भगवान शिव तांडव नृत्य कर रहे हों.
मंदिर की महत्ता और भक्तों की आस्था
गेंदेश्वर महादेव मंदिर इंदौर के परदेशीपुरा में स्थित है और यह उन चुनिंदा मंदिरों में से एक है, जहां एक ही स्थान पर 12 ज्योतिर्लिंग और चारों धाम के दर्शन हो जाते हैं. सावन के महीने में मंदिर का नजारा और भी भव्य हो जाता है. भक्तों की लंबी कतारें, भक्ति संगीत और तांडव आरती का अनोखा दृश्य इस मंदिर को आध्यात्मिक केंद्र बनाता है.
मंदिर के व्यवस्थापक राजेश विजयवर्गीय कहते हैं, "यहां साल भर धार्मिक आयोजन होते हैं, लेकिन सावन में भक्तों का उत्साह देखते ही बनता है. तांडव आरती भगवान शिव की विशेष कृपा का प्रतीक है."
तांडव आरती की विशेषता
पंडित विश्वजीत शर्मा के अनुसार, इस तरह की तांडव नृत्य आरती केवल इंदौर के गेंदेश्वर महादेव मंदिर में ही होती है. इसे कुछ लोग 'ओंकार आरती' भी कहते हैं. इस आरती में डमरू की ध्वनि, धूप का धुआं और दीपों की लयबद्ध गति भक्तों को मंत्रमुग्ध कर देती है. सावन के महीने में इस आरती को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. यह परंपरा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि यह इंदौर की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान को भी दर्शाती है.
गेंदेश्वर महादेव मंदिर की तांडव नृत्य आरती भगवान शिव के प्रति भक्ति और समर्पण का अनूठा उदाहरण है. यह परंपरा न केवल आध्यात्मिक है, बल्कि यह भक्तों को एकजुट करने और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करने का भी काम करती है. सावन के इस पवित्र महीने में, यह मंदिर और इसकी तांडव आरती हर शिव भक्त के लिए एक विशेष अनुभव है.
(धर्मेंद्र कुमार शर्मा की रिपोर्ट)