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Sawan 2025: भगवान शिव के 108 नामों का है पौराणिक महत्व, सावन में इनका जाप करने से महादेव की बरसेगी कृपा, शिवभक्तों के जीवन में आएंगी खुशियां

108 Names of Lord Shiva: सावन का महीना भगवान शिव को अत्यंत प्रिय होता है. इस पवित्र माह में महादेव के 108 नामों का जाप करना बेहद फलदायी माना जाता है. आइए भोलेनाथ के इन नामों की महिमा और इनके जाप करने के महत्व के बारे में जानते हैं.

 Lord Shiva (Photo: PTI) Lord Shiva (Photo: PTI)
हाइलाइट्स
  • सावन का महीना शिव की आराधना के लिए माना जाता है सबसे शुभ 

  • भोलेनाथ के 108 नामों का करना चाहिए जाप 

जब कुछ भी नहीं था, तब भी जो थे, वह हैं शिव. जब सबकुछ नष्ट  हो जाएगा, तब भी जो रहेंगे, वही हैं शिव. भगवान शिव को यूं ही देवों के देव नहीं कहा गया है. वे केवल त्रिदेवों में से एक नहीं, बल्कि संपूर्ण सृष्टि के केंद्रबिंदु हैं, जिन्हें स्वयंभू  कहा गया है. ऐसे ईश्वर जो किसी शरीर से उत्पन्न नहीं हुए, बल्कि साक्षात चेतना से प्रकट हुए हैं. जब सृष्टि का निर्माण नहीं हुआ था. तब भी महादेव विद्यमान थे. 

वह केवल विनाश के देव नहीं हैं, वह पुनर्निर्माण, तप, करुणा, शक्ति और मोक्ष के भी प्रतीक हैं. भक्तों की सच्ची श्रद्धा और प्रेम उन्हें शीघ्र प्रसन्न कर देती है. इसी के कारण कहा गया है कि यदि कोई विधिवत महादेव की पूजा करता है, मंत्रों का जाप करता है, विशेष रूप से उनके 108 नामों का जाप तो उसके जीवन से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. शिव के 108 नाम, केवल नाम नहीं, बल्कि उनके विविध रूपों और शक्तियों और गुणों का प्रतिनिधित्व करते हैं. हर नाम के पीछे का विशेष महत्व है, जो हमारे जीवन को सकारात्मक दिशा में मोड़ सकती है. सावन का महीना भगवान शिव को अत्यंत प्रिय होता है. इस पवित्र माह में महादेव के 108 नामों का जाप करना बेहद फलदायी माना जाता है. भगवान शिव के 108 नामों का जाप करने से भोलेनाथ की विशेष कृपा प्राप्त होती है, रोग और भय दूर होते हैं. जीवन की कठिनाइयों में मार्गदर्शन और सुरक्षा का अनुभव होता है. मन, वाणी और कर्म को भी पवित्र बनाता है. शिव का नाम लेने से जीवन में शांति, समृधि और मोक्ष का मार्ग प्राप्त होता है.  

ऐसे हुआ शिव के 108 नामों का नामकरण
ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव के 108 नाम यूं ही प्रचलित नहीं हुए, बल्कि इसके पीछे एक गहरी पौराणिक कथा है, जो न केवल शिव की महानता को दर्शाती है, बल्कि ब्रह्मा, विष्णु और शिव के बीच की दिव्यता को भी स्पष्ट करती है. जब सृष्टि का आरंभ होना बाकी था, भगवान विष्णु  योगीनिद्रा में थे. उनकी नाभि से कमल उत्पन्न हुआ और उससे परम पिता ब्रह्मा की उत्पत्ति हुई. ब्रह्मा जी वर्षों तक विष्णु जी के जागने  की प्रतीक्षा कर रहे थे तभी अग्निमय तेज के रूप में भगवान शिव ज्योतिर्लिंग स्वरूप में प्रकट हुए. ब्रह्मा जी ने उन्हें नमस्कार नहीं किया, जबकि जैसे ही विष्णु जी जागे  ब्रह्मा ब्रह्मा जी ने उन्हें प्रणाम किया. 

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इस पर शिव जी के तेज से ब्रह्मा चकित रह गए और अपनी भूल समझकर क्षमा मांगी. शिव जी ने ब्रह्मा जी को सृष्टि रचने का कार्य सौंपा  और विष्णु जी  को पालन का भार. तब विष्णु जी ने कहा, सृष्टि का नाश भी उतना ही आवश्यक है, तब शिव ने संहार का कार्य स्वीकार किया. ब्रह्मा जी ने शिव से अनुरोध किया कि आप ही सृष्टि से पहले उत्पन्न हों. यह कहकर ब्रह्मा जी और विष्णु जी तप में लीन हो गए. तप के फलस्वरूप ब्रह्मा जी के शरीर से एक तेजस्वी बालक प्रकट हुआ, वही थे भगवान शिव. जन्म लेते ही  बालक तेज स्वर में रोने लगे. तब ब्रह्मा जी ने कारण पूछा, तो बाल शिव ने कहा मेरा कोई नाम नहीं है. तब ब्रह्मा जी ने उन्हें पहला नाम दिया रुद्र लेकिन रोना नहीं रुका. इसके बाद ब्रह्मा जी ने शर्व, भव, उग्र,पशुपति, ईशान,  महादेव नाम दिया. हर नाम के साथ बाल शिव थोड़ी देर शांत हुए, लेकिन फिर रुदन करने लगे. तब ब्रह्मा जी ने अंततः 108 नामों से उनको स्तुति (प्रशंसा) किया. तभी जाकर वह पूर्णता शांत हुए और तभी से भगवान शिव के 108 नामों का जप भक्तों द्वारा सबसे पवित्र प्रभावशाली माना गया है. हर नाम एक शक्ति है, एक रूप है, एक आशीर्वाद है, जो जीवन को दिशा भी देता है और मुक्ति का मार्ग भी.

भगवान शिव के 108 नामों का महत्व
1. रुद्रः (ऊँ रुद्राय नमः).
2. शर्वः (ऊँ शर्वाय नमः).
3.भवः ऊँ भवाय नमः).
4. उग्रः ( ऊँ उग्राय नमः).
5. भीमः (ऊँ भीमाय नमः).
6.पशुपतिः (ऊँ पशुपतये नमः).
7. ईशानः (ऊँ  ईशानाय नमः).
8. महादेवः (ऊँ महादेवाय नमः).
9. शिवः (ऊँ शिवाय नमः).
10. महेश्वरः (ऊँ महेश्वराय नमः).
11. शम्भुः (ऊँ शम्भवे नमः).
12. पिनाकीः (ऊँ पिनाकिने नमः). 
13. शशिशेखरः (ऊँ शशिशेखराय नमः).
14. वामदेवः (ऊँ वामदेवाय नमः).
15. विरूपाक्षः (ऊँ विरूपाक्ष नमः).
16. कपर्दी: (ऊँ कपर्दिने नमः).
17. नीललोहितः (ऊं नीललोहिताय नमः).
18. शंकर: (ऊं शंकराय नमः).
19. शूलपाणिः (ऊं शूलपाणये नमः).
20. खद्वांगिने: (ऊं खद्वांगिने नमः).
21. विष्णुवल्लभाय:  (ऊं विष्णुवल्लभाय नमः).
22. शिपिविष्टः (ऊं शिपिविष्टाय नमः).
23. अंबिकानाथः (ऊं अंबिकानाथाय नमः).
24. श्रीकण्ठः (ऊं श्रीकण्ठाय नमः).
25. भक्तवत्सलः (ॐ भक्तवत्सलाय नमः).
26. त्रिलोकेशः (ॐ त्रिलोकेशाय नमः).
27. शितिकण्ठः (ऊँ शितिकण्ठाय नमः).
28. शिवाप्रियः (ऊँ शिवा प्रियाय नमः).
29. कपाली: (ऊँ कपालिने नमः).
30. कामारी: (ऊँ कामारये नमः).
31. अंधकारसुरसूदनः (ऊँ अन्धकासुरसूदनाय नमः).
32. गंगाधरः (ऊँ गंगाधराय नमः).
33. ललाटाक्षः (ऊँ ललाटाक्षाय नमः).
34. कालकालः (ऊँ कालकालाय नमः).
35. कृपानिधिः (ऊँ कृपानिधये नमः).
36. परशुहस्तः (ऊँ परशुहस्ताय नमः).
37. मृगपाणिः (ऊँ मृगपाणये नमः).
38. जटाधरः (ऊँ जटाधराय नमः).
39. कैलाशी: (ऊँ कैलाशवासिने नमः).
40. कवची: (ऊँ कवचिने नमः).
41. कठोर: (ऊँ कठोराय नमः).
42. त्रिपुरान्तकः (ऊँ त्रिपुरान्तकाय नमः).
43. वृषांक: (ऊँ वृषांकाय नमः).
44. वृषभारूढ़ः (ऊं वृषभारूढाय नमः).
45. भस्मोद्धूलितविग्रहः (ऊं भस्मोद्धूलितविग्रहाय नमः).
46. सामप्रियः (ऊं सामप्रियाय नमः).
47. स्वरमयीः (ऊं स्वरमयाय नमः).
48. त्रयीमूर्तिः (ऊं त्रयीमूर्तये नमः).
49. अनीश्वरः (ऊं अनीश्वराय नमः).
50. सर्वज्ञः (ऊं सर्वज्ञाय नमः).
51. परमात्माः (ऊं परमात्मने नमः).
52. सोमसूर्याग्निलोचनः (ऊं सोमसूर्याग्निलोचनाय नमः).
53. हविः (ऊं हविषे नमः).
54. यज्ञमयः (ऊं यज्ञमयाय नमः).
55. सोमः (ॐ सोमाय नमः).
56. पंचवक्त्रः (ऊँ पंचवक्त्राय नमः).
57. सदाशिवः (ऊँ सदाशिवाय नमः).
58. विश्वेश्वरः (ऊँ विश्वेश्वराय नमः).
59. वीरभद्रः (ऊँ वीरभद्राय नमः).
60. गणनाथः (ऊँ गणनाथाय नमः).
61. प्रजापतिः (ऊँ प्रजापतये नमः).
62. हिरण्यरेताः (ऊं हिरण्यरेतसे नमः).
63. दुर्धर्षः (ऊं दुर्धर्षाय नमः).
64. गिरीशः (ऊं गिरीशाय नमः).
65. अनघः (ॐ अनघाय नमः).
66. भुजंगभूषणः (ऊँ भुजंगभूषणाय नमः) 
67. भर्गः (ऊँ भर्गाय नम).
68. गिरिधन्वाः (ऊँ गिरिधन्वने नमः).
69. गिरिप्रियः (ऊँ गिरिप्रियाय नमः).
70. कृत्तिवासाः (ऊँ कृत्तिवाससे नमः).
71. पुरारातिः (ऊँ पुरारातये नमः).
72. भगवान्: (ऊँ भगवते नमः).
73. प्रमथाधिपः (ऊँ प्रमथाधिपाय नमः).
74. मृत्युंजयः (ऊँ मृत्युंजयाय नमः).
75. सूक्ष्मतनुः (ऊँ सूक्ष्मतनवे नमः).
76. जगद्व्यापीः (ऊँ जगद्वयापिने नमः).
77. जगद्गुरूः (ऊँ जगद्गुरुवे नमः).
78. व्योमकेशः (ऊँ व्योमकेशाय नमः).
79. महासेनजनकः (ऊँ महासेनजनकाय नमः).
80. चारुविक्रमः (ऊँ चारुविक्रमाय नमः).
81. भूतपतिः (ऊँ भूतपतये नमः).
82. स्थाणुः (ऊँ स्थाणवे नमः).
83. अहिर्बुध्यः (ऊँ अहिर्बुध्याय नमः).
84. दिगम्बरः (ऊँ दिगंबराय नमः).
85. अष्टमूर्तिः (ऊँ अष्टमूर्तये नमः).
86. अनेकात्माः (ऊँ अनेकात्मने नमः).
87. सात्विकः (ऊँ सात्विकाय नमः).
88. शुद्धविग्रहः (ऊँ शुद्धविग्रहाय नमः).
89. शाश्वतः (ऊँ शाश्वताय नमः).
90. खण्डपरशुः (ऊँ खण्डपरशवे नमः).
91. अजः (ऊँ अजाय नमः).
92. पाशविमोचनः (ऊँ पाशविमोचकाय नमः).
93. मृडः (ऊँ मृडाय नमः).
94. देवः (ऊँ देवाय नमः).
95. अव्ययः (ऊँ अव्ययाय नमः).
96. हरिः (ॐ हरये नमः).
97. भगनेत्रभिद्ः ( ऊँ भगनेत्रभिदे नमः).
98. अव्यक्तः (ऊँ अव्यक्ताय नमः).
99. दक्षाध्वरहरः (ऊँ दक्षाध्वरहराय नमः).
100. हरः (ऊँ हराय नमः).
101. पूषदन्तभित्ः (ॐ पूषदन्तभिदे नमः).
102. अव्यग्र: (ऊं अव्यग्राय नमः).
103. सहस्राक्षः (ऊं सहस्राक्षाय नमः).
104. सहस्रपादः (ऊं सहस्रपदे नमः).
105. अपवर्गप्रदः (ऊं अपवर्गप्रदाय नमः).
106. अनन्तः (ॐ अनन्ताय नमः).
107. तारकः (ऊं तारकाय नमः).
108. परमेश्वरः (ऊं परमेश्वराय नमः).

(ये स्टोरी पूजा कदम ने लिखी है. पूजा जीएनटी डिजिटल में बतौर इंटर्न काम करती हैं.)